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यूपी: भारतीय जनता पार्टी के भीतर सब ठीक नहीं है?

सीएम योगी के गढ़ गोरखपुर में पार्टी के सांसद और विधायक ही आमने-सामने हैं। एक ओर पार्टी ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले बीजेपी विधायक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है तो वहीं दूसरी ओर खुद सांसद रवि किशन अपने ही विधायक से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी
प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार : इंडियन एक्सप्रेस

‘आपका यह कृत्य अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। इस संबंध में आप एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण पार्टी कार्यालय भेजने का कष्ट करें।’

ये बयान उत्तर प्रदेश के बीजेपी कार्यालय की ओर से गुरुवार, 27 अगस्त को गोरखपुर से विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल के लिए जारी किया गया। पार्टी ने विधायक को कारण बताओ नोटिस थमा दिया है, जिसमें उनसे स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा गया है कि उनके द्वारा पार्टी आचरण के खिलाफ जाकर सरकार व संगठन की छवि धूमिल करने वाली पोस्ट सोशल मीडिया पर की जा रही है।

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बता दें कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष तो योगी सरकार पर हमलावर है ही, अब बीजेपी के अपने विधायक भी सरकार की मुश्किलें बढ़ाते नज़र आ रहे हैं। विधायक राधा मोहन इन दिनों सोशल मीडिया पर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। अपने ट्वीट्स के जरिए कभी कानून व्यवस्था तो कभी पार्टी नेताओं पर सवाल उठा रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, राधा मोहन दास ने पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार की छवि सुधारने के लिए राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारियों को हटाने का सुझाव दिया था।

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उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा था कि पुलिस का इकबाल खत्म होता जा रहा है। अपर मुख्य सचिव गृह व डीजीपी अपने दायित्व के निर्वहन में पूरी तरह से असफल सिद्ध हुए हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने ट्वीट में सरकार को अपनी छवि बचाने के लिए दोनों अफसरों को पद से हटाने की नसीहत तक दे डाली थी। हालांकि बाद में ट्वीट को डिलीट कर दिया था।

इसके बाद विधायक राधा मोहन का एक और ट्वीट आया, जिसने गोरखपुर की राजनीति को सुर्खियों में ला दिया। राधा मोहन ने बीजेपी कार्यकर्ता के रिश्तेदार की हत्या पर पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई पर असंतोष जताते हुए ट्वीटर पर मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की।

‘अपने विधायक होने पर गुस्सा आता है’

उन्होंने लिखा, “नहीं कोई तकलीफ नहीं है। अपने विधायक होने पर गुस्सा आता है। पूरी तरह ईमानदार राजनीति पर भ्रष्ट अधिकारियों का नियंत्रण बर्दाश्त नहीं कर सकता हूं। दो महीने से पुलिसिया शरण में फलफूल रहे हत्यारे को गिरफ्तार कराने के लिए इस हद तक जाना पड़े, शर्म आती है।”

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बता दें कि राधा मोहन का ये ट्वीट भाजपा कार्यकर्ता महेंद्र प्रताप के रिश्तेदार अजीत प्रताप की लखीमपुर खीरी में 25 जून को गोली लगने से हुई मौत के संदर्भ में था। इस मामले में पुलिस पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर चुप्पी साधने का आरोप भी लग रहा था।

इसके बाद राधा मोहन ने जानकारी देते हुए ये भी कहा कि उनके दबाव बनाए जाने के बाद हत्या के संबंध में आरोपी की गिरफ्तारी की गई। उन्होंने लखीमपुर खीरी पुलिस को नाकाम बताते हुए कहा कि उनके हस्तक्षेप करने तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री को टैग कर ट्वीट करना पड़ा।

आमने-सामने बीजेपी के सांसद और विधायक

इस संबंध में दूसरा विवाद सहायक अभियंता (पीडब्लूडी) केके सिंह के तबादले को लेकर शुरू हुआ। 22 अगस्‍त को ट्वीटर पर राधा मोहन ने लखनऊ में उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात की एक फोटो शेयर करते हुए जानकारी दी कि उन्‍होंने पीडब्‍लूडी के एक सहायक अभियंता केके सिंह की शिकायत की थी जिसे अब मुख्‍यालय से सम्बद्ध कर दिया गया है।

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इस ट्वीट में विधायक ने लिखा- “इसे कहते हैं नागरिकों के साथ अन्याय होने पर तुरंत कार्रवाई करने वाले उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री! फैसला आन द स्पाट - लाइक सलमान खान, नागरिकों को डुबाने वाले को त्वरित सजा।” 

लेकिन मामले मे तब तूल पकड़ लिया जब सहायक अभियंता के खिलाफ हुई इस कार्रवाई के बाद गोरखपुर में बीजेपी के सांसद रवि किशन और विधायक राधा मोहन आमने-सामने आ गए। रवि किशन ने सहायक अभियंता को कर्मठ, विश्वसनीय अधिकारी बताते हुए ट्रांसफर को रोकने के लिए केशव मौर्य को पत्र लिख दिया। इस पत्र का गोरखपुर ग्रामीण से विधायक विपिन सिंह, पिपराइच से विधायक महेन्‍द्र पाल सिंह, सहजनवां से विधायक शीतल पांडेय और कैम्पियरगंज से विधायक फतेहबहादुर सिंह ने भी समर्थन किया। इन सभी जनप्रतिनिधियों ने केके सिंह को ईमानदार, मेहनती और काबिल अधिकारी बताते हुए गोरखपुर-देवरिया मार्ग के चौड़ीकरण प्रोजेक्‍ट के पूरा होने तक उन्‍हें न हटाने की मांग की।

