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इफ़्तार को मुद्दा बनाने वाले बीएचयू को क्यों बनाना चाहते हैं सांप्रदायिकता की फैक्ट्री?

"बवाल उस समय नहीं मचा जब बीएचयू के कुलपति ने परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन और अनुष्ठान किया। उस समय उन पर हिन्दूवाद के आरोप चस्पा नहीं हुए। आज वो सामाजिक समरसता के लिए आयोजित इफ़्तार पार्टी में गए तो बावेला मचाया जाने लगा। इसके पीछे हिन्दूवादी संगठन हैं। बीएचयू अब खास मानसिकता के लोगों के चंगुल में फंसता जा रहा है जिनकी सोच सांप्रदायिकता पर आधारित है।"
BHU
रोज़ा इफ़्तार में बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन और अन्य शिक्षक। 

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति सुधीर कुमार जैन महिला महाविद्यालय में आयोजित रोज़ा इफ़्तार पार्टी में शामिल होने क्या चले गए, तथाकथित हिन्दूवादी संगठनों ने बवाल खड़ा कर दिया। इफ़्तार का आयोजन 27 अप्रैल को किया गया था। इस कार्यक्रम की तस्वीरें जैसे ही विश्वविद्यालय की ओर से जारी की गईं, वैसे ही छात्रों के एक बड़े वर्ग ने इसे तूल देना शुरू कर दिया। रोजा इफ़्तार कार्यक्रम में शामिल होने से नाराज छात्रों ने कुलपति आवास के बाहर उनका पुतला फूंका और जमकर नारेबाजी की। इन्हीं छात्रों ने अगले दिन गुरुवार की शाम वीसी लॉज के सामने हनुमान चालीसा के पाठ किया और कुलपति को मौलाना का खिताब तक दे डाला। इसी रात कैंपस में कई स्थानों पर दीवारों पर ब्राह्मणवाद के खिलाफ भड़काऊ नारे लिख दिए गए। दोनों मुद्दों को लेकर विवाद इतना ज्यादा गरम हो गया कि पुलिस प्रशासन को बीएचयू कैंपस में भारी फोर्स तैनात करनी पड़ी है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय में हर साल रोजा इफ़्तार कार्यक्रम का आयोजन होता रहा है। कोरोना संकट के चलते पिछले दो सालों से यह इफ़्तार नहीं हो सका था। परंपरा के मुताबिक 27 अप्रैल 2022 को महिला महाविद्यालय में रोजा इफ़्तार का आयोजन किया गया जिसमें बीएचयू के कुलपति प्रो.सुधीर कुमार जैन, रेक्टर प्रो. वीके शुक्ला, कुलसचिव अरूण कुमार, छात्र अधिष्ठाता प्रो. केके सिंह, चीफ प्रॉक्टर प्रो. भुवन चंद्र कापड़ी, पीआरओ डॉ. राजेश सिंह और एपीआरओ चंद्रशेखर मौजूद थे। इफ़्तार कार्यक्रम में डॉ. अफजल हुसैन, प्रो. नीलम अत्रि, कार्यवाहक प्रधानाचार्य प्रो. रीता सिंह, छात्र अधिष्ठाता प्रो. केके सिंह, चीफ प्रॉक्टर प्रो. बीसी कापड़ी, डॉ. दिव्या कुशवाहा भी मौजूद थे। इस मौके पर प्रो. सुधीर कुमार जैन ने छात्राओं से बातचीत की और उनकी दिक्कतों व जरूरतों के बारे में जानकारी हासिल की। बाद में कुलपति ने छात्राओं संग सेल्फी भी ली।

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बवाल क्यों खड़ा हुआ?

बीएचयू के जनसंपर्क विभाग ने रोजा इफ़्तार के बाद कार्यक्रम की तस्वीरें जारी कीं। ये तस्वीरें वाट्सएप ग्रुप और ट्वीटर पर शेयर की गईं, कैंपस में मानों भूचाल आ गया। तथाकथित हिन्दूवादी संगठनों से जुड़े तमाम छात्र 27 अप्रैल 2022 की रात वीसी लॉज पर पहुंच गए। ये छात्र इस बात को लेकर बेहद गुस्से में थे कि कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन इफ़्तार पार्टी में शामिल होने क्यों गए? इस मुद्दे को लेकर नारेबाजी शुरू हो गई। देखते ही देखते छात्रों के आक्रोश की आंच से कुलपित आवास, बीएचयू मेन गेट तपने लगा। सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। हिन्दू मतावलंबी छात्रों के समूह ने कुलपति का पुतला फूंका और रोजा इफ़्तार की नई परंपरा बंद करने के अलावा कुलपति के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे भी लगाए।

