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अडानी समूह को हवाई अड्डे की देखरेख सौंपने के विरोध में 6 सितंबर को प्रदर्शन

पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत अडानी समूह को छह हवाई अड्डे सौंपने के विरोध में इससे पहले भी एएआई यूनियनों ने बीते सोमवार को एक प्रदर्शन किया था।
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Image courtesy: LiveMint

नई दिल्ली: एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के हजारों अधिकारी-कर्मचारी एक बार फिर सरकार के फैसले की खिलाफ 6 सितंबर यानी शुक्रवार को देश भर में विरोध प्रदर्शन करने जा हैं। संयुक्त मंच के तमाम यूनियंस ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत अडानी समूह को छह हवाई अड्डे सौंपने के विरोध में इससे पहले भी बीते सोमवार को एक प्रदर्शन किया था।

इस मंच के अधिकारी अजय कुमार ने न्यूज़क्लिक से कहा, ‘हमारा प्रदर्शन अडानी समूह को छह हवाई अड्डे सौंपने तथा सरकार के कई अन्य हवाई अड्डों का निजीकरण करने की योजना के खिलाफ है। हमने सोमवार को भी दिल्ली के राजीव गांधी भवन और देश के विभिन्न अन्य एएआई के हवाई अड्डों पर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए प्रदर्शन किया था।’

एयरपोर्ट अथॉरिटी एंप्लाई यूनियन के सदस्य विक्रम बताते हैं कि एएआई देश में लगभग 17,000 श्रमबल के साथ 120 हवाई अड्डों का प्रबंधन करता है। हम सभी अधिकारी और कर्मचारी सरकार के इस फैसले के खिलाफ हैं। सरकार एक-एक करके सभी संस्थानों का निजीकरण करना चाहती है। इसके जरिए कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने की जा रही है। जिन लोगों ने सालों से इन हवाई अड्डों पर काम किया, उन्हें बेरोजगार होना पड़ेगा। जिन लोगों को एयरपोर्ट चलाने का अनुभव नहीं है। अब वे एयरपोर्ट की बागडोर संभालेंगे।

गौरतलब है कि पिछले साल सरकार ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत हवाई अड्डों के परिचालन, प्रबंधन और विकास के लिए लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी में हवाई अड्डों का निजीकरण करने का फैसला किया गया था। अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) ने सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी के तौर पर सभी छह हवाई अड्डों को विकसित और उनका प्रबंधन करने का ठेका हासिल किया था।

इंडियन एयरपोर्ट्स कामगर यूनियन के राकेश गर्ग ने न्यूज़क्लिक को बताया कि मुंबई और दिल्ली एयरपोर्ट को पीपीपी के तहत विकसित करने के बाद काफी संख्या में कर्मचारी बेरोजगार हुए थे। अब इन छह हवाई अड्डों को पीपीपी मॉडल के तहत डेवलप किया गया तो सैकड़ों कर्मचारी फिर बेरोजगार हो जाएंगे। सरकार का इस तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं है।

बता दें कि एएआई की यूनियनों और संघों ने हाल ही में ‘निजीकरण के प्रभाव को समझाने के साथ-साथ एएआई और उसके कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए’ इस संयुक्त मंच का गठन किया था। इन संगठनों में हवाई अड्डा प्राधिकार कर्मचारी यूनियन, एयरपोर्ट्स अथॉरिटी (हवाई अड्डा प्राधिकार) ऑफिसर्स एसोसिएशन और इंडियन एयरपोर्ट्स कामगर यूनियन शामिल हैं।

संयुक्त मंच के अधिकारी ने मीडिया को बताया कि उनका विरोध प्रदर्शन 2 सितंबर से जारी है। छह सितंबर तक सभी कर्मचारी और अधिकारी काली पट्टी पहने रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘शुक्रवार को दोपहर के भोजन के समय एक और प्रदर्शन किया जायेगा।’ यह मंच छह सितंबर को एएआई द्वारा संचालित हवाईअड्डों के निजीकरण के खिलाफ अपनी आगे की कार्ययोजना तैयार करेगा। 
मंच ने 23 अगस्त को एएआई के अध्यक्ष अनुज अग्रवाल को एक पत्र में गुजरात स्थित एक कंपनी समूह को छह हवाईअड्डों को सौंपने के बारे अपनी चिंताओं पर विस्तार से चर्चा करने के लिए एक बैठक की मांग की थी।

बता दें कि एएआई ने मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद जुलाई में अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरु हवाई अड्डों के परिचालन का काम अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को सौंपने के संबंध में स्वीकृति पत्र जारी किए थे। तब एएआई ने बताया था कि प्रति यात्री शुल्क के आधार पर अडानी समूह ने अहमदाबाद के लिए 177 रुपये, जयपुर के लिए 174 रुपये, लखनऊ के लिए 171 रुपये, तिरुवनंतपुरम के लिए 168 रुपये, मेंगलुरु के लिए 115 रुपये और गुवाहाटी के लिए 160 रुपये की बोली लगाई। यह राशि अडानी समूह इन हवाई अड्डों का परिचालन मिलने पर एएआई को देगा।

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) द्वारा जुलाई में दी गई जानकारी के मुताबिक इन छह हवाई अड्डों के अलावा सरकार निजीकरण के अगले चरण में 20-25 और हवाई अड्डों से बाहर निकलने की योजना बना रही है।

खबरों के अनुसार एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के चेयरमैन गुरु प्रसाद महापात्रा ने कहा था कि एएआई सालाना 15 लाख से अधिक यात्रियों की आवाजाही वाले इन हवाई अड्डों के नामों पर फैसला करेगी और अपनी सिफारिश जल्द ही नागर विमानन मंत्रालय को भेजेगी।

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एक अधिकारी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि सरकार तमाम संस्थानों के घाटे कम करने के लिए निजीकरण का कदम उठा रही है। लेकिन इस चक्कर में तमाम लोगों की नौकरियां, प्रमोशन आदि दांव पर लगे हैं। सरकार बिना तैयारी के मनमाने तरीके से जल्दबाजी में फैसला ले रही है। क्योंकि सरकार को अपनी बैलेंसशीट सही करनी है।

उन्होंने यह भी कहा था कि इन हवाई अड्डों के प्रबंधन के लिए बड़े पैमाने पर विदेशी हवाई अड्डों के दिलचस्पी लेने की भी उम्मीद है। इसके बाद काम करने के तौर-तरीके, मैनेंजमेंट सब बदल जाएगा।

हाल ही में सरकार द्वारा किए गए बैंकों के मर्जर के फैसले का भी विरोध देखा गया। अब एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की यूनियन विरोध कर रही हैं। जाहिर है सरकार के फैसले सबकी समझ के परे हैं। आज जहां हर क्षेत्र में नौकरियां तेजी से जा रही हैं, देश मंदी का चपेट में है। लेकिन फिर भी सरकार 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने दिखा रही है।

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