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क्या भाजपा और मोदी सरकार ‘फ़्रिंज एलिमेंट’ पर क़ाबू पा सकेगी?

नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के ख़िलाफ़ कार्रवाई सिर्फ़ इसलिए हुई है, क्योंकि पहली बार इतनी बड़ी संख्या में खाड़ी और अन्य देशों ने एक साथ मिलकर, पैग़ंबर मोहम्मद के बारे में की गई अभद्र टिप्पणी के ख़िलाफ़ अपना मज़बूत प्रतिरोध दर्ज किया है। 
naveen and nupur

नई दिल्ली : पिछले हफ़्ते भाजपा नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि मोदी सरकार के लिए देश की सुरक्षा सर्वोपरि है और इसलिए मोदी जी के लिए सबसे पहले ‘देश हित’ है। फिर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी इसी तरह के बयान दिए और कहा कि मोदी जी के 8 साल के कार्यकाल में, देश न केवल ‘सुशासन’ में सबसे आगे रहा है बल्कि उसने अंतर्राष्ट्रीय पैमाने पर भी नाम कमाया है। मोदी खुद ‘सुशासन’ को लेकर पूरी तरह से प्रचार में डूबे हुए हैं ताकि लोगों को ध्यान बढ़ती महंगाई, बेरोज़गारी, ग़रीबी और आर्थिक-सामाजिक असमानता की तरफ न जा सके। भाजपा और संघ की पूरी की पूरी मशीनरी देश के सामने मौजूद चुनौतियों को धता बताते हुए सरकार की ‘कामयाबी’ के बारे में एकतरफा अभियान में लगी हुई है।

लेकिन, जब भाजपा के शीर्ष नेता और खुद प्रधानमंत्री मोदी 8 साले के जश्न में डूबे हुए थे तब भाजपा नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता, नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल पैग़ंबर मोहम्मद पर बेहूदा टिपणी के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय पैमाने पर देश द्वारा कमाई गई इज़्ज़त की धज्जियां उड़ा रहे थे। और भाजपा नेता द्वारा की गई टिप्पणी से उपजा विवाद अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। खाड़ी और अन्य देश जिनकी संख्या अब 15 बताई जा रही है, ने मोदी सरकार के प्रति नाराज़गी जताई है और संबंधित देशों में भारतीय उत्पादों का बहिष्कार भी शूरू हो गया है। हालांकि, विभिन्न देशों के गुस्से को शांत करने की कोशिश में मोदी सरकार और भाजपा ने बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि वह सभी धर्मों का ‘सम्मान’ करती है। लेकिन कई देशों की नाराजगी अभी खत्म नहीं हुई है। 

अब तक, ईरान, इराक, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, ओमान, ईरान, यूएई, जॉर्डन, अफगानिस्तान, बहरीन, मालदीव, लीबिया और इंडोनेशिया सहित कम से कम 15 देशों ने विवादास्पद टिप्पणी को लेकर भारत के ख़िलाफ़ आधिकारिक विरोध दर्ज कराया है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर भाजपा प्रवक्ता की टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा है कि उन्होंने पैग़ंबर मोहम्मद का अपमान किया है।

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने "इस्लाम के प्रतीकों के ख़िलाफ़ पूर्वाग्रहों" को खारिज किया है और कहा कि "सभी धार्मिक शख्सियतों और प्रतीकों" के ख़िलाफ़ पूर्वाग्रह को बढ़ावा देने वाली किसी भी चीज को खारिज किया जाना चाहिए। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि सभी "धर्मों का सम्मान" किया जाना चाहिए।

कुछ इसी तरह के बयान मक्का में मस्जिद अल-हरम (काबा) और मदीना में पैग़ंबर की मस्जिद (ए नबवी) के मामलों की 'जनरल प्रेसीडेंसी' ने भी जारी किए हैं और भाजपा प्रवक्ता द्वारा पैग़ंबर के ख़िलाफ़ की गई टिप्पणी की निंदा की है। इंडोनेशिया, जहां सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है, ने भी इस टिप्पणी की कड़ी निंदा की है। इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट कर, बताया कि उक्त निंदा का संदेश जकार्ता में भारतीय राजदूत को भेजा गया है।"

यूएई ने भी पैग़ंबर का अपमान करने वाली विवादास्पद टिप्पणी की निंदा की और उसे खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्रालय ने जारी एक एक बयान में कहा है कि यूएई उन सभी प्रथाओं और प्रथाओं को दृढ़ता से खारिज करता है जो नैतिक और मानवीय मूल्यों और सिद्धांतों के ख़िलाफ़ हैं। जॉर्डन ने भी भाजपा नेता की अपमानजनक टिप्पणी की "कड़ी निंदा" की है। इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने टिप्पणियों की निंदा की और संयुक्त राष्ट्र से भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया है।

यह अब सर्विविदित है कि, भाजपा नेता द्वारा की गई विवादित टिप्पणियों के ख़िलाफ़ विभिन्न देशों में सोशल मीडिया पर भारतीय उत्पादों का बहिष्कार करने का आह्वान किया जा रहा है। 