imageकुलपति का पुतला फूंकते छात्र

बीएचयू में वितंडा खड़ा करने वाले छात्रों ने 27 अप्रैल की रात वीसी लाज पर सभा की और कहा, "यदि कुलपति को इफ़्तार पार्टी में शामिल होना है या आयोजन करना है तो जामिया या अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी चले जाएं। कुलपति सुधीर कुमार जैन हिन्दू विरोधी हैं और वह जानबूझकर कैंपस में नई परंपरा की शुरु कर रहे हैं। अब से पहले कैंपस में कभी इफ़्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया जाता था। अगर वह रोजा इफ़्तार कर रहे हैं, तो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में रामनवमी मनवाएं और शोभायात्रा कराएं।"

imageकुलपति आवास के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करते छात्र

हिन्दू मतावलंबी छात्रों का समूह 28 अप्रैल को दोबारा सड़कों पर उतर आया और कुलपति आवास पर पहुंचकर नारेबाजी की और बाद में ढोल-मजीरे के साथ हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया। इस दौरान उग्र छात्रों ने 'जय श्री राम' व जय हनुमान के जय नारे और मौलाना सुधीर जैन वापस जाओ, बीएचयू में इफ्तारी नहीं चलेगी जैसे नारे लगाए। छात्रों ने कहा कि अगर कैंपस में रोजा के इफ़्तार की पार्टी हो सकती है तो फिर हनुमान चालीसा क्यों नहीं? आंदोलित छात्र करीब दो घंटे तक कुलपति आवास पर रास्ता रोककर बैठे रहे। बाद में उन्होंने एमएमवी चौराहे पर उन्होंने सभा भी की। हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे छात्रों का कहना है इस तरह का कार्य सार्वजनिक रूप से विश्वविद्यालय में नहीं होना चाहिए। कुलपति को इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।

इफ़्तार प्रकरण के तूल पकड़ने पर बीएचयू के सहायक जनसंपर्क अधिकारी चंद्रशेखर ने एक वीडियो जारी करते हुए प्रशासन का पक्ष रखा।

चंद्रशेखर ने कहा है, " विश्वविद्यालय प्रशासन सर्वधर्म सद्भाव में विश्वास रखता है। रोजा इफ़्तार का आयोजन कोई नई बात नहीं है। महिला विद्यालय में सर्वधर्म सद्भाव के कार्यक्रम का आयोजन अक्सर होता रहता है। ऐसे कार्यक्रमों में कुलपति शामिल होते रहे हैं। विश्वविद्यालय शिक्षा की गुणवत्ता, शोध, अनुसंधान और अपनी समग्रता के लिए वैश्विक पहचान रखता है। महामना ने जिन मूल्यों के साथ विश्वविद्यालय को स्थापित किया, उनका अनुसरण करते हुए विश्वविद्यालय में विभिन्न त्योहारों और उत्सवों का आयोजन होता है। इसमें विश्वविद्यालय परिवार के सदस्य आपसी प्रेम और सद्भाव के साथ उत्साहपूर्वक शामिल होते हैं। बीएचयू परिवार के मुखिया के रूप में कुलपति जब भी परिसर में उपलब्ध होते हैं। इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं। विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हैं। पहले भी कई बार कुलपतियों ने इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों के साथ बैठकर इफ़्तार की है।"

महिला महाविद्यालय में बीएचयू के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) डॉ. राजेश सिंह ने कहा, "महिला महाविद्यालय में रोजा इफ़्तार की परंपरा रही है। इसमें कुलपति समेत अन्य अधिकारी शामिल होते हैं। बुधवार को आयोजन किया गया। कोरोनाकाल में विश्वविद्यालय बंद होने से इफ़्तार का आयोजन नहीं हुआ है। इस पर किसी प्रकार का विवाद नहीं होना चाहिए।"

