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स्पैम व्यापार का मुद्दा क्यों है? क्योंकि यह विकसित देशों के अनुकूल काम करता है

विकसित देश स्पैम पर विश्व व्यापार संगठन के प्रस्तावों को अपनाने पर ज़ोर दे रहे हैं। वे आईटीयू की तुलना में विश्व व्यापार संगठन में बातचीत करना अधिक पसंद करते हैं क्योंकि उनकी आर्थिक शक्ति उन्हें विश्व व्यापार संगठन में अधिक प्रभावशाली बनाती है।
Why is Spam a Trade Issue? It Suits Dominant Developed Countries

2012 में, विकसित देशों ने वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस ऑफ इंटरनेशनल टेलीकम्यूनिकेशंस (डब्ल्यूसीआईटी) के इंटरनेशनल टेलीकम्यूनिकेशंस यूनियन (आईटीयू) के विश्व सम्मेलन में संधि के रूप में अपने अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार विनियमों (आईटीआर) को संधि के स्तर को शामिल करने का पुरजोर विरोध किया था। हालांकि, दस साल से भी कम समय के बाद, वही देश विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के संधि-स्तर के नियमों में ऐसे ही प्रावधानों को बढ़ावा देने पर ज़ोर दे रहे हैं। चूंकि विश्व व्यापार संगठन की तुलना में अधिकतर देश आज आईटीयू के सदस्य हैं, इसलिए यह तर्कसंगत लगता होगा कि विकसित देशों को अब आईटीआर में इसी तरह के स्पैम-विरोधी प्रावधानों को बढ़ावा देना चाहिए। लेकिन वास्तव में, वे ऐसा नहीं करते हैं। वे आईटीयू में लगातार तर्क देते हैं कि संधि-स्तरीय प्रावधानों की जरूरत नहीं है और यहां तक कि वे हानिकारक भी हो सकते हैं।

चल क्या रहा है? शायद पुराने जमाने की फॉरम-शॉपिंग चल रही है। आईटीयू जैसे अन्य मंचों की तुलना में प्रमुख विकसित देश अपनी आर्थिक शक्ति के कारण विश्व व्यापार संगठन में अधिक प्रभाव रखते हैं, इसलिए वे विश्व व्यापार संगठन में बातचीत करना अधिक पसंद करते हैं।

वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस ऑफ इंटरनेशनल टेलीकम्यूनिकेशंस 

2012 के अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार विनियम (ITR) में स्पैम से निपटने पर एक धारा है, जिसे "अनचाहा थोक इलेक्ट्रॉनिक संचार" कहा जाता है। खंड में कहा गया है कि:

7.1 सदस्य देशों को अवांछित थोक इलेक्ट्रॉनिक संचार के प्रसार को रोकने और अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार सेवाओं पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का प्रयास करना चाहिए।

7.2 सदस्य देशों को इस खंड के माध्यम से सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। 

2012 में जब इस खंड पर सहमति बनी तो अधिकांश विकसित देशों ने इसका विरोध किया था। उन्होंने विवादित संधि पर हस्ताक्षर करने से यह तर्क देते हुए इनकार कर दिया था कि स्पैम पर उपरोक्त प्रावधान इंटरनेट के मुद्दों को नियंत्रित करता है, सरकारों को सामग्री पर आधारित कार्रवाई करने के लिए उकसाता है और इंटरनेट पर अभिव्यक्ति को विनियमित करने के दायरे में लाता है (यहां देखें (पृष्ठ 75)।

जैसा कि एक अकादमिक लेख और पुस्तक (पृष्ठ 76-78) में तर्क दिया गया है, यह खंड की एक अत्यधिक संदिग्ध व्याख्या है।

सबसे पहली बात, स्पैम के प्रावधान में कोई बाध्यकारी भाषा नहीं है। (नोट "प्रयास करना चाहिए" और "प्रोत्साहित किया जाता है।" का इस्तेमाल किया गया है) तो यह स्पष्ट नहीं है कि उक्त खंड किसी भी चीज़ को "विनियमित" कैसे कर सकता है।

दूसरा, कई देशों में स्पैम के संबंध में पहले से ही प्रथाएं मौजूद थीं, इसलिए इस खंड का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आईटीआर आईटीयू संविधान के अधीन हैं, जो मानवाधिकारों को मान्यता देता है और मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक उपकरणों के अनुरूप है। इसलिए, आईटीआर में कुछ भी ऐसा नहीं है जो देशों के मानवाधिकार दायित्वों को सीमित कर सकता है। इसे स्पष्ट करने के लिए, 2021 आईटीआर की प्रस्तावना में एक प्रावधान जोड़ा गया था, जो कहता है, "सदस्य देश इन विनियमों को इस तरह से लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं जो उनके मानवाधिकार दायित्वों का सम्मान और पालन करते हैं।"

