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संयुक्त वाम कन्वेंशन : 'सांप्रदायिक-कॉर्पोरेट गंठजोड़ के फ़ासीवादी ख़तरे के ख़िलाफ़ एकजुट अभियान का फ़ैसला'

इस कन्वेंशन के माध्यम से सभी वाम दलों ने एक स्वर से ‘सांप्रदायिक-कॉर्पोरेट गंठजोड़ के फ़ासीवादी ख़तरे के ख़िलाफ़ अपने संघर्षों को और भी धारदार बनाने की घोषणा की।
United Left Convention

यूं तो आगामी लोकसभा 2024 के चुनाव के मद्देनज़र तमाम राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों को कारगर बनाने के लिए हर संभव प्रयासों में जुटे हुए हैं वहीं केंद्र में काबिज़ मौजूदा सरकार को हटाना गैर-भाजपा राजनीतिक दलों का मुख्य एजेंडा बना हुआ है।

पूरी राजनीतिक क़वायद में फिलहाल दो तरह की प्रमुख विचार प्रवृतियों पर चर्चाएं होने लगी हैं। एक प्रवृति धारा का इस पहलू पर सबसे ज्यादा ज़ोर है कि देश व समाज की बेहतरी के लिए जैसे भी हो नरेंद्र मोदी-भाजपा शासन को सत्ता से बाहर कर देना है। इसके लिए आगामी लोकसभा चुनाव में मजबूत विपक्षी एकता वाले महागठबंधन का होना सबसे ज़रूरी है। ऐसे में वोटों का बिखराव नहीं हो इसकी गारंटी के उपाय खोजे जा रहे हैं।

दूसरी प्रवृति धारा का भी मुख्य ज़ोर इस पहलू पर तो है ही कि केंद्र की नरेंद्र मोदी-भाजपा सरकार को हटाया जाए लेकिन उससे भी अधिक फोकस इस पहलू पर है कि देश व समाज पर हावी होते जा रहे ‘सांप्रदायिक-कॉर्पोरेट गंठजोड़ के फ़ासीवादी ख़तरे व हमलों का ज़मीनी स्तर पर कारगर प्रतिवाद कैसे विकसित किया जा सके क्योंकि आज देश व समाज जिन संकटपूर्ण चुनौतियों और विनाशकारी ख़तरों से जूझ रहा है और ‘घर घर मोदी’ नारा की आड़ में “नफ़रत-उन्माद की विभाजनकारी राजनीति” को जिस व्यापकता के साथ हर स्तर पर दिन-रात फैलाया जा रहा, येन-केन-प्रकारेन सत्ता-परिवर्तन मात्र से आसन्न चुनौतियों से नहीं निपटा जा सकता है बल्कि इसके कारगर व प्रभावी काट के लिए ज़मीनी स्तर पर ठीक उसके समानांतर वैकल्पिक जन राजनीतिक चेतना के ज़रिये व्यापक जन एकता को हर स्तर पर मजबूत किया जाए।

इन मुद्दों पर केंद्रित झारखंड के सभी वामपंथी दलों द्वारा संयुक्त कन्वेंशन के जरिये भावी कार्ययोजना बनाने की प्रक्रिया को एक सही और समयानुकूल पहल के रूप में देखा जा रहा है।

इसके तहत 19 मई को झारखंड की राजधानी रांची स्थित विधानसभा के पुराना सभागार, धुर्वा में ‘संयुक्त वाम कन्वेशन का सफल आयोजन किया गया।

‘सांप्रदायिक-कॉर्पोरेट फ़ासीवादी ख़तरे के ख़िलाफ़’ संयुक्त वाम कन्वेंशन को झारखंड प्रदेश की सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई एमएल (भाकपा माले), मार्क्सवादी समन्वय समिति, आरएसपी, फारवर्ड ब्लॉक और एसयूसीआई समेत सात वामपंथी दलों द्वारा आहूत किया गया।

वाम नेताओं और समर्थकों से खचाखच भरे सभागार में आयोजित इस कन्वेंशन के माध्यम से सभी वाम दलों ने एक स्वर से ‘सांप्रदायिक-कॉर्पोरेट गंठजोड़ के फ़ासीवादी खतरे के ख़िलाफ़ अपने संघर्षों को और भी धारदार बनाने की घोषणा की। जनपक्षीय विकल्प विकसित करने के लिए झारखंड प्रदेश के सभी जन मुद्दों पर राज्यव्यापी आंदोलन की भी रूपरेखा का ऐलान किया।

सीपीएम राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने संयुक्त वाम दलों की ओर से कन्वेंशन का आधार-पत्र प्रस्तुत किया जिसमें इस पहलू को विशेष रूप से रेखांकित किया गया कि देश के संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष और देशभक्त शक्तियों को एकजुट करने की हरसंभव कोशिश की जाएगी ताकि राष्ट्रविरोधी आरएसएस और भाजपा की साज़िश को परास्त किया जा सके।

