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अदानी ग्रुप के अस्पताल में 111 नवजात शिशुओं की मौत, सरकार ने दिए जाँच के आदेश

अस्पताल के सुप्रीटेंडेंट जीएस राव ने जो आँकड़े मुहैया करवाए हैं उनके मुताबिक अस्पताल में पाँच महीने के भीतर 777 नवजात शिशु भर्ती हुए जिनमें से 111 की मौत हो गयीI
G K Hospital

साल 2018 के पाँच महीनों में भुज के जीके अस्पताल में 111 नवजात शिशुओं की मौत मामलों में गुजरात सरकार ने जाँच के आदेश दिए हैंI यह अस्पताल अदानी ग्रुप चलाता हैI अस्पताल के सुप्रीटेंडेंट जीएस राव ने जो आँकड़े मुहैया करवाए हैं उनके मुताबिक अस्पताल में पाँच महीने के भीतर 777 नवजात शिशु भर्ती हुए जिनमें से 111 की मौत हो गयीI इसके मायने क्या हैं: सिर्फ पाँच महीने के आँकड़ों के आधार पर, अस्पताल की नवजात शिशु मृत्यु दर 14% पहुँच चुकी हैI 2015 में यह दर 19% थी, 2016 में 18% और 2017 में 21% Iअधिकारियों का कहना है कि साल के अंत तक यह दर इतनी ही कम बनी रहेगीI    

अधिकारियों का कहना है कि कई मरीज़ इस अस्पताल में दूसरी जगहों से भेजे जाते हैं और अस्पताल आते-आते उनकी हालत और गंभीर हो जाती हैI यही कारण है कि अस्पताल की मृत्यु दर काफी ज़्यादा हैI अस्पताल प्रशासन ने बताया कि गर्भावस्था के समय माँओं में कुपोषण और इसके साथ समय से पहले डिलीवरी इन मौतों के मुख्य कारण हैं I

दिलचस्प बात है कि जीके अस्पताल तभी से विवादों में हैं जब से इसे कॉर्पोरेट घराने को दे दिया गया है I ये अस्पताल भुज के भूकंप के बाद बना था और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी ने चाहा था कि ये सरकारी अस्पताल बने I यहाँ तक कि सरकार ने इस अस्पताल को बनाने के लिए प्रधानमंत्री सहायक कोष से इस अस्पताल में 100 करोड़ की पूँजी लगायी थी I शुरुआत में राज्य सरकार ने पीमओ जो कि इस अस्पताल के निर्माण की देख रेख कर रहे थे और उस समय की केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री सुषमा स्वराज को लिखा था कि स्वस्थ्य मंत्रालय को इसकी देख रेख करनी चाहिए I उनका तर्क था कि इस 300 बेड वाले नए सूपर स्पेशलिटी अस्पताल की देख-रेख के लिए 15 करोड़ रुपये चाहिए जो कि उनके बजट के बाहर है I लेकिन इसके कुछ समय बाद नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार ने इस अस्पताल को अदानी समूह को दे दिया I 2009 में इस कॉर्पोरेट घराने को ये अस्पताल 99 वर्षों के लिए लीस पर दे दिया गया I अस्पताल के साथ एक चिकित्सा संस्थान भी बनाया गया I ये साफ़ तौर पर नरेद्र मोदी द्वारा अदानी को किया गया एक एहसान था, ये जग ज़ाहिर है कि नरेन्द्र मोदी की अदानी से नज़दीकियाँ हैं I

एडम चाकी ने एक PIL दायर की जिसमें ये दावा किया गया कि ये अस्पताल इलाके के गरीबों के हितों के खिलाफ काम कर रहा है और राज्य सरकार ने अस्पताल को लीस पर देने के लिए कुछ ज़रूरी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया और उनसे बचकर निकला गया है I 2012 में गुजरात हाई कोर्ट ने इस PIL को ख़ारिज करते हुए, अस्पताल के काम करने के ढंग पर कड़ी शर्ते रखने का आदेश दिया I अस्पताल को 450 बेड और लगाने, 10% कॉलेज सीटों में आरक्षण देने, गरीबों  और सरकारी कर्मचारियों के मुफ्त इलाज करने को कहा गया I चाकी ने फिर से PIL दायर करी ये कहते हुए कि अस्पताल अच्छी मेडिकल सुविधायें नहीं दे रहा है और ये कि ऐसा करना 2012 के कोर्ट के आदेश की अवहेलना है I लेकिन अब तक ये मामला अब तक कोर्ट में अटका हुआ है I

अब जब मोदी सरकार अपने 4 साल पूरे करने जा रही है , स्वस्थ्य के क्षेत्र में लगातार निजीकरण को लाया जा रहा है I ये सरकार न सिर्फ स्वस्थ्य सेवाओं को बल्कि सभी संस्थाओं जो कि पहले सरकारी थीं, को लगातार निजी हाथों में दे रही है, जिससे निजी मुनाफों में लगातार बढ़ौतरी हो रही है I इसका नतीजा साफ़ है जी के अस्पताल की तरह ही इससे आम लोगों की दिक्कतें बढेंगी I

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