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अमरीका द्वारा येरुसलम को इजराइल की राजधानी करार दिए जाने को संयुक राष्ट्र संघ ने ठुकराया

बड़ी संख्या में संयुक्त राष्ट्र संघ सदस्य देशों ने निक्की हेली द्वारा चेतावनी दिए जाने के बाद कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र संघ का वित्तीय पोषण बंद कर सकता है, ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान कियाI
Jerusalem

बड़ी संख्या में संयुक्त राष्ट्र संघ सदस्य देशों ने निक्की हेली द्वारा चेतावनी दिए जाने के बाद कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र संघ का वित्तीय पोषण बंद कर सकता है, ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान कियाI

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मध्य पूर्व विदेश नीति को उस वक्त "भारी झटका" लगा जब संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकांश सदस्य देशों ने गुरुवार को उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान कर दिया, जिसमें वाशिंगटन द्वारा येरूसलम को इज़राइल की राजधानी घोषित किये जाने के फैसले को पूरी तरह ठुकरा दियाI

ट्रम्प ने उन देशों को वित्तीय सहायता बंद करने की धमकी दी जिन्होंने उसके विरोध में मत कियाI

फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने इसे "फिलिस्तीन के लिए एक बड़ी जीत" बताया है और तुर्की के राष्ट्रपति रसेप तय्यिप एर्दोगान ने कहा कि ट्रम्प को अपने येरुसलम के निर्णय को पलटना चाहिएI

लेकिन इसराइल और अमेरिका ने इस प्रस्ताव की निंदा की है, संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी राजदूत निक्की हेली ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ में अमरीका अपने एक संप्रभु राष्ट्र होने के नाते उसे अपने अधिकारों का प्रयोग करने के लिए संयुक्त विधानसभा में उस पर हमला किया जा रहा हैI

एक सौ अट्ठाईस सदस्य राष्ट्रों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, नौ ने विरोध में और 35 देश तटस्थ रहेI

जिन देशों ने विरोध किया उनमें गुवान्तेमाला, होंडूरस, इज़राइल, पलाऊ, मार्शल द्वीप, माइक्रोनेशिया, नौरु, टोगो और अमेरिका शामिल हैंI

अब्बास ने अपने प्रवक्ता के माध्यम यह कहा कि वे इसका स्वागत करते हैं और साथ ही कहा कि यह निर्णय "एक बार फिर पुष्टि करता है कि सिर्फ फिलिस्तीन के मसले में अंतर्राष्ट्रीय कानून का उसको समर्थन प्राप्त करता है, और किसी भी पार्टी का कोई भी फैसला वास्तविकता को बदल नहीं सकता है"

फिलिस्तीनी राजदूत रियाद मंसूर ने वोट गिनती के महत्व पर प्रकाश डालाI

"एक सौ अट्ठाईस बनाम नौ - यह संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका है," मंसूर ने कहाI

वोट डालने के पहले, हेली ने कहा कि जनरल असेंबली के फैसले को "याद किया जाएगा", और उन्होंने प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों की वित्तीय सहायता में कटौती के ट्रम्प की धमकी का भी ज़िक्र कियाI

हेली ने कहा, "अमेरिका संयुक्त राष्ट्र संघ और इसकी एजेंसियों के लिए अब तक का सबसे बड़ा योगदानकर्ता है," जब हम संयुक्त राष्ट्र संघ में उदार योगदान देते हैं, तो हमें भी एक वैध उम्मीद होती है कि हमारी सद्भावना को मान्यता और सम्मान दिया जाएगाI

"अमेरिका अपना दूतावास येरुसलम में ही रखेगाI इसमें किसी भी मत से कोई फर्क नहीं पड़ेगा"

हेली ने चेतावनी दी कि इस प्रस्ताव से शुब्ध होकर संयुक राष्ट्र से वित्तीय सहयता वापस ले सकता हैI "यदि हमारा निवेश विफल रहता है, तो हमने अन्य तरीकों से अपने निवेश को खर्च करने का दायित्व हैI

