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यूपी : तब्लीग़ी जमात के सदस्यों ने लगाए क्वारंटाइन में उनके साथ हुई क्रूरता के आरोप

‘और जमात में जाएगा?' एक पुलिस वाले ने उनके भतीजे से सवाल किया था।
यूपी

लखनऊ: ‘कोरोना जिहाद फैला रहे हो तुम लोग, तुम साले मुल्ले जब तक मारे ना जाओ कायदे से, अपनी औकात में नहीं रहोगे, निज़ामुद्दीन पहुँचा दूंगा सबको।’ सईद अख़्तर (बदला हुआ नाम) जब अपने भतीजे द्वारा सुनी गई लाइनों को दोहरा रहे थे तो उनकी आवाज़ काँप रही थी। उनका भतीजा मुदस्सर (बदला हुआ नाम) जो कि तब्लीग़ी जमात का एक सदस्य है, को फ़िलहाल मेरठ में क्वारंटाइन (एकांतवास) में रखा गया है।

जबसे नई दिल्ली की तब्लीग़ी जमात की ख़बर सुर्खियों में आई है तबसे इस घटना को लेकर जिस तरह की प्रतिक्रियाएं निकल कर सामने आ रही हैं, उस सबने उत्तर प्रदेश में इसे एक सांप्रदायिक रंग दे डाला है।

तब्लीग़ी जमात के कई सदस्यों का आरोप है कि मेरठ में क्वारंटाइन में रखे जाने के दौरान उन्हें सांप्रदायिक आधार अपमानजनक टिप्पणियाँ, दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। इन लोगों को यहाँ पर नोवेल कोरोना वायरस के संपर्क में आने के बाद से रखा गया है। इनका आरोप है कि प्रशासन उनके साथ दुर्व्यवहार कर रहा है और कई युवाओं ने सरकारी अधिकारियों पर सांप्रदायिक आधार पर टीका-टिप्पणी करने का इल्ज़ाम लगाया है।

इस बारे में सईद बताते हैं कि “करीब दो महीने पहले मुदस्सर ने अपने इंटरमीडिएट की परीक्षा में भाग लिया था। तीन दिनों के लिए वह मवाना (मेरठ का एक उप-ज़िला) की जमात में शामिल हुआ था, जहाँ पर वह शायद जमात में आए विदेशी प्रतिनिधियों के संपर्क में आ गया था”। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि “मुदस्सर जब वापस घर लौटकर आया था तो वह “पूरी तरह से स्वस्थ्य” था, लेकिन कुछ दिन बाद जब उसमें कोरोना वायरस के लक्षण नजर आने लगे तो वह किला परीक्षितगढ़ में एक इंटरमीडिएट कॉलेज में दाखिल हो गया था, जिसे क्वारंटाइन केंद्र में तब्दील कर दिया गया था।

सईद आगे बताते हैं कि उनके भतीजे को दो दिन बाद जांच के लिए एक लैब में ले जाया गया जहाँ उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। इसके बाद फिर उसे मेरठ शहर के पांचली खुर्द इलाके में एक अन्य क्वारंटाइन सेंटर ले जाया गया। सईद आरोप लगाते हुए कहते हैं “यहाँ से ले जाने से पहले सब-इंस्पेक्टर संजय बालियान ने मुदस्सर के साथ मार-पीट की थी। मुदस्सर को पीटते हुए बलियान कह रहा था 'और जमात में जायेगा? " न्यूज़क्लिक को उन्होंने बताया कि "क्वारंटाइन सेंटर ले जाने से पहले वे लोग उस पर सांप्रदायिक टिप्पणियाँ कर रहे थे।" 

सईद आरोप लगाते हुए कहते हैं कि बालियान ने उनके भतीजे को काफी धमकाया और मारा पीटा है। मुदस्सर के शरीर पर चोट के नीले-लाल निशान पड़ रखे हैं। उसने मुझे यह सब जानकारी किसी दूसरे के फोन से दी थी, क्योंकि उसके पास अपना कोई मोबाइल फोन नहीं है। फ़िलहाल वही अपने भतीजे की देख-रेख कर रहे हैं, क्योंकि उसके पिता का देहान्त हुए काफी अर्सा बीत चुका है।

मवाना में जिन तीन परिवारों के सदस्य कोविड-19 की जाँच में पॉजिटिव पाए गए थे, उनका दावा है कि इन तीनों मरीजों को पुलिस ने मेरठ वाले क्वारंटाइन सेंटर में स्थानांतरित किए जाने से पहले जिस अस्थाई क्वारंटाइन सेंटर रखा गया था, वहाँ पर उनके साथ मार-पीट की थी।

इन रोगियों में से एक व्यक्ति जिसकी उम्र 60 साल की होगी, को तो शारीरिक तौर पर घायल कर दिया गया है। पुलिस ने कथित तौर पर उसे इतनी जोर से मारा था कि उसका पाँव ही टूट गया था।

इस तीन लोगों के खिलाफ जिन लोगों ने पुलिसिया बर्बरता खुद अपनी आँखों से देख रखी है वे इस बारे में कुछ भी बोलने से डर रहे हैं। इसके बावजूद न्यूज़क्लिक को क्वारंटाइन में रखे गए कुछ रोगियों से बात कर पाने में सफलता हासिल हुई है, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बात करने पर अपनी रजामंदी दी थी।