तीसरा, उद्देश्य और दायरे पर अनुच्छेद 1 में निम्नलिखित जोड़ा गया था: "ये विनियम दूरसंचार के सामग्री-संबंधित पहलुओं को संबोधित नहीं करते हैं।" इस संदर्भ में, सामग्री शब्द को उसके सामान्य अर्थ के अनुसार समझा जाना चाहिए, जो कि "वह जो इसमें निहित है", यानी दूरसंचार की वास्तविक सामग्री। चूंकि स्पैम पर आईटीआर धारा को अनुच्छेद 1 के मद्देनजर व्याख्यायित किया जाना चाहिए, जो संधि के दायरे को परिभाषित करता है और चूंकि अनुच्छेद 1 के तहत आईटीआर सामग्री को संबोधित नहीं करते हैं, इसलिए स्पैम पर बने खंड को सामग्री को संबोधित करने के लिए नहीं कहा जा सकता है।

इस प्रकार, स्पैम पर खंड स्पैम का मुकाबला करने के उपायों के बारे में है जो उसकी सामग्री पर निर्भर नहीं करते हैं। ऐसे कई उपाय हैं (जैसे एडरेस को फ़िल्टर करना), और कुछ का वर्णन आईटीयू-टीएक्स.1231 और एक्स.1240 में किया गया है और सिफ़ारिश की गई है।

चौथा, स्पैम पर खंड देशों को सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिसे स्पैम पर उचित कानून अपनाने के लिए सहयोग करना शामिल है और ऐसा करते समय सहयोग करना समझा जा सकता है। दरअसल, स्पैम का मुकाबला करने के लिए 2012 के विश्व दूरसंचार मानकीकरण एसेम्बली (डब्ल्यूटीएसए) का प्रस्ताव 52, जो आम सहमति से बना था, सदस्य देशों को "यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करता है कि स्पैम और उसके प्रसार का मुकाबला करने के लिए अपने राष्ट्रीय और कानूनी ढांचे के भीतर उचित और प्रभावी उपाय किए जाएं”।

कई देशों में स्पैम कानून मौजूद हैं। संभवतः, देशों के लिए यह वांछनीय होगा कि वे इन क्षेत्रों में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने में सहयोग करें। यही कि, स्पैम कानून विकसित करना जो मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं करते हैं, उचित प्रक्रिया का सम्मान करता है, और वाणिज्यिक अभिव्यक्ति को अत्यधिक प्रतिबंधित नहीं करता है।

बेशक, कोई देश सामग्री फ़िल्टरिंग लागू कर सकता है, लेकिन ऐसा करने के लिए वह कानूनी आधार के रूप में आईटीआर को लागू नहीं कर सकता है। यानी आईटीआर स्पैम खंड में उल्लिखित "आवश्यक उपाय" को सामग्री फ़िल्टरिंग के लिए इस्तेमाल नहीं कहता है।

विरोधाभासी रूप से, जो लोग स्पैम खंड को लागू करने से इनकार करते हैं क्योंकि वे कहते हैं कि यह सामग्री से संबंधित है, वे प्रभावी रूप से स्पैम का मुकाबला करने के उपायों की सीमाओं के खिलाफ बहस कर रहे हैं। वास्तव में वर्तमान में, कोई ऐसी (लेखक के ज्ञान के मुताबिक) अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ नहीं हैं जो मानव अधिकारों से संबंधित दायित्वों के अलावा, स्पैम पर देश क्या करते हैं उसे सीमित करता हैं। यदि यह समझा जाता है कि आईटीआर स्पैम खंड सामग्री से संबंधित नहीं है, तो इसका मतलब यह है कि यह खंड स्पैम के सामग्री-संबंधित पहलुओं से निपटने के लिए देशों को बाध्य नहीं करता है। यह एक महत्वपूर्ण प्रतिबंध है। जो लोग कहते हैं कि आईटीआर स्पैम खंड सामग्री पर लागू होता है, असल में, वे स्पैम पर प्रतिबंध से इनकार करते हैं और यथास्थिति को बनाए रखना चाहते हैं जहां स्पैम से निपटने के तरीके के बारे में कोई प्रतिबंध (मानव अधिकारों के अलावा) नहीं हैं। और वे ऐसी स्थिति पैदा कर रहे हैं जहां अंतरराष्ट्रीय कानून (मानव अधिकारों के अलावा) में स्पैम विरोधी उपायों के बारे में शिकायत करने का कोई आधार नहीं है।