"यह वोट याद रहेगाI"

अमेरिका के सभी प्रमुख सहयोगियों समेत सभी अरब देशों ने भी गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान कियाI

बुधवार को बहरीन के विदेश मंत्री खालिद अल-खलीफा ने संयुक राष्ट्र महासभा के उपाय के लिए छोटे से गल्फ द्वीप की प्रतिबद्धता पर संदेह जताया थाI

उन्होंने अपनी ट्वीट के जरीये कहा कि यह सही नहीं है हम अमेरिका से सब मिलकर किसी ऐसे मुद्दे पर लड़े जिसका कोई ख़ास महत्त्व नहीं है जबकि हम सब मिलकर "द थियो-फासिस्ट इस्लामिक रिपब्लिकन के वर्तमान खतरे के विरुद्ध लड़ाई लड़ सकते हैं”I

लेकिन सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और मिस्र के साथ बहरीन ने भी प्रस्ताव के पक्ष में मतदान कर दियाI

वॉशिंगटन के साथ घनिष्ठ संबंधों का आनंद लेने वाले अमरीकी सहायता प्राप्त जॉर्डन, ट्रम्प के निर्णय की खिलाफत करते हुए काफी मुखर रहेI

गुरुवार को, एक वरिष्ठ राजनायिक सूत्र ने अल जज़ीरा को बताया कि अम्मान अपनी स्थिति से पीछे नहीं हटेगा, चूँकि किंग अब्दुल्लाह येरूसलम को प्राथमिकता का मुद्दा मानते हैंI

'अभूतपूर्व परीक्षा'

फिलिस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल-मल्की ने, सत्र के दौरान विधानसभा को संबोधित करते हुए समर्थन के लिए अपील की और अमेरिका की चेतावनी को संदर्भित किया कि यह उन देशों के "नाम" ले रहा है जो संयुक्त राष्ट्र में इसका विरोध करते हैंI

अल-मल्की ने कहा, "यह संगठन अब एक अभूतपूर्व परीक्षा से गुज़र रहा हैI"

"इतिहास नाम दर्ज करता है, यह नामों को याद करता है - उन लोगों के नाम जो सही के साथ हैं या फिर झूठ बोलते हैंI आज हम अपने अधिकार और शांति की तलाश कर रहे हैंI"

तुर्की के एर्दोगान ने भी उन देशों के लिए सहायता में कटौती करने के वॉशिंगटन की धमकी पर ध्यान दिया, जो देश संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव के समर्थन में हैंI

उन्होंने कहा, "मैं पूरी दुनिया का आह्वान कर रहा हूँ : अपने डेमोक्रेटिक इच्छा को छोटे से डॉलर के बदले में कभी नहीं बेचना", यह उन्होंने मतदान से पहले अंकारा में एक टेलीविजन द्वारा दिए गए भाषण में कहा थाI

6 दिसंबर को ट्रम्प के निर्णय द्वारा येरुसलम को इज़राइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने से अंतर्राष्ट्रीय सहमति में दरार पड़ी और मुस्लिम दुनिया में इस फैसले के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन की झड़ी लग गयी, जिससे संयुक्त राष्ट्र संघ में अपीलों का तांता लग गयाI

इज़रायल-फिलिस्तीनी संघर्ष में इस पवित्र शहर की स्थिति सबसे कमज़ोर मुद्दों में से एक हैI

सोमवार को सुरक्षा परिषद में वॉशिंगटन द्वारा वीटो किये जाने के बाद अमरीकी चाल को अस्वीकार करने वाला एक प्रस्ताव का मसौदा महासभा को भेजा गया था, हालांकि सभी 14 परिषद् के सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट दिया थाI

