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चिंताजनकः आत्महत्या करने वाले दिहाड़ी मज़दूरों की संख्या में लगातार वृद्धि

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक़ आत्महत्या करने वालों में दिहाड़ी मज़दूरों की संख्या आत्महत्या करने वाले कुल पीड़ितों की एक चौथाई है। यह संख्या 2021 में पहली बार एक चौथाई हुआ है जो बेहद चिंताजनक है।
daily wage workers
प्रतीकात्मक फ़ोटो। साभार

आत्महत्या करने वाले दिहाड़ी मज़दूरों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक़ आत्महत्या करने वालों में दिहाड़ी मज़दूरों की संख्या आत्महत्या करने वाले कुल पीड़ितों की एक चौथाई है। यह संख्या 2021 में पहली बार एक चौथाई हुआ है जो बेहद चिंताजनक है।

“एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया” की रिपोर्ट में सामने आया है कि साल 2021 में आत्महत्या करने वालों में दिहाड़ी मज़दूर सबसे बड़ा समूह रहा है। 2021 में आत्महत्या करने वालों की संख्या 1,64,033 बताई गई है जिसमें पीड़ित दिहाड़ी मज़दूरों की संख्या 42,004 है जो कि 25.6 है।

साल 2020 में देश भर में आत्महत्या करने वालों की संख्या 1,53,052 थी। इनमें 37,666 (24.6 प्रतिशत) दिहाड़ी मज़दूरों ने आत्महत्या की। साल 2019 में कोरोना माहामारी से पहले आत्महत्या करने वाले दिहाड़ी मज़दूरों की संख्या 1,39,123 में से 32,563 (23.4 प्रतिशत) थी।

हाल में प्रकाशित रिपोर्ट पता चलता है कि साल 2021 के दौरान आत्महत्या करने वालों में दिहाड़ी मज़दूरों की संख्या न केवल बढ़ी बल्कि राष्ट्रीय औसत की तुलना में इस संख्या में तेजी आई है।

राष्ट्रीय स्तर पर आत्महत्या की संख्या में वर्ष 2020 से 2021 तक 7.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि, इस अवधि में दिहाड़ी मज़दूरों के समूह में आत्महत्या की संख्या में 11.52 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

रिपोर्ट में खेतिहर मज़दूरों से अलग दिहाड़ी मज़दूरों को सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें "कृषि क्षेत्र में लगे व्यक्तियों" की श्रेणी के तहत एक उप-श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में "कृषि क्षेत्र में लगे व्यक्तियों" के समूह में 10,881 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए जिनमें 5,318 किसान और 5,563 खेतिहर मज़दूर शामिल हैं।

हालांकि साल 2019 में 5,957 किसानों ने आत्महत्या कीं जबकि साल 2020 में 5,579 किसानों ने आत्महत्या कीं। वहीं खेतिहर मज़दूरों की बात करें तो इन दो वर्षों में उनकी संख्या में वृद्धि हुई है जो चिंता की बात है। साल 2019 में जहां 4,324 खेतिहर मज़दूरों ने आत्महत्या कीं वहीं साल 2020 में ये संख्या बढ़कर 5,098 हो गया।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में आत्महत्या के सबसे ज़्यादा मामले 22,207 महाराष्ट्र में दर्ज किए गए। इसके बाद तमिलनाडु में 18,925, मध्य प्रदेश में 14,956, पश्चिम बंगाल में 13,500 और कर्नाटक में 13,056 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए। केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में सबसे ज़्यादा 2,840 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 की तुलना में साल 2021 में जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रतिशत के अनुसार आत्महत्या के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए उनमें तेलंगाना (26.2%), यूपी (23.5%), पुडुचेरी (23.5%), आंध्र प्रदेश (14.5%), केरल (12.3%), तमिलनाडु (12.1%), महाराष्ट्र (11.5%) और मणिपुर (11.4%) जबकि लक्षद्वीप (50%), उत्तराखंड (24%), झारखंड (15%) हैं। वहीं जम्मू और कश्मीर में 13.9%) और अंडमान निकोबार द्वीप में 11.7% दर्ज किए गए।

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