कैंपस की दीवारों पर दुष्प्रचार

इफ़्तार विवाद के बीच 27 अप्रैल 2022 की सुबह बीएचयू कैंपस का महौल बिगाड़ने के लिए कई स्थानों पर भड़काऊ नारे लिख दिए गए। विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक ये नारे उसी रात लिखे गए जिस रोज कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन का पुतला फूंका जा रहा था। नारों के नीचे भगत सिंह छात्र मोर्चा का नाम लिखा था। इन नारों में जाति विशेष को टारगेट किया गया था। दीवारों पर लिखे ये नारे जैसे ही सोशल मीडिया में वायरल हुए तो पुलिस प्रशासन सख्त हो गया। कैंपस में भारी फोर्स तैनात कर दी गई। पुलिस नारे लिखने वालों का पता लगाने में जुटी है। अधिकारियों का कहना है कि माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी।

इस बीच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की बीएचयू इकाई के अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह की ओर से एक प्रेस रिलीज जारी की गई, जिसमें भड़काऊ वाल राइटिग के लिए वामपंथी छात्र संगठनों को जिम्मेदार ठहराया। अभय प्रताप ने घटना का निंदा करते हुए प्रेस वक्तव्य में कहा, "उन छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की जाए जो बीएचयू कैंपस का माहौल खराब करना चाहते हैं।" दिलचस्प बात यह है कि वाल राइटिंग के मामले में विद्यार्थी परिषद ने जहां भड़काऊ नारेबाजी लिखने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेेने की मांग उठाई, वही रोजा इफ़्तार कार्यक्रम के विरोध के मामले में हुए पुतला दहन, नारेबाजी और हनुमान चालीसा प्रकरण से खुद को अलग कर लिया।

थाने में दर्ज कराई शिकायत

बीएचयू परिसर में दीवारों पर लिखे नारों की चर्चा जंगल की आग की फैलनी शुरू हुई तो भगत सिंह छात्र मोर्चा ने भी मोर्चा खोल दिया। छात्र मोर्चा के पदाधिकारियों ने मौके पर जाकर दीवारों लिखी नारों की तस्वीरें लीं और फिर लंका थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। मोर्चा के सदस्यों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से भी इस मामले में शिकायत की है। भगत सिंह छात्र मोर्चा के पदाधिकारियों का कहना है कि वह ब्राह्मणवाद का विरोध जरूर करते हैं मगर ब्राह्मणों से उनका कोई विरोध नहीं है। इस तरह के उत्तेजक नारे उनके नाम से लिखकर संगठन को बदनाम करने की साजिश की गई है।

भगत सिंह छात्र मोर्चा के पदाधिकारियों की शिकायत पाते ही पुलिस तत्काल सक्रिय हुई और परिसर में पहुंचकर नारों को मिटाने का काम भी शुरू करा दिया। फिलहाल कैंपस की दीवारों पर लिखे भड़काऊ नारों को मिटा दिया गया है।

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भगत सिंह छात्र मोर्चा ने 28 अप्रैल की शाम बीएचयू गेट पर प्रतिरोध सभा की और बीएचयू का माहौल बिगाड़ने वाले शरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। सोशल मीडिया पर वायरल भगत सिंह छात्र मोर्चा के संदेश में लिखा है कि अम्बेडकर जयंती मनाने के कारण बीसीएम के सदस्यों के साथ की मारपीट की जा रही है, अपहरण किया जा रहा है। इन वारदात में शामिल छात्रों को बचाने के लिए मोर्चा के नाम के साथ दीवारों पर भड़काऊ नारे लिखे गए। मूल सवाल यह है कि लंका थाना पुुलिस प्रगतिशील छात्रों के साथ मारपीट करने वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी कर रही है। सभा में छात्रों ने यहां तक कहा कि दो छात्रों के साथ मारपीट और अपहरण करने और कनपटी पर तमंचा लगाकर धमकी देने वाले उदंड छात्रों को न सिर्फ पुलिस, बल्कि बीएचयू प्रशासन भी बचा रहा है, जिसके चलते लंपट छात्रों का हौसला बढ़ता जा रहा है।

