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छत्तीसगढ़ की वीडियो की सच्चाई और पितृसत्ता की अश्लील हंसी

छत्तीसगढ़ के बदौला बाजार की दो वीडियो वायरल हो रही हैं। एक में कुछ पुरुष एक महिला और उसकी सहेली को बड़ी बेरहमी से मार रहें हैं। लोग इस मुद्दे को लखनऊ के कैब ड्राइवर व प्रियदर्शिनी वाले मुद्दे से जोड़ रहे हैं और अधिकांश कैप्शन के यही भाव हैं कि इनके सर पर नारीवाद का भूत सवार है, इनके साथ ऐसा ही होना चाहिए।
छत्तीसगढ़ की वीडियो की सच्चाई और पितृसत्ता की अश्लील हंसी
'प्रतीकात्मक फ़ोटो' साभार: Feminism in India

हम उस समाज में रहते हैं जहां लोग एक लड़की की गलती के लिए सभी लड़कियों को गलत ठहरा देते हैं। हम उस समाज के हिस्सा हैं जहां हर व्यक्ति के भीतर एक न्यायाधीश बैठा हुआ है, जो बिना सबूत और गवाहों के बस स्टेरि डिसाइसेस (Stare Decisis) के आधार पर ही फैसला सुनाता है और लड़कियों को गुनहगार ठहरा देता है। स्टेरि डिसाइसेस (Stare Decisis) एक कानूनी शब्द है जिसका मतलब होता है कि अतीत के किसी मुकदमें के फैसले के आधार पर वर्तमान समय के किसी मुकदमें का फैसला दे देना। और ऐसी घटनाएं हमारे समाज में लड़कियों के साथ सबसे अधिक होती हैं। उपर्युक्त बातें अभी वायरल हो रही वीडियो के संदर्भ में और अधिक सही साबित होती नज़र आ रही हैं।

छत्तीसगढ़ के बदौला बाजार की दो वीडियो जमकर वायरल हो रही हैं। जिसमें कुछ पुरुष एक महिला और उसकी सहेली को बड़ी बेरहमी से मार रहें हैं। आपने भी किसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म के फीड को स्क्रोल करते हुए इस वीडियो को देखा ही होगा। मुद्दा वायरल वीडियो नहीं है क्योंकि आज हर वीडियो वायरल हो जाता है मुद्दा उसके नीचे लिखा जाने वाला कैप्शन है, लोग इस मुद्दे को लखनऊ के कैब ड्राइवर व प्रियदर्शिनी वाले मुद्दे से जोड़ रहें हैं और अधिकांश कैप्शन के यही भाव हैं कि इनके सर पर नारीवाद का भूत सवार है, इनके साथ ऐसा ही होना चाहिए। 

कई यूज़र्स को तो ये भी नहीं पता था कि यह वीडियो कहां की है लेकिन उन यूज़र्स ने पितृसत्तात्मक समाज के एक वफ़ादार सिपाही की तरह बड़ी अभिमानी ढंग से लिखा कि यह लखनऊ नहीं है, यह बिहार है। यहां नारीवाद का सारा भूत झाड़( उतार) दिया जाएगा। कई लोग इस वीडियो को दिल्ली का बात रहे हैं तो कई लोग हरियाणा, राजस्थान का, जो जहाँ का है वो वहाँ का बता कर वीडियो डाल रहा है लेकिन कैप्शन वही है कि यह लखनऊ नहीं है। एक पितृसत्तात्मक समाज नारीवाद से इतना बौखलाया हुआ क्यों है? क्या उसे डर है कि पितृसत्ता के उनके किले को एक न एक दिन नारीवाद ढाह देगा? 

वायरल वीडियो की सच्चाई क्या है?

दरअसल छत्तीसगढ़ के बदुलाबाज़ार के सिमगा में एक भारतीय जनता पार्टी का पार्षद सूर्यकांत ताम्रकार अपने एक दोस्त की पत्नी को अपने साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए कई दिनों से कह रहा था। पार्षद ने अभद्र बातें कहकर महिला पर संबंध बनाने का दबाव बनाया। महिला ने जब उस से कहाँ कि आपको शर्म नहीं आती है मैं आपकी भाभी हूँ तो पार्षद ने बड़ी बेशर्मी से कह दिया कि देवर भाभी में ये सब चलता है। इस बात पर गुस्साई महिला ने पार्षद को चप्पलों से पीट दिया। फिर क्या था ये वीडियो वायरल हो गया लेकिन पार्षद की बेशर्मी फिर भी कम नहीं हुई। उसने दुबारा महिला पर ऐसा ही दबाव बनाया। बेशर्मी या फिर उस मर्द के भीतर का अहंकार जो अपने अपमान का बदला उस महिला के शरीर और स्वाभिमान को रौंद कर लेना चाहता था। तब महिला अपनी एक सहेली को साथ लेकर पार्षद के दुकान पर जा धमकी। उसके बाद पार्षद के दोस्त और समर्थकों ने महिला और उसकी सहेली को बहुत बेरहमी से पीटा जिसका वीडियो आप सब ने देखा।

