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अमेरिका ने मनाया पहला आधिकारिक इंडिजेनस पीपल्स-डे

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इंडिजेनस पीपल्स-डे को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने के लिए एक घोषणा पर दस्तखत किए, जिसे कई लोग एक प्रतीकात्मक संकेत मान रहे हैं।
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वाशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस के बाहर 11 अक्टूबर को इंडिजेनस पीपल्स-डे पर प्रदर्शन का एक दृश्य। फोटो: स्वदेशी पर्यावरण नेटवर्क/ट्विटर

जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने इतिहास में पहली बार ‘इंडिजेनस पीपल्स-डे’ मनाने का विचार किया तो इंडिजेनस एक्टिविस्ट इसे आधिकारिक तौर पर ‘कोलंबस दिवस’ की तरह ही संघीय अवकाश के रूप में बदलने की मांग कर रहे हैं। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हर साल अक्टूबर के दूसरे सोमवार को वार्षिक ‘कोलंबस दिवस’ समारोह के साथ ही शुक्रवार 8 अक्टूबर को ‘इंडिजेनस पीपल्स-डे’ मनाए जाने की घोषणा की थी।

यूनाइटेड ट्राइब्स ऑफ ब्रिस्टल बे के कार्यकारी निदेशक अलन्ना हर्ले ने कहा, "मुझे लगता है कि यह वास्तव में इस बात की मान्यता देना है कि इंडिजेनस पीपल अभी भी अमेरिका में रहते हैं। हमलोग तो इतने लंबे समय से अमेरिका और उसकी मुख्यधारा की संस्कृति के विशाल बहुमत से अपनी पहचान पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं- कि हम केवल इतिहास की किताबों में ही दर्ज नहीं हैं।"

राष्ट्रपति की ताजा घोषणा इस तथ्य को मानती है कि इंडिजेनस पीपल ग्रुप्स के प्रति ऐतिहासिक रूप से हिंसा की गई है और उनके साथ भेदभाव किया गया है। इसलिए ही, और कई लोगों ने इसे एक प्रतीकात्मक कदम मानते हुए उनकी घोषणा का स्वागत किया है। वहीं, कई एक्टिविस्ट की नजर में इंडिजेनस लोगों के उम्मीदों पर खड़ा नहीं है।

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने यह भी कहा था कि राज्य और स्थानीय सरकारों को ‘इंडिजेनस पीपल्स डे’ का पालन करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने उसी दिन अलग से एक और घोषणा की, जिसमें जोर देकर कहा गया कि ‘कोलंबस दिवस’ एक संघीय अवकाश बना रहेगा।

‘कोलंबस दिवस’ (12 अक्टूबर, 1492) इतालवी नाविक क्रिस्टोफर कोलंबस के नेतृत्व में अमेरिका में स्पेन की औपनिवेशिक विजय की याद दिलाता है। यह दिन 1934 से ही संघीय सरकार द्वारा मनाया जाता है और 1971 से इसे संघीय अवकाश घोषित किया गया है।

हालांकि कोलंबस की यात्रा और उसकी विजय कैरिबियन सागर तक ही सीमित थी और उसने आधुनिक अमेरिका को गलती से 18 वीं और 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध के मिथक-निर्माण और औपनिवेशिक इतिहासों के व्यापक संशोधनवाद वाला "इंडीज" (दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के बारे में मध्ययुगीन यूरोपीय एक अवधारणा) समझ लिया था। बाद में कोलंबस को उस व्यक्ति के रूप में माना जाने लगा जिसने अमेरिका की "खोज" की।

अमेरिका के इतालवी मूल के नागरिकों द्वारा अपने खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियों को वापस लेने के लिए ‘कोलंबस दिवस’ अभियान का समर्थन किया गया था। आज तक, बड़ी संख्या में इतालवी अपने समुदाय के अंदर और बाहर दोनों तरफ से की जाने वाली आलोचनाओं के बावजूद अमेरिकी समुदाय ‘कोलंबस दिवस’ को अपनी विरासत के एक उत्सव के रूप में मनाते हैं।

यहां तक कि ‘कोलंबस दिवस’ समारोह के जारी रहने का आश्वासन देते हुए बाइडेन ने "लाखों इतालवी अमेरिकियों" का जिक्र किया, जो "हमारे देश की परंपराओं और संस्कृति को समृद्ध करने में दिन-रात लगे हुए हैं और अपने राष्ट्र के लिए चिरकालिक योगदान दे रहे हैं।"

इंडिजेनस ग्रुप्स का तर्क है कि ‘कोलंबस दिवस’ केवल पांच शताब्दियों से भी अधिक समय से यूरोप में बसे लोगों एवं उनके वंशजों के जारी औपनिवेशिकरण को न केवल नजरअंदाज करता है बल्कि इसमें वह अपना गौरव समझता है। कोलंबस की पहली यात्रा का तत्काल प्रभाव तो यही हुआ कि स्पेनिश सैन्यबलों ने अमेरिका में बसी मूल जनजातियों और समुदायों का बड़े पैमाने पर उपनिवेशीकरण किया, उनका क्रूर संहार किया और उन्हें लूट लिया।