कन्वेंशन की अध्यक्षता व संचालन सभी वाम दलों के सात सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने किया। झारखंड के भाकपा माले विधायक विनोद सिंह, सीपीआइ के पूर्व सांसद और वरिष्ठ वामपंथी नेता भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, भाकपा माले राज्य सचिव मनोज भक्त, आरएसपी के अखिल भारतीय महासचिव मनोज भट्टाचार्य, फारवर्ड ब्लॉक के अरुण मंडल, सीपीएम के सुखनाथ लोहरा व समीर दास, मासस के आरडी मांझी तथा ऐपवा की सुषमा मेहता समेत दर्जनों वक्ताओं ने कन्वेंशन को संबोधित किया।

कन्वेंशन द्वारा खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत सब्सिडी के तहत मिलने वाले अनाज की आपूर्ति सुनिश्चित किये जाने, मनरेगा को ख़त्म करने की साज़िश बंद करने, वन अधिकार कानून में कॉर्पोरेटपरस्त संशोधन निरस्त्र किये जाने, विस्थापन योग का गठन किये जाने और देश का गौरव रहे हटिया स्थित एचईसी को बंदी से बचाने के लिए केंद्र की सरकार द्वारा तत्काल संरक्षण दिए जाने की मांग संबंधी प्रस्ताव भी लाए गए।

भाकपा माले पोलित ब्यूरो सदस्य जनार्दन प्रसाद द्वारा प्रस्तुत कन्वेंशन के राजनीतिक प्रस्ताव में दिल्ली के जंतर मंतर पर लगातार धरना दे रही देश की महिला पहलवानों की मांग, महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा सांसद की जल्द से जल्द गिरफ्तारी, मणिपुर में एथनिक टकराव रोकने, अडानी समूह द्वारा राष्ट्रीय संपदा की लूट रोकने, झारखंड में भ्रष्ट नौकरशाहों पर लगाम लगाने, झारखंड में जारी भूमि-लूट रोकने, सही राज्य नियोजन नीति बनाने, बढ़ती महंगाई के अनुकूल न्यूनतम मज़दूरी तय करने की मांग की गयी। विशेष रूप से यह भी मांग की गयी कि, राज्य में हुए मॉबलिंचिंग के शिकार लोगों के परिजनों को जल्द से जल्द समुचित मुआवज़ा दिए जाने के साथ साथ लंबित झारखंड मॉबलिंचिंग रोक अधिनियम जिसे राजभवन ने वापस कर दिया था, उसे दुरुस्त कर पुनः राजभवन को भेजा जाए ताकि उस अनुरूप कानून बन सके इत्यादि की मांग की गई।

इस कन्वेंशन से पारित वामदलों की भावी कार्ययोजना के तहत यह निर्णय लिया गया कि वाम दलों के राज्यव्यापी संयुक्त जन अभियान के तहत आगामी दिसंबर माह में राज्य स्तरीय विशाल संयुक्त वाम जन प्रदर्शन किया जाएगा। जिसकी चरणबद्ध तैयारी के लिए आगामी जून माह में प्रदेश के सभी जिलों में संयुक्त वाम-कन्वेंशन आयोजित किये जायेंगे। जुलाई-अगस्त महीने में जन मुद्दों को लेकर प्रखंड स्तरीय प्रदर्शन होंगे। सितंबर माह में प्रदेश के तीन मुख्य जोन में जत्थे निकालकर राज्यव्यापी अभियान को गांव गांव तक ले जाया जाएगा।

यह पूरा वाम जन अभियान इस बात पर केंद्रित होगा कि व्यापक लोकतांत्रिक-देशभक्त शक्तियों कि एकजुटता बढ़ने के साथ साथ मौजूदा आरएसएस-भाजपा शासन के खिलाफ वैकल्पिक नीतियों को आम जन तक ले जाया जाएगा।

गैर-भाजपा विपक्षी महागठबंधन के लिए जारी प्रयासों के मद्देनज़र इस पहलू को विशेष रूप से उठाते हुए सभी वामपंथी दलों की ओर से भाकपा माले पोलित ब्यूरो सदस्य मनोज भक्त ने कहा कि संयुक्त विपक्षी महागठबंधन बनाने वालों को वाम दलों को भी शामिल करना होगा। इसमें उन्होंने कहा कि यह बात स्थापित सत्य और सर्वविदित है कि आरएसएस-भाजपा के खिलाफ सिर्फ वाम दल ही हैं जो ज़मीनी स्तर पर मुकाबला करते हुए देखे जा सकते हैं। ऐसे में वामदलों को साथ लिए बगैर महागठबंधन अधूरा और उनकी लड़ाई भी अधूरी रहेगी। इस तरह इस पूरे मसले को यूं ही नहीं टाला जा सकता है। 

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