अफगानिस्तान में युद्ध अपराध के मामले में मुक़दमा चलाने को लेकर यूएस ने आईसीसी को दी धमकी

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) के न्यायाधीशों और वकीलों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने की धमकी दी है। अधिकारी ने कहा कि आईसीसी का प्री-ट्रायल चेंबर यदि अफगानिस्तान में युद्ध अपराधों के लिए अमेरिकी सेना और सीआईए की जांच करने की अनुमति देता है तो वह ऐसा कर सकता है। बोल्टन ने धमकी दी कि अमेरिका में न्यायाधीशों के प्रवेश को रोका जा सकता है, उनके फंडिंग को बंद किया जा सकता है और यदि न्यायाधीशों ने आईसीसी वकील फतोउ बेंसौदा को युद्ध अपराधों और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों की जांच करने की अनुमति दी तो उन पर भी मुक़दमा चलाया जा सकता है।
आईसीसी के अलावा भी बोल्टन ने धमकी देते हुए कहा कि "कोई भी कंपनी या सरकार जो अमेरिकियों की आईसीसी जांच में सहायता करता है" उस पर भी अमेरिकी अदालतों में मुक़दमा चलाया जाएगा।
शायद यह भूलकर कि अमेरिका की संप्रभुता अफगानिस्तान तक नहीं पहुंचती, अदालत के ख़िलाफ़ बयान देते हुए उन्होंने "अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा" और"अमेरिकी संप्रभुता" के लिए खतरा माना। बोल्टन ने आगे कहा, "हम आईसीसी के साथ सहयोग नहीं करेंगे। हम आईसीसी को कोई सहायता नहीं देंगे। हम आईसीसी में शामिल नहीं होंगे। हम आईसीसी को अपने आप मरने देंगे। कुल मिलाकर, सभी आशय और उद्देश्यों के लिए आईसीसी पहले से ही हमारे लिए मर चुका है।"
बोल्टन ने अपने संबोधन में क़ब्ज़े वाले क्षेत्र में इज़रायली सैनिकों की क्रूरता की जांच के लिए आईसीसी में फिलीस्तीनी अधिकारियों के जाने के प्रयासों के ख़िलाफ़ भी नाराज़गी ज़ाहिर की। लेकिन आईसीसी की अमेरिकी सैनिकों की जांच की संभावना पर उनकी ख़ास नज़र थी। उन्होंने कहा कि आईसीसी को अमेरिकी नागरिकों के ख़िलाफ़ कोई भी शिकायत जमा करने से अन्य देशों को रोकने के लिए "बाध्यकारी, द्विपक्षीय समझौते" पर अमेरिका हस्ताक्षर करना चाहता है।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता सारा सैंडर्स ने कहा कि राष्ट्रपति "हमारे नागरिकों (और) हमारे सहयोगियों को आईसीसी के अनुचित मुक़दमा से बचाने के लिए आवश्यक साधनों का उपयोग करेंगे"।
आईसीसी के मुक़दमा से अमेरिकी सुरक्षा कर्मियों को बचाने के लिए "सभी आवश्यक साधनों" जैसे वाक्य का इस्तेमाल करना ट्रम्प प्रशासन के लिए कोई नया नहीं है। वास्तव में यह अमेरिकी सेवा-सदस्य संरक्षण अधिनियम का हिस्सा है जिसे बुश प्रशासन द्वारा मई 2002 में पारित किया गया था। इसे रोम अधिनियम प्रभावी होने के ठीक एक महीने बाद पारित किया गया था।
"मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और युद्ध अपराध किए जाने को मानने का उचित आधार है" के प्रारंभिक जांच के निष्कर्ष के बाद पिछले साल नवंबर में अभियोजक ने प्री-ट्रायल चेंबर से अफगानिस्तान के क्षेत्र में या अन्य देशों में, जो न्यायालय क्षेत्र के अधीन आते हैं जहां अफगानिस्तान संघर्ष से जुड़े लोगों को रखा गया था, हिरासत केंद्रों में किए गए कथित अपराधों की जांच करने की अनुमति देने के लिए अनुरोध किया।
यद्यपि अभियोजक ने तालिबान, अफगान सुरक्षा बलों और अमेरिकी सेनाओं द्वारा किए गए रोम अधिनियम के तहत होने वाले कथित अपराधों की जांच करने की मांग की है, लेकिन बाद में आईसीसी न्यायाधीशों के खिलाफ प्रतिशोध के अपने धमकी को लेकर सुर्खियों में है।