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अभियंता के पक्ष में सांसद और विधायकों के खड़े होने के बाद राधा मोहन ने ट्वीट कर तंज कसते हुए लिखा, “यह रिश्ता क्या कहलाता है? आपने कभी ऐसा देखा और सुना? खुलेआम? विधायक जी लोग रोते हैं कि अधिकारी सुनते नहीं, बल्कि बेइज्जती करते हैं, हमने बिगुल बजाया तो अदने से पीडब्ल्यूडी के अभियंता के पीछे खड़े हो गये, तो क्या हम भी दलाली शुरू करें।”

जातिगत राजनीति का कथित वीडियो वायरल

इस बीच विधायक राधा मोहन अग्रवाल का एक कथित ऑडियो भी वायरल हो गया। इसमें बीजेपी विधायक फोन पर अन्य पदाधिकारी से तंज भरे लहजे में एक शिकायत पर कहते हैं कि ठाकुरों से ठीक से रहिए, ठाकुरों की सरकार चल रही है। हालांकि इस ऑडियो के बाद राधा मोहन ने मीडिया से दूरी बना ली है। हालांकि उन्होंने अपने फेसबुक पर लिखा कि ऑडियो के मामले में जल्द सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

रवि किशन ने की इस्तीफे की मांग

विधायक राधा मोहन का कथित ऑडियो वायरल होने के बाद सांसद रवि किशन ने राधा मोहन दास अग्रवाल के इस्तीफे की मांग कर दी है। रवि किशन ने मीडिया से कहा कि अगर पार्टी की नीतियों व सिद्धांतों से राधा मोहन को इतनी ही दिक्कत हो रही है तो वो पार्टी से इस्तीफा दे दें।

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उन्होंने कहा कि विधायक राधा मोहन हमेशा पार्टी विरोधी बातों को तूल पकड़ा कर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। वह गोरखपुर में हो रहे विकास कार्यों को बाधा पहुंचा रहे हैं। वह अनाप-शनाप बयानों से पार्टी की छवि को धूमिल कर रहे हैं। पार्टी के पदाधिकारियों, विधायक, सांसद के खिलाफ झूठे आरोप लगा रहे हैं।

रवि किशन के अनुसार, कथित तौर पर उनका बताया जा रहा एक ऑडियो बहुत तेजी से देश में वायरल हुआ है जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार पर जातिगत राजनीति करने आरोप लगाया गया है। यह बहुत ही शर्मनाक है। इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का मनोबल गिरता है।

पार्टी का क्या कहना है?

इस पूरे मामले में यूपी बीजेपी के प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि पार्टी से ऊपर कोई नहीं है। किसी भी तरह की बयानबाजी से दोनों पक्षों को बचना चाहिए इससे पार्टी की छवि खराब होती है। पार्टी आलाकमान की नज़र पूरे विवाद पर है। वे दोनों पक्षों से बातचीत करेंगे।

मालूम हो कि गोरखपुर सीएम योगी आदित्यनाथ का गृह जनपद होने के साथ ही उनका गढ़ भी माना जाता है। ऐसे में सांसद और विधायक का आपस में भिड़ना पार्टी के अंदर गुटबाजी को बढ़ाने का काम कर रहा है। फिलहाल कुछ विधायक रवि किशन के साथ दिखाई दे रहे हैं तो वहीं बांसगांव से पार्टी सांसद कमलेश पासवान और उनके विधायक भाई विमलेश पासवान जैसे कुछ बीजेपी के नेता राधा मोहन के पाले में भी नज़र आते हैं।

हालांकि पार्टी की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी होने बाद भी गोरखपुर का ये मामला यहीं थमता नहीं दिखाई पड़ रहा। गुरुवार, 27 अगस्त को देर रात फेसबुक पर कैम्पियरगंज से पार्टी विधायक फतेहबहादुर सिंह और डा. राधा मोहन दास अग्रवाल के बीच हुई भिड़ंत ने पार्टी की भीतरी कलह को सामने रख दिया।

बीजेपी के विधायक अपनी ही पार्टी से नाखुश

बता दें कि राधा मोहन से पहले भी अलीगढ़ के गोंडा थाने में इगलास सीट से भाजपा विधायक राजकुमार सहयोगी के साथ मारपीट के बाद गोपामऊ से विधायक श्याम प्रकाश ने सोशल मीडिया पर पुलिस के खिलाफ रोष जाहिर करते हुए लिखा, 'लगता है कि अब अपराधियों के साथ विधायकों को भी यूपी छोड़ना पड़ेगा। डेढ़ साल ही बचा है, नेक सलाह के लिए शुक्रिया। अभी तक था ठोंक देंगे, अब आया तोड़ देंगे।' जानकारों का मानना है कि पार्टी के भीतर का असंतोष उत्तर प्रदेश में सरकार और बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकता है।

गौरतलब है कि मिशन 2022 की तैयारी में जुटी बीजेपी के लिए गोरखपुर में मचे इस घमासान का डैमेज कंट्रोल बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। हाईकमान भले ही पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक होने का दावा कर रहा हो लेकिन उसके बावजूद जानकारों का मानना है कि इस बार पार्टी इतनी आसानी से डैमेज कंट्रोल नहीं कर पायेगी।

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