संयुक्त राष्ट्र में इज़रायल के दूत ने कसम खाई कि उनका देश संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य राज्यों द्वारा येरुसलम के मामले में कभी भी "प्रेरित" नहीं होगा और कहा कि प्रस्ताव के पक्ष में वोट देने वाले देश फिलिस्तीनियों की "कठपुतलियाँ" हैंI

राजदूत डैनी डैनन ने 193 राष्ट्रों की महासभा के एक आपातकालीन सत्र में कहा कि, "संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा का कोई भी प्रस्ताव हमें येरुसलम से बाहर नहीं कर सकताI"

दानोन ने एक सिक्के हाथ में लहराते हुए दावा किया, कि येरुसलम में यहूदी उपस्थिति को साबित करने के लिए यह सिक्का  बाइबल के समय के द्वितीय मंदिर से हैI

बारीकी से निगरानी

ट्रम्प ने चेतावनी दी थी कि वॉशिंगटन उन देशों पर बारीक नज़र रखेगा जो गुरुवार को प्रस्ताव पर वोट देंगे, उनका यह भाषण एक धमकी थी कि जो देश अरब और मुस्लिम देशों यमन और तुर्की की तरफ से प्रस्तुत प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करेंगे तो उनके विरुद्ध वित्तीय प्रतिशोध (वित्तीय पाबंदी) लिया जा सकता हैI

"वे लाखों डॉलर और यहाँ तक कि अरबों डॉलर लेते हैं और फिर हमारे खिलाफ वोट देते हैं," ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में कहाI

"ठीक है, हम उन मतों नज़र रखे हुए हैंI उन्हें हमारे खिलाफ वोट देने दोI इससे हमारी काफी बचत होगीI हमें परवाह नहीं हैI"

एर्दोगान ने ट्रम्प पर "धमकियाँ" देने का आरोप लगायाI

उन्होंने कहा कि “अमेरिका को लोकतंत्र का पालना कैसे कहा जा सकता है? लोकतंत्र का पालना आज डॉलर लेकर दुसरे देशों की इच्छाशक्ति खरीदने की फिराक़ में हैI” उन्होंने यह भी कहा कि "प्रिय ट्रम्प आप तुर्की की लोकतांत्रिक इच्छाशक्ति को डॉलर से नहीं खरीद सकतेI यह हमारा स्पष्ट फैसला हैI"

ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावद जारिफ ने भी मतदान का स्वागत किया, और कहा कि ट्रम्प संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य राज्यों को धमकाने की कोशिश कर रहा हैI

उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि, "ट्रंप के शासन को #संयुक्त राष्ट्र को घृणाजनक धमकी दिए जाने के खिलाफ शानदार “वैश्विक ना" से करार जवाब मिल गयाI

'झूठ का घर'

मसौदे पर सोमवार को वीटो लगाने की कोशिश हुई और इसको प्रतिबिंबित करने की कोशिश हुई, हालांकि ट्रम्प के फैसले का उल्लेख नहीं किया गया था, लेकिन यह मसौदा येरुसलम के बारे में "हाल के फैसलों पर गहरा अफसोस" व्यक्त करता हैI

वोट से पहले, इज़रायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतनयाहू ने संयुक्त राष्ट्र संघ को "झूठ का घर" कहा, और कहा कि इज़राइल "इस वोट को पूरी तरह से खारिज करता है, जबकि तब तक प्रस्ताव पारित भी नहीं हुआ था"I

उन्होंने कहा, "दुनिया में कई देशों का और सभी महाद्वीपों का इज़राइल के प्रति दृष्टिकोण संयुक्त राष्ट्र की दीवारों के बाहर बदल रहा है, और अंततः संयुक्त राष्ट्र के झूठ के घर में भी यह एक दिन घुस जाएगाI"

मतदान से बचने,इसके खिलाफ वोट करने या मतदान न करने के लिए आने के अमरीका के दबाव के  बावजूद राजनयिकों ने आशा करी थी कि इस प्रस्ताव को काफी समर्थन मिलगा I

 

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