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क्या देश की 80 करोड़ जनता को उनके हक का मुफ्त राशन मिल पाएगा?

बिहार और झारखंड का उदाहरण बताता है कि गोदाम से दुकान तक अनाज चोरी की जा रही है और लाभार्थियों को उनके हक से कम राशन दिया जा रहा है। झारखंड राज्य खाद्य आयोग और सोशल ऑडिट टीम के एक ऑडिट में खुलासा हुआ है कि लॉकडाउन के दौरान 45 प्रतिशत परिवारों को पूरा राशन नहीं मिला।
PDS

रांची/पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को घोषणा की कि नवंबर माह तक देशभर के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जाएगा। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से इस घोषणा को जोड़कर भी देखा जा रहा है। लेकिन बिहार-झारखंड के लोगों को राशन पूरी तरह मिल पाएगा, इसकी गारंटी नहीं है। गड़बड़ी का आलम ये है कि बिहार में जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) के 694 डीलरों पर सीएम नीतीश कुमार ने कार्रवाई का आदेश दिया है। इसमें 54 डीलरों का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है।

वहीं, झारखंड राज्य खाद्य आयोग और सोशल ऑडिट टीम के एक ऑडिट (ऑडिट की कॉपी न्यूजक्लिक के पास मौजूद है) में खुलासा हुआ है कि लॉकडाउन के दौरान 45 प्रतिशत परिवारों को पूरा राशन नहीं मिला। यानी उनके हिस्सा का राशन में भारी घोटाला हो गया। इधर रांची में राज्य सरकार के गोदाम में तीन हजार क्विंटल नमक और 367 क्विंटल चीनी सड़ गई।

यह ऑडिट राज्य के 254 प्रखंड के 4228 परिवारों से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें सबसे अधिक शिकायत जामताड़ा के लोगों ने की है। यहां 91 प्रतिशत लोगों को उनके हिस्से का पूरा राशन नहीं मिला। इसके बाद पलामू में 73.4 प्रतिशत, दुमका में 65.2 प्रतिशत, साहिबगंज में 59.4 प्रतिशत, गढ़वा में 58.7 प्रतिशत, धनबाद में 55 प्रतिशत, देवघर में 52.1 प्रतिशत लोगों का राशन भी पचा लिया गया।

ध्यान रहे दुमका सीएम हेमंत सोरेन का गृहजिला है और साहेबगंज के बरहेट से वह चुनाव जीते हैं। गोड्डा में 49.6 प्रतिशत परिवारों को कम राशन का घाटा उठाना पड़ा। बीते अप्रैल माह में इन्हीं गड़बड़ियों की वजह से छह पीडीएस डीलर को जिला प्रशासन ने सस्पेंड कर दिया था।

आखिर डीलर क्यों करते हैं अनाज की चोरी

बिहार में लगभग 46 हजार पीडीएस डीलर हैं। राज्य के जन कल्याण राशनकार्डधारी संघ के संरक्षक दशरथ पासवान कहते हैं कि पहली चोरी तो सरकार ही करती है। हर तरह के अनाज का 50 किलो का पैकेट आता है। तौल कर देख लीजिए यह 42-45 किलो से अधिक का कभी नहीं रहता है। किसी अफसर ने आज तक उस बोरे की जांच की है जो राशन डीलर के पास आता है।

उनके मुताबिक, सरकार जो डीलर पर कार्रवाई की बात करती है, यह केवल भयादोहन है। जांच के नाम पर स्पष्टीकरण पूछा जाता है, जिसने 20 हजार से अधिक रुपए दिए, उसका लाइसेंस बच जाता है, जो नहीं दे पाता है, उसका रद्द हो जाता है। ये बात हम डंके की चोट पर कह रहे हैं।

इसी मसले पर झारखंड के सोशल ऑडिट टीम के स्टेट कॉर्डिनेटर गुरजीत सिंह का कहना है कि ये बात सही है कि सही तौल वाला राशन डीलरों के पास नहीं जाता है लेकिन अगर एक बोरे में पांच किलो कम है, तो डीलर सभी लाभुकों के हिस्से का दो से पांच किलो क्यों काट रहे हैं। इसका तो कोई लॉजिक नहीं है।