यह गुस्सा इसलिए है कि मुस्लिम समुदाय पैग़ंबर मोहम्मद से उतनी ही मोहब्बत करता है जितनी कि हिन्दू समुदाय अपने भगवानों से या ईसाई समुदाय ईसा मसीह से करता है। तो सवाल उठता है कि फिर पैग़ंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ भाजपा प्रवक्ता ने इस तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल क्यों किया? इसका जवाब भाजपा, संघ और इसके नेताओं की उस नासमझी से निकलता है कि वे अब तक समझ नहीं पाए हैं कि धार्मिक असहिष्णुता, सांप्रदायिक नफ़रत, और मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ लक्षित हमले देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं। और इसी का नतीजा है कि भाजपा की प्रवक्ता अपनी हद को इतना लांघ गई उसने राष्ट्रीय टीवी पर पैग़ंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणी कर डाली। हालांकि, भाजपा ने अंतर्राष्ट्रीय छवि और व्यापर के नुकसान के मद्देनजर नूपुर शर्मा को ‘फ्रिंज एलिमेंट’ बताकर पार्टी से निकाल दिया है।  

हम सब जानते हैं कि, वर्ष 2014, जबसे भाजपा सत्ता में आई है, देश में मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ बदस्तूर हमले बढ़े हैं। उनके बोलने की आज़ादी, व्यापार करने की आज़ादी, त्यौहार मनाने की आज़ादी और अपने धार्मिक जीवन को जीने की आज़ादी, उनके खान-पान की संस्कृति की आज़ादी पर बढ़-चढ़कर हमले किए जा रहे हैं। 

हम सब जानते हैं कि इस साल मई में मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आठ साल पूरे कर लिए हैं और जिसका जश्न बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। एक स्वतंत्र अध्ययन और अपराध ट्रैकर के अनुसार पिछले चार वर्षों में भारत में मुसलमानों के ख़िलाफ़ 400 से अधिक घृणा संबंधित अपराध हुए हैं। 

भाजपा से जुड़े दो संगठन जो मुस्लिम विरोधी हिंसा में सबसे आगे हैं, वे विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल हैं। हिंदू त्योहारों को मनाने की आड़ में, ये संगठन संगठित हिंसा को अंजाम देते हैं जो मुसलमानों को निशाना बनाकर सुनियोजित और समन्वित कार्रवाई होती है। इतने घृणित अपराधों के बावजूद, दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं कि जाती है बल्कि भाजपा नेता ऐसे आपराधिक और सांप्रदायिक तत्वों का सार्वजनिक अभिनंदन करती है। इससे मुस्लिम विरोधी हिंसा तथा नफरत को न केवल बढ़ाव मिलता है बल्कि ऐसे हमलों की पुनरावर्ती के प्रति हौसले भी बढ़ते हैं। 

यह आम तौर पर देखा गया है कि, त्योहारों के दौरान, इन हिंदुत्ववादी संगठनों की मांग रहती है कि शहरों में कई जगहों पर मौजूद मांस खाने जैसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया जाए जो खासतौर पर मुस्लिम संस्कृति और उनके खान-पान का हिस्सा हैं। यानी इन हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा मुसलमानों के जीवन के हर पहलू को निशाना बनाया जा रहा है। नागरिकता कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन के ख़िलाफ़ हिंसक कार्रवाई के बाद दिल्ली के उत्तर-पूर्व जिले में ही सांप्रदायिक हिंसा और हाल ही में जहाँगीर पूरी में मुस्लिम विरोधी हिंसा ने देश को धार्मिक असहिष्णुता की आग में धकेल दिया है। और मज़े की बात है कि नफ़रत भड़काने वाले भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 

नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के ख़िलाफ़ कार्रवाई सिर्फ इसलिए हुई है, क्योंकि पहली बार इतनी बड़ी संख्या में खाड़ी और अन्य देशों ने एक साथ मिलकर, पैग़ंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ की गई अभद्र टिप्पणी के ख़िलाफ़ अपना मजबूत प्रतिरोध दर्ज किया है। खाड़ी के 9 देशों मे ही करीब 89 लाख भारतीय रहते हैं जो वहाँ व्यापर से लेकर नौकरियों करते हैं। भारत के खाड़ी के देशों के साथ व्यापर भी अरबों डॉलर का है। भारत को इससे दो तरह के नुकसान नज़र आ रहे हैं; अंतर्राष्ट्रीय पैमाने पर भारत की छवि का धूमिल होना और एक धार्मिक असहिष्णुता वाले देश की श्रेणी में शामिल होने का खतरा पैदा होना, और दूसरा खाड़ी देशों में भारतीय व्यापार को झटका लगाने का खतरा पैदा होना। 

अब सवाल यह उठता है कि क्या भारत सरकार या शासक दल भाजपा देश की आंतरिक सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय छवि, व्यापार और आपसी भाईचारे के प्रति गंभीर है? यदि इसका जावाब हाँ है तो, भारत सरकार को न केवल नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल बल्कि मुसलमनों और अन्य अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करनी होगी। वरना यह आग थमेगी नहीं और देश आज़ादी के बाद कमाई गई 75 साल की इज़्ज़त को चट कर जाएगी और हम देखते रह जाएंगे।

(व्यक्त विचार निजी हैं।)

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