वीडियो में दिखता है कि महिला अपनी सहेली के साथ पार्षद को एक दुकान के सामने कुछ समझा रही है लेकिन पार्षद के दोस्त और समर्थक उसके साथ बदतमीजी से बात करते हैं और महिला को बोलते हैं कि हाथ लगा के दिखा, तब महिला डंडे से उनमें से एक को मारती है और तीन डंडे लगने के बाद वो महिला से डंडा छीन लेते हैं और उसे बुरी तरह से मारने लग जाते हैं, महिला के बाल पकड़ कर उसे खींचते हैं और फिर ज़मीन पर उसके सिर को पटक देते हैं।

जो लोग इस पूरी घटना की वीडियो बना रहे होते हैं उनकी भी आवाज वीडियो में सुनाई देती है। वो लोग काफ़ी खुश हैं और बोल रहे हैं कि सही किया... एक दम सही। 

अगले वीडियो में महिला रोड पर खड़ी है और खड़े रहने की कोशिश कर रही है लेकिन खड़ी नहीं हो पा रही है। उसके नाक और मुँह से बुरी तरह से खून निकल रहा है। लोग वीडियो बना रहे हैं लेकिन कोई भी मदद को नहीं आता है। इस वीडियो को भी लोग बड़े मजाकिया अंदाज में पोस्ट कर रहे हैं और कैप्शन में फिर वही लखनऊ वाले पूर्वाग्रह की बात लिखी जा रही है। 

महिलाओं के साथ मारपीट के मामले में अभी तक एक ग‍िरफ्तार हो चुका है, और पुलिस को दूसरे आदमी की तलाश है। 

एसडीओपी भाटापारा सिद्धार्थ बघेल ने बताया कि इस मामले में आईपीसी की धारा 294, 506, 323, 452, 334 के तहत एक आरोपी पिंकू देवांगन को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि भाजपा नेता सूर्यकांत ताम्रकार फिलहाल फरार है जिसकी तलाश की जा रही है।

मामले की सच्चाई जाने बिना, ना जाने कितने लोगों ने दोनों महिलाओं को गलत ठहरा दिया क्योंकि महिलाओं का मर्दों पर हाथ उठाना हमारी संस्कृति के खिलाफ है लेकिन मर्दो का महिलाओं पर हाथ उठाना संस्कृति में निहित है। अगर मर्द औरत पर हाथ उठाये तो शान और वश में रखने की बात हो जाती, लेकिन वहीं औरत मर्द पर हाथ उठा दे तो मर्द को कायर और औरत को बदचलन कहा जाता है। यह हमारे समाज की सामाजिक और मानसिक संरचना है। जहां एक बच्चे को मर्द बनाया जाता है और एक बच्ची को महिला। "नारीवादी सिमोन द बोउआर ने कहा था “महिला पैदा नहीं होती उसको महिला बनाया जाता है।" 

लखनऊ की एक लड़की के गलती के लिए सारी महिलाओं को गलत ठहराने वाले लोग ये क्यों भूल गए कि अपने देश में हर दिन 88 बलात्कार के मुकदमें दर्ज होते हैं (NCRB's) और बस 2019 में 32,033 मामले बलात्कार के दर्ज हुए थे। ये वो मामले हैं जो दर्ज हुए थे, ना जाने ऐसे कितने मामले समाज, कुल, खानदान की इज्जत के नाम पर दबा दिए गए होंगे। और यह पितृसत्तात्मक समाज एक लखनऊ के मामले को लेकर सभी महिलाओं पर दोषारोपण कर रहा है। इस वीडियो ने समाज की उस सच्चाई को सामने ला दिया है, जो कहता है कि हम पुरूष और महिला में भेदभाव नहीं करते हैं।

अंकित शुक्ला दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म से पत्रकारिता में मास्टर्स कर रहे हैं। लेख में निहित विचार उनके निजी हैं

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