विश्व व्यापार संगठन 

जो भी हो, लगता ऐसा है कि विकसित देशों के विचार बदल गए हैं क्योंकि वे अब व्यापार समझौतों में स्पैम विरोधी भाषा का पुरजोर समर्थन करते हैं। उदाहरण के लिए, विश्व व्यापार संगठन में चर्चा किए गए प्रस्तावों को देखें, जो आम सहमति पर पहुंच गए हैं। जब यह पेपर लिखा गया था तो ये प्रस्ताव दुर्भाग्य से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं थे लेकिन एक लीक संस्करण को नीचे पुन: प्रस्तुत किया गया है।

जैसा कि देखा जा सकता है, डब्ल्यूटीओ के प्रस्ताव 2012 के आईटीआर की तुलना में कहीं अधिक विस्तृत और निर्देशात्मक हैं। और विश्व व्यापार संगठन के निर्देशों में ऐसा कुछ भी नहीं है जो सामग्री से संबंधित उपायों को लागू करने पर रोक लगाता है, और न ही उनमें मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए कोई व्यापक प्रतिबद्धता है।

इस प्रकार, मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों के दृष्टिकोण से, विश्व व्यापार संगठन के प्रस्ताव आईटीआर के खंड से अधिक खतरनाक लगते हैं। 

बावजूद इसके जो भी विकसित देश जो आईटीआर खंड की आलोचना करते हैं, वे विश्व व्यापार संगठन के प्रस्तावों को अपनाने पर जोर दे रहे हैं।

फॉरम शॉपिंग 

तो विकसित देश विश्व व्यापार संगठन में संधि-स्तरीय प्रावधानों का समर्थन क्यों कर रहे हैं, जो उनके दृष्टिकोण से, आईटीयू प्रावधान के मुक़ाबले उन्हे कम स्वीकार्य होना चाहिए, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया था?

इसका उत्तर निस्संदेह यह है कि विकसित देशों के पास आईटीयू की तुलना में विश्व व्यापार संगठन में बातचीत करने की शक्ति कहीं अधिक है। कैसे विकसित दुनिया ने विकासशील देशों को उनके प्रतिकूल व्यापार सौदों को स्वीकार करने के लिए लगातार धमकाया है, इसका दुखद इतिहास यहां और यहां अच्छी तरह से दिया गया है।

स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। दुनिया भर के विकासशील देशों और नागरिक समाज संगठनों के एक विशाल बहुमत द्वारा विश्व व्यापार संगठन के कुछ प्रावधानों में ढील देने के लिए किए गए आह्वान को, जिन प्रावधानों की वजह से उनके लिए कोविड-विरोधी टीकों का उत्पादन करना मुश्किल होता है: इस आहवान या मांग पर विकसित देशों की प्रतिक्रिया एक दिखावटी प्रतिक्रिया रही है। उन्होने उस आह्वान को नकारा और विकासशील देशों को खुद के टीके बनाने से रोका। 

स्पैम एकमात्र ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसमें विकसित देश अपनी अधिक सौदेबाजी की शक्ति से लाभ उठाने के लिए आईटीयू से विश्व व्यापार संगठन में चर्चाओं को स्थानांतरित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह विकसित देशों के पाखंड का एक और उदाहरण है। विशेष रूप से, आईटीयू में स्पैम पर चर्चा के संबंध में, विकसित देशों ने 2021 में कहा था, उसी समय जब वे विश्व व्यापार संगठन में संधि-स्तरीय प्रावधानों को बढ़ावा दे रहे थे, कि:

  • संधि में अवांछित बल्क इलेक्ट्रॉनिक संचार जैसे मुद्दों को संबोधित करने से नेटवर्क ऑपरेटरों की बदलते नेटवर्क परिवेशों पर त्वरित प्रतिक्रिया देने की क्षमता में बाधा उत्पन्न होने का अनपेक्षित परिणाम हो सकता है।

  • 2012 के आईटीआर में मौजूद प्रावधान इतना लचीला नहीं है कि अवांछित थोक इलेक्ट्रॉनिक संचार का मुकाबला करने के लिए आवश्यक परिवर्तन को गति दे सके।  कुछ सदस्यों ने कहा कि "आवश्यक उपाय" जैसी शब्दावली इस मुद्दे से निपटने में  काम कर रहे निजी क्षेत्र के सेवा प्रदाताओं को बाधित कर सकती है।

  • 2012 के आईटीआर में प्रावधान जरूरी नहीं है क्योंकि इसे यह अनुकूल या लचीला नहीं बनाता है।

यदि 2012 का आईटीआर प्रावधान अब लागू नहीं है क्योंकि यह लचीला नहीं है, तो आईटीयू में इस पर बेहतर भाषा बनाने पर बातचीत क्यों नहीं की जाती है? और क्यों ऐसा लगता है कि विश्व व्यापार संगठन की भाषा अधिक विस्तृत और निर्देशात्मक और लचीली है और उसके नवाचार में बाधा डालने की संभावना कम है?