एक व्यक्ति जिसके पिता के टेस्ट में कोरोना के लक्षण पॉजिटिव पाए गए थे उसे मवाना में क्वारंटाइन में रखा गया था, ने आरोप लगाया है कि उसके बूढ़े पिता को मारा पीटा गया था। जबसे मेरे पिता की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं मालूम कि मेरे पिता को इस बीच कहाँ पर रखा गया है। जब उन्हें एंबुलेंस ले जाया जा रहा था तो उस दौरान उन्हें बेरहमी से पीटा जा रहा था, और यहां तक ​​कि रास्ते में भी जब उन्हें मेरठ के क्वारंटाइन सेंटर में स्थानांतरित किया जा रहा था। वे न तो जमात के लिए गए थे और ना ही दिल्ली गये थे। आखिर उनका क्या कुसूर है? सिर्फ हमारी मुस्लिम पहचान के कारण हमारे साथ मार-पीट की जा रही है।

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इस बीच 11 अप्रैल को जमीअत उलमा, उत्तर प्रदेश की ओर से उत्तर प्रदेश के डीजीपी को इस बाबत एक पत्र लिखा गया है। पत्र में कहा गया है कि मेडिकल जांच के नाम पर कई जगहों पर पुलिस का रवैया बेहद सख्त देखने में आया है, और ऐसा लगता है कि पुलिस किसी मरीज की जगह किसी अपराधी या आतंकवादी को ढूंढ रही है। उदाहरण के लिए ऐसा ही एक वाकया मेरठ के मवाना शहर में देखने को मिला है। यहाँ पर तीन लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद पुलिस ने इन तीनों लोगों के साथ मारपीट की है।“

जमीअत उलेमा-ए-हिंद की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सैयद अशहद रशीदी ने अपने पत्र में पुलिस के खिलाफ जांच की मांग की है।

प्रवासियों को क्वारंटाइन में रहने की क़ीमत चुकानी पड़ रही है

वे सैकड़ों प्रवासी मज़दूर जिन्हें भारत के विभिन्न शहरों से पलायन करने के लिए मजबूर हो उठे थे, उनकी हालत भी इनसे कुछ बेहतर नहीं है। उनमें से अधिकांश बेहद दुर्दशा वाला जीवन बिताने के लिए मजबूर हैं और इनमें से काफी लोग जिन्हें उत्तर प्रदेश में क्वारंटाइन करने के लिए रखा गया है ने आरोप लगाए हैं कि सरकारी अधिकारी उनके साथ कुछ वैसा ही व्यवहार अपना रहे हैं जैसा कि आमतौर पर अपराधियों के साथ किया जाता है।

इस बाबत न्यूज़क्लिक ने उन कार्यकर्ताओं से बातचीत की है जिन्होंने दावा किया था कि सारे उत्तर प्रदेश के गाँवों और कस्बों में जो अस्थाई क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं वहाँ पर बुनियादी सुविधाओं की बेहद कमी है। उन्होंने बताया है कि इन कमरों में पानी, शौचालय, और पंखे तक की सुविधा नहीं है। कुछ मामलों में तो गाँव के मुखिया तक इन लोगों को भोजन उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। और यदि कोई घर से इनके लिए खाना लेकर आता है तो पुलिस उनको पीट रही है।

इन क्वारंटाइन केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव के चलते सीतापुर जिले के केंद्र से 18 प्रवासी मज़दूर भाग निकले हैं। इस सिलसिले में 10 अप्रैल को,  सीतापुर जिले के पिसावन क्षेत्र में पिपरी शादीपुर गाँव के सरपंच (ग्राम प्रधान) को नामजद किया गया था और लेखपाल और पंचायत सचिव को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया था, क्योंकि प्राथमिक विद्यालय में 18 मज़दूरों को कोविड-19 की मेडिकल जाँच के बिना ही जाने दिया गया था।

यूपी के ग्रामीण इलाकों में चलाए जा रहे क्वारंटाइन केन्द्रों में मौजूद खामियों की श्रंखला को उजागर करती यह ताजातरीन घटना है। यहाँ पर उन लोगों को रखा गया था, जिनमें खासतौर पर बेरोजगार प्रवासी शामिल हैं, और जो लोग हाल ही में दूसरे राज्यों से लौट कर पहुँचे थे, क्वारंटाइन केन्द्रों से भाग खड़े हुये हैं

सीतापुर की एक कार्यकर्ता, रिचा सिंह ने आरोप लगाया है कि ये प्रवासी यहाँ से इसलिये भागे “क्योंकि उनके लिए भोजन और बिस्तर का कोई प्रबंध नहीं था। उनमें से किसी एक ने 112 पर डायल किया था, जिसके बाद डीएम और एसपी गांव पहुँचे थे और तब जाकर यह मुद्दा प्रकाश में आ सका।”

इससे पहले भी न्यूज़क्लिक ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि किस प्रकार गुरुग्राम से आये एक प्रवासी मज़दूर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में क्वारंटाइन में रखा गया था। जहाँ पर उसे पुलिस की ओर से बदसलूकी और मारपीट का शिकार होना पड़ा था, जिसके चलते उसने ख़ुदकुशी कर ली थी।

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