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क्या सरकार की पीएम मोदी के जन्मदिन पर ढाई करोड़ लोगों के टीकाकरण की बात 'झूठ' थी?

लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बताया कि पीएम मोदी के जन्मदिन के अवसर पर मृत लोगों और वैक्सीन न लेने वालों को भी डेटा एंट्री करते समय हुई गलती के चलते सर्टिफिकेट जारी हुए।
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सरकार की ओर से इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 18 सितंबर को देश-विदेश में एक बड़ी उपलब्धी के तौर पर ज़ोर-शोर से प्रदर्शित किया गया था। इसका एक बड़ा कारण वो सरकारी दावा था जिसमें कहा गया था कि इस दिन कोविड टीकाकरण अभियान के तहत एक दिन में सबसे अधिक देश के ढ़ाई करोड़ लोगों का टीकाकरण हुआ है, सरकार की तरफ से इसे एक रिकॉर्ड के तौर पर पेश किया गया। खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। जिसके बाद प्रधानमंत्री के ट्विटर हैंडल से भी इसे ट्वीट किया गया था।

हालांकि अगले ही दिन कई राज्यों में वैक्सीन लगाने की दर में भारी कमी के चलते वैक्सीनेशन के इस सरकारी दावे पर सवाल उठने लगे थे, मीडिया में गड़बड़ियों की खबरें आने लगी थीं, लेकिन तब सरकार इसका उत्सव मनाने में व्यस्त थी, लेकिन अब मीडिया में आई खबरों की माने तो सरकार ने खुद इसकी सच्चाई स्वीकार कर ली है।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर जिन ढाई करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाने का दावा किया जा रहा था, उसके आकंड़ों में एक बड़ा झोल सामने आया है। बताया जा रहा है कि इस दिन अभियान के दौरान आनन-फानन में उन लोगों को भी वैक्सीन सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए, जिनका या तो निधन हो चुका था या फिर जिन्हें टीका लगा ही नहीं था। ये बात भी खुद सरकार ने लोकसभा में एक लिखत सवाल के जवाब में स्वीकार की हैं।

क्या है पूरा मामला?

आरटीआई एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने इस पूरे मामले को लेकर सोशल मीडिया पर लोकसभा के सवाल-जबाव से संबंधित एक दस्तावेज़ की फोटो पोस्ट की है। इस फोटो में अभिषेक बनर्जी के सवाल और मंत्रालय के जवाब का जिक्र है। फोटो के साथ ही साकेत गोखले ने लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर प्रचार के उद्देश्य से नकली वैक्सीन सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए। ये सरकार एक नेता के प्रचार प्रसार के लिए लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रही है।

गोखले की पोस्ट के मुताबिक टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने लोकसभा में इस टीकाकरण के संबंध में सवाल पूछा था, जिसके जवाब में 10 दिसंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का जवाब आया, जिसमें इस बात को स्वीकार किया गया कि पीएम मोदी के जन्मदिन के अवसर पर मृत लोगों और वैक्सीन न लेने वालों को भी सर्टिफिकेट जारी हुए।

इस पोस्ट के मुताबिक अभिषेक बनर्जी ने मुख्य तौर पर तीन सवाल पूछे थे। इसमें पहला सवाल था कि क्या सरकार ने इस बात का संज्ञान लिया है कि वैक्सीनेशन ड्राइव के दिन उन लोगों को भी सर्टिफिकेट जारी किए गए जिनका या तो निधन हो चुका था या फिर जिन्हें वैक्सीन लगी ही नहीं।

दूसरा सवाल ये कि अगर ऐसा हुआ है तो क्या इन सर्टिफिकेट्स को उस दिन लगे ढाई करोड़ टीकों में जोड़ा गया और तीसरा कि ऐसा भविष्य में ना हो, इसके लिए क्या कदम उठाए गए या उठाए जा रहे हैं।

सरकार का जवाब

इन सवालों का जवाब केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से इस तरह से दिया गया है। इसमें पहले सवाल के जवाब में कहा गया है कि डेटा एंट्री करते समय हुई गलती की वजह से कुछ मामलों में उन लोगों को वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जारी किए गए, जिनका या तो निधन हो चुका था या फिर जिन्हें टीका लगा ही नहीं।

मंत्रालय ने बनर्जी के दूसरे सवाल का जवाब नहीं दिया। जिसमें पूछा गया था कि आखिर उस दिन लगे ढाई करोड़ टीकों में कितने ऐसे सर्टिफिकेट शामिल किए गए, जिन्हें उन लोगों को जारी किया गया था जिनका या तो निधन हो चुका था या फिर जिन्हें टीका लगा ही नहीं।

तीसरे सवाल के जवाब में कहा गया है कि भविष्य में ऐसा ना हो, इसके लिए कोविन पोर्टल पर टीका लगवाने वाले के फोन नंबर और फोटो आईडी कार्ड नंबर का ध्यान से वेरिफिकेशन किया जा रहा है। साथ ही साथ चार अंकों का सीक्रेट कोड जारी किया जा रहा है, ताकि टीका लगाने से पहले टीका लगाने वाले उसका मिलान कर सकें। मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को समय-समय पर डेटा एंट्री में सुधार करने के भी आदेश दिए हैं।

आंकड़ों का खेल और डैमेज कंट्रोल

गौरतलब है कि देश में अगर कोविड वैक्सीनेशन के आंकड़ों की बात करें तो कोविन पोर्टल के मुताबिक अब तक करीब एक अरब 33 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज लगाए जा चुके हैं। इनमें से 81 करोड़ लोगों को पहला और 51 करोड़ लोगों को दोनों डोज लग चुके हैं। हालांकि इन आंकड़ों की जमीनी सच्चाई पर भी अक्सर विवाद ही सामने आता है।

बहरहाल, ये हैरानी के साथ ही शर्मिंदगी की बात भी है कि जिस तरह एक समय कोविड के पीक पर मरने वालों की संख्या को छुपाने की कोशिश की जा रही थी, उसी तरह अब डैमेज कंट्रोल के नाम पर वैक्सीन की डोज़ के आंकड़ों के साथ खिलवाड़ कर लोगों को फिर धोखे में रखा जा रहा है। ये मामला सामने आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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