विश्व व्यापार संगठन में विकसित देशों की अधिक सौदेबाजी की शक्ति का लाभ उठाने के अलावा और क्या स्पष्टीकरण है?

शायद विकसित देश अपने प्रस्तावों को विश्व व्यापार संगठन में लाने के मामले में कम उत्सुक होंगे यदि यह अपने लक्ष्य को पूरा करने में सुधार करता है जिसका काम दुनिया के सभी लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना है।

स्पैम के संबंध में विश्व व्यापार संगठन के प्रस्ताव का लीक संस्करण:

अवांछित वाणिज्यिक इलेक्ट्रॉनिक संदेश:

सह-संयोजकों का नोट: इस खंड को अनौपचारिक चर्चाओं में स्पष्ट किया गया था और फिर 5 फरवरी 2021 की पूर्ण बैठक [ई-कॉमर्स पर संयुक्त वक्तव्य पहल] में इसका समर्थन किया गया था।

1. "वाणिज्यिक इलेक्ट्रॉनिक संदेश" का अर्थ एक इलेक्ट्रॉनिक संदेश है जो वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किसी व्यक्ति के इलेक्ट्रॉनिक पते पर दूरसंचार सेवाओं के माध्यम से भेजा जाता है, जिसमें कम से कम इलेक्ट्रॉनिक मेल और घरेलू कानूनों और विनियमों के तहत प्रदान की गई सीमा तक इस्तेमाल किया जा सकता है जिसमें अन्य प्रकार के संदेश भी शामिल हैं। "अनचाहे वाणिज्यिक इलेक्ट्रॉनिक संदेश" का अर्थ वह वाणिज्यिक इलेक्ट्रॉनिक संदेश है जो प्राप्तकर्ता की सहमति के बिना या प्राप्तकर्ता की स्पष्ट अस्वीकृति के बावजूद भेजा जाता है।

2. [पार्टियां/सदस्य] इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स में विश्वास को बढ़ावा देने के महत्व को पहचानते हुए,  जिसमें पारदर्शी और प्रभावी उपायों के माध्यम से अवांछित वाणिज्यिक इलेक्ट्रॉनिक संदेशों को सीमित करना शामिल है। प्रत्येक [पार्टी/सदस्य] ऐसे उपाय अपनाएगा या बनाए रखेगा जो:

(ए) उन संदेशों के निरंतर आवागमन को रोकने के लिए प्राप्तकर्ताओं की क्षमता को सुविधाजनक बनाएगा कि वाणिज्यिक इलेक्ट्रॉनिक संदेशों के आपूर्तिकर्ताओं को उसकी जरूरत है या नहीं; या

 (बी) वाणिज्यिक इलेक्ट्रॉनिक संदेश प्राप्त करने के लिए प्राप्तकर्ताओं से [पार्टी/सदस्य] कानूनों या विनियमों में निर्दिष्ट सहमति की जरूरत है; या 

(सी) अन्यथा अवांछित वाणिज्यिक इलेक्ट्रॉनिक संदेशों को कम से कम भेजा जाएगा। 

3. प्रत्येक [पार्टी/सदस्य] यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा कि वाणिज्यिक इलेक्ट्रॉनिक संदेश स्पष्ट रूप से पहचाने जाने योग्य हैं, स्पष्ट रूप से खुलासा करें कि वे किसकी ओर से भेजे गए हैं, और इसमें आवश्यक जानकारी शामिल है ताकि प्राप्तकर्ता मुफ्त में किसी भी समय इसे रोक सके। 

4. प्रत्येक [पार्टी/सदस्य] अवांछित वाणिज्यिक इलेक्ट्रॉनिक संदेशों के आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ या तो निवारण या कार्यवाही को सुलभ बनाएगा जो पैराग्राफ 2 के अनुसार अपनाए गए या बनाए गए उपायों का पालन नहीं करते हैं।

5. [पार्टियां/सदस्य] अवांछित वाणिज्यिक इलेक्ट्रॉनिक संदेशों के विनियमन के संबंध में आपसी चिंता के उपयुक्त मामलों में सहयोग करने का प्रयास करेंगे।

लेखक जाने-माने इंटरनेट गवर्नेंस विशेषज्ञ हैं। उन्होंने दिसंबर 2012 में दुबई में आईटीयू सम्मेलन में डब्ल्यूसीआईटी-12 सचिवालय टीम का नेतृत्व किया था। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।

 

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