भगत सिंह छात्र मोर्चा से जुड़ी छात्रा आकांक्षा आज़ाद ने न्यूज़क्लिक से कहा, "कुछ तथाकथित हिन्दूवादी संगठनों के इशारे पर मोर्चा को बदनाम करने और मारपीट और लंपटगीरी करने वाले स्टूडेंट को बचान के लिए यह साजिश रची गई है। बीएचयू में छात्रों का एक गुट कैंपस की दीवारों पर भड़काऊ नारे लिखकर टकराव खड़ा करना चाहता है। यह वह लोग हैं जो कैंपस की शांति व्यवस्था भंग करना चाहते हैं। काफी दिनों से कैंपस का माहौल बिगाड़ने की कोशिशें की जा रही है। उदंड छात्रों बारे में खुफिया जानकारी जुटाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने में पुलिस व प्रशासन असहज क्यों महसूस कर रहा है? "

भगत सिंह मोर्चा से जुड़े इतिहास विभाग के शोध छात्र विकास आनंद सिंह ने "न्यूज़क्लिक" से कहा, "कुलपति ने बीएचयू कैंपस में कुछ नया नहीं किया। यह लोकतांत्रिक देश में केंद्रीय विश्वविद्यालय है, यहां हर जाति-धर्म के छात्र पढ़ाई करने आते हैं। इस क्रम में महिला महाविद्यालय में इफ़्तार पार्टी में कुलपति की मौजूदगी बताती है कि उनके अंदर मानवीय चेतना और लोकतांत्रिक मूल्य जीवित हैं। बुधवार को कुलपित की टीम के साथ छात्राओं, शिक्षक और शिक्षिकाओं ने रोजा खोला। इस मुद्दे पर छात्रों के एक धड़े द्वारा बवाल किया जाना समझ से परे हैं और निंदा योग्य है।"

खींची जा रही सांप्रदायिकता नई लकीर

बीएचयू में खड़े हुए नए वितंडा को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। अजय कुमार शर्मा लिखते हैं, "अब हर विश्वविद्यालय राजनीति का अखाड़े बनते जा रहे हैं। इससे इनकी साख और पहचान को नुकसान पहुंच रहा है।" अमन मिश्रा कहते हैं, "यह एक सुनियोजित तरीके से कराया जा रहा है। इससे दुनिया के टॉप विवि की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। छात्रों के एक धड़े द्वारा सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए यह सब वितंडा रचा और किया जा रहा है।"

बीएचयू में उठे नए विवाद को लेकर काशी पत्रकार संघ से पूर्व अध्यक्ष प्रदीप श्रीवास्तव ने त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वह कहते हैं, "बवाल उस समय नहीं मचा जब बीएचयू के कुलपति ने परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन और अनुष्ठान किया। उस समय उन पर हिन्दूवाद के आरोप चस्पा नहीं हुए। आज वो सामाजिक समरसता के लिए आयोजित इफ़्तार पार्टी में गए तो बावेल मचाया जाने लगा। इसके पीछे हिन्दूवादी संगठन हैं। बीएचयू अब खास मानसिकता के लोगों के चंगुल में फंसता जा रहा है जिनकी सोच सांप्रदायिकता पर आधारित है। विश्वविद्यालय का मुखिया होने के नाते अगर कुलपति परिसर की छोटी-छोटी खुशियों में शामिल होते हैं तो उस पर गर्व होना चाहिए। बजाए इसके कुलपति को जैन मतावलंबी बताते हुए हिन्दू धर्म से बाहर खड़ा किया जा रहा है। बीएचयू की कभी यह परंपरा नहीं रही कि सांप्रदायिकता के आधार पर सांप्रदायिकता नई लकीर खींची जाए। यह निंदनीय और चिंताजनक कृत्य है। ऐसे मानसिकता के लोगों को जवाब दिया जाना जरूरी है।"

प्रदीप कहते हैं, "बीएचयू वही विश्वविद्यालय है जिसके कुलपति आचार्य नरेंद्र देव और डा. राधा कृष्णन सरीखे विद्यान व चिंतकों ने इस पद को सुशोभित किया था। चंद स्वार्थी लोगों के चलते बीएचयू का माहौल बिगड़ रहा है। इसे सांप्रदायिकता की फैक्ट्री बनाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे लोग कामयाब नहीं होंगे, क्योंकी बीएचयू शिक्षा का केंद्र है। जहां कहीं भी प्रबुद्ध लोगों की जमात रहेगी वहां संकीर्ण मानसिकता को खाद पानी मिल पाना मुश्किल है। वक्ती तौर पर तथाकथित हिन्दूवादी संगठनों के लोग भले ही शोर-शराबा मचा लें,लेकिन आखिर में उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी। बीएचयू का मिजाज कभी भी ऐसा नहीं था और न रहेगा।"

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