झारखंड के एक पीडीएस डीलर नेसार अहमद ने बताया कि इसके तहत चावल और गेहूं दिया जाना है। लाल कार्डधारियों (पीएचएच) के परिवारों में प्रति सदस्य पांच किलो। जिसमें पांच किलो चावल (1 रुपया), वहीं अंत्योदय कार्डधारियों (पीला कार्ड) को प्रति परिवार 35 किलो अनाज दिया जाता है। इसके अलावा तीन-चार महीने में एक बार एक किलो नमक। वहीं केवल पीला कार्ड में चीनी (22.50 रुपया) प्रति कार्ड एक किलो देने का प्रावधान है।

जबकि बिहार में गया जिले के जन वितरण प्रणाली दुकानदार बाला लखेंद्र चौधरी ने बताया कि यहां पीला और ब्लू कार्ड दिया जाता है। इसमें ब्लू कार्डधारियों को 5 किलो राशन प्रति व्यक्ति मिलना है। तीन किलो चावल और दो किलो गेहूं. इसके अलावा पांच किलो और मिलता है, जिसका रेट प्रति किलो चार रुपया होता है। इसमें चावल या गेहूं कुछ भी अतिरिक्त ले सकते हैं। वहीं पीला कार्डधारियों को प्रति परिवार 35 किलो राशन दिया जाता है। इसके अलावा किरासन तेल प्रति कार्ड एक लीटर (दोनों कार्ड में) मिलता है। यह एच्छिक है।

दोनों राज्य तय नहीं कर पा रहे लाभुकों की वास्तविक संख्या

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) 2013 में बना। जिसके तहत 2 रुपये प्रति किलो गेहूं और 3 रुपये किलो चावल गरीबों को देना था। बिहार के खाद्य आपूर्ति मंत्री मदन सहनी के मुताबिक राज्य में 1.86 करोड़ राशन कार्डधारी हैं। इसमें 30 लाख लोगों को और जोड़ा जाना है। जिसमें 25 लाख लोगों का कार्ड बन चुका है। वहीं पॉश मशीने के आने से आठ लाख फर्जी कार्डधारियों के कार्ड निरस्त भी किए गए हैं।

वहीं, झारखंड में अक्टूबर 2015 से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू है। इसके तहत 2,64,43,330 लोगों को इससे जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था। फिलहाल 2,63,39,264 लोगों को इसका लाभ मिल रहा है। यानी 99.60 प्रतिशत लोगों को फिलहाल अनाज मिल रहा है।

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड की जनसंख्या 3,29,88,134 करोड़ है। इस लिहाज से ढाई करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम से जोड़ा जा चुका है लेकिन बीते दस सालों में जो जनसंख्या बढ़ी है, सरकार उसका हिसाब नहीं दे रही है। वहीं नीति आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक हंगर इंडेक्स में झारखंड देशभर में पहले स्थान पर है, राज्य की 37 प्रतिशत जनता गरीबी रेखा के राष्ट्रीय मानक से नीचे रह रही है।

क्या कहते हैं दोनों राज्यों के मंत्री

झारखंड के खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव कहते हैं डीलरों ने गड़बड़ियां की हैं। यही वजह है कि राज्य में 60 से अधिक डीलरों पर एफआईआर की गई है। वहीं का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। हालांकि मंत्री ने माना कि कम तौल का जहां तक मसला है, जिसकी शिकायत डीलर करते हैं, वह सही है।

उन्होंने कहा कि इस मामले में फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को लिखा गया है कि 50 किलो मतलब 50 किलो अनाज का पैकेट मिले। ये साफ तौर पर संस्थागत भ्रष्टाचार है। गोदामों में अनाज के सड़ने पर भी कार्रवाई की बात उन्होंने कही है।

वहीं बिहार के मंत्री मदन सहनी से बार-बार संपर्क करने पर बात नहीं हो सकी। उनसे बात होने पर अपडेट कर दिया जाएगा।

गौरतलब है कि राशन पैक होने से जरूरतमंदों के घर पहुंचने तक कटोरे-कटोरे राशन निकल जा रहा है। जितना मिल पाता है, गरीब उसे ही किस्मत समझ ले रहा है। इन दोनों के बीच अधिकारियों का हिस्सा है, हिस्सा पकड़ाने पर सरकारी कार्रवाई है। बस नहीं है तो गरीबों के उनके हक का पूरा निवाला।

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