नवाजो नेशन के अध्यक्ष जोनाथन नेज़ ने ‘कोलंबस दिवस’ को बदलने के लिए एक लंबित बिल का समर्थन करते हुए इस महीने की शुरुआत में जारी एक बयान में कहा, "मूल जन समुदायों ने अपनी आने वाली पीढ़ियों को उपनिवेशीकरण, समावेश(एसिमिलेशन), बीमारी और नरसंहार से बचाने के लिए पूरे अमेरिका में लड़ाई लड़ी है।" उन्होंने कहा कि “इनमें से कई अत्याचार आज भी जारी हैं, लेकिन इस भूमि के मूल निवासी बेहद लचीले और मजबूत हैं और वे आज भी समृद्ध बने हुए हैं।"

नेज़ ने कहा, "इंडिजेनस पीपल्स डे की मान्यता हमारी आने वाली पीढ़ियों को उनकी पहचान को उजागर करने और हमारी संस्कृतियों, भाषाओं और स्वदेशी के अस्तित्व को बढ़ावा देने में मदद करेगी।"

अन्य औपनिवेशिक शक्तियों के उभरने और यूरोप से विदेशी समस्या के आने के साथ ही अमेरिका के उपनिवेशीकरण के कारण पूरे महाद्वीप में मूल आबादी में भारी गिरावट आई है। इतिहासकारों के अलग-अलग अनुमानों के अनुसार, 15 वीं शताब्दी के अंत तक समूचे अमेरिका में, मुख्य रूप से मध्य और दक्षिण अमेरिका के आसपास मूल निवासियों की आबादी 50-100 मिलियन के बीच थी।

आधुनिक अमेरिका में, पूर्व-कोलंबियाई आबादी के बारे में ऐतिहासिक अनुमान है कि उनकी आबादी 2 मिलियन से 18 मिलियन के बीच हो सकती है। ऐतिहासिक रूप से दर्ज कई जनजातियां और समुदाय विस्थापनों, नरसंहारों, औपनिवेशिक युद्धों और यहां तक कि जनजातियों के लिए अनजान समस्याओं की महामारी से लगभग पूरी तरह से समाप्त हो गए हैं। 20वीं सदी के अंत तक उनकी यह संख्या घटकर लगभग सवा लाख रह गई थी।

1970 के दशक से उपनिवेशवाद विरोधी और स्वदेशी समूहों एवं नवाजो नेशन और अन्य, जैसे आदिवासी अधिकरणों ने स्थानीय और राज्य विधानों को ‘इंडिजेनस पीपल्स डे’ मनाने के लिए प्रेरित करते रहे हैं, जिनके मिले-जुले प्रयासों से दक्षिण डकोटा 1989 में ‘कोलंबस दिवस’ की जगह आधिकारिक तौर पर "इंडिजेनस पीपल्स डे" को मान्यता देने वाला पहला राज्य बना।

आज तक, अमेरिका के 130 से अधिक शहरों और 21 राज्यों में ‘इंडिजेनस पीपल्स डे’ किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। रूढ़िवादी और दक्षिणपंथी समूहों का झगड़ा मोल लेने के डर से अमेरिका में बहुत कम लोगों ने ही ‘कोलंबस दिवस’ को ‘इंडिजेनस पीपल्स डे’ से बदलने का जोखिम उठाया है, वरना अधिकतर लोग दोनों अवसरों को एक ही दिन मना लेने पर मानने जा रहे हैं।

आधिकारिक संरक्षण प्राप्त होने के पहले से ही, अमेरिका भर में सैकड़ों स्थानों पर इंडिजेनस पीपल्स डे मनाया जाता रहा है। यह दिवस ऐतिहासिक रूप से तथा मौजूदा समय में जारी अपराधों और मूल बाशिंदों के दमन-उत्पीड़न दोनों को ही उजागर करने के एक साधन के रूप में मनाया जाता है।

साथ ही साथ, कार्यकर्ता मूल जन समुदायों को प्रभावित करने वाले मौजूदा मुद्दों को उजागर करना जारी रखे हुए हैं, जिनमें अन्य बातों के अलावा, खनन और पाइपलाइन परियोजनाओं से उनकी जमीन के हुए नुकसान, मूल अमेरिकियों पर निरंतर हमले और हिंसा, विभिन्न प्रशासनों द्वारा संधि अधिकारों का उल्लंघन और स्वदेशी व्यक्तियों द्वारा संस्थागत भेदभाव का सामना किया जाना आदि शामिल हैं।

वाशिंगटन डीसी में स्थित राष्ट्रपति कार्यालय, व्हाइट हाउस के बाहर हुए एक प्रदर्शन ने इन मुद्दों को गंभीरता से रेखांकित कर दिया है। प्रदर्शन में शामिल दर्जनों लोग कई बड़ी खनन परियोजनाओं पर बाइडेन प्रशासन की चुप्पी की आलोचना करने वाली तख्तियां लिए हुए थे। जब वहां तैनात कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने साउंड कैनन के जरिए इन प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया तो दर्जनों लोग और उस प्रदर्शन में शामिल हो गए।

साभार: पीपल्स डिस्पैच

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें

US Observes First Official Indigenous Peoples’ Day

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