ये कथित हिंसा जिसकी जांच करने की उन्होंने मांग की वह 1 मई, 2003 के बाद किए गए, इस तारीख़ के बाद अफगानिस्तान न्यायालय क्षेत्र के अधीन आया। कुछ महीने पहले इसने रोम अधिनियम को मंजूर किया था।
गुप्त हिरासत केंद्रों में यूएस सैनिकों द्वारा कथित तौर पर किए गए अधिकांश अपराधों में से उन्होंने मई 2003 और दिसंबर 2004 के बीच किए गए अपराधों को जांच करने का प्रयोजन रखा। 2014 की आईसीसी अभियोजक की प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक़, “ऐसा लगता है कि अफगानिस्तान के क्षेत्र में व्यक्तिगत गरिमा का अपमान, क्रूर व्यवहार, उत्पीड़न कम से कम 61 हिरासत में लिए हुए व्यक्तियों पर किया"। हालांकि, 2014 तक कुछ मामलों में हिरासत में बलात्कार सहित व्यवस्थित हिंसा जारी रहे हैं।"
रिपोर्ट के अनुसार, "ये तथाकथित अपराध कुछ पृथक व्यक्तियों के दुरुपयोग नहीं थे। इसके बजाय, वे नज़रबंद व्यक्तियों से 'क्रियाशील बुद्धि' निकालने के प्रयास में अनुमोदित पूछताछ तकनीकों के हिस्से के रूप में प्रतिबद्ध हुए हैं..। उपलब्ध जानकारी से पता चलता है कि पीड़ितों से जबरन शारीरिक और मनोवैज्ञानिक हिंसा हुई, और कथित तौर पर क्रूर अपराध किया गया और इस तरह से पीड़ितों की मूल मानव गरिमा को ख़त्म कर दिया। 'बढ़ी हुई पूछताछ तकनीक' का प्रवाहएक साथ लागू होता है और लंबे समय तक एक-दूसरे के साथ संयोग में पीड़ितों को गंभीर शारीरिक और मनोवैज्ञानिक आघात का कारण बनता है।"
आईसीसी को कई दस्तावेज़ सौंपने वाले रीप्रीव नामक संस्था के निदेशक के अनुसार बग्राम शहर में अमेरिका निर्मित और संचालित हिरासत केंद्र, जिसे बाद में अफगान अधिकारियों को सौंप दिया गया, में हिरासत में लिए गए व्यक्तियों को"बंदूक से रूसी रौलेट्टे (रिवॉल्वर में गोली भर कर किसी व्यक्ति के सिर पर निशाना लगाने का अभ्यास) करने को मजबूर किया गया था, कई दिनों तक तनाव की स्थिति में रखा गया था। दुर्व्यवहार जो किसी भी व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक तौर पर कमज़ोर कर देता है।"
इन दुर्व्यवहारों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव उन पीड़ितों पर रहा है जो कथित दुर्व्यवहार के बाद लंबे समय तक उनकी याद्दाश्त पर छाया रहा। यह बताया गया था कि पीड़ित "प्रतारणा, पागलपन, अनिद्रा, और स्वयं को नुकसान पहुंचाने के प्रयासों सहित मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक मामलों से ग्रसित थें।"
आईसीसी अभियोजक की रिपोर्ट में कहा गया है, "कथित अपराधों की गंभीरता इस तथ्य से बढ़ जाती है कि सावधानीपूर्वक और व्यापक विचार-विमर्श के बाद अमेरिकी सरकार के उच्च स्तरों पर अनुमोदित योजनाओं या नीतियों के अनुसार वे प्रतिबद्ध थे।"
औपचारिक रूप से जांच की अनुमति देने के लिए प्री-ट्रायल चेंबर से आईसीसी के अभियोजक द्वारा अनुरोध करने के बाद न्यायाधीशों ने उन पीड़ितों को बुलाया है जिसने आरोप लगाया है कि, अफगानिस्तान या अन्य देशों में जिन्होंने अफगानिस्तान में संघर्ष से जुड़े रोम अधिनियम की मंजूरी दी है, रोम अधिनियम अपराध उनके ख़िलाफ़ कथित तौर पर किए गए। प्रतिनिधित्व भेजने के लिए यह अवधि 31 जनवरी को समाप्त हुई, जिसके बाद 20 फरवरी को पीड़ितों की एक अंतिम रिपोर्ट, "पीड़ित प्रतिनिधित्व प्रक्रिया के एक अवलोकन वाला प्रतिनिधित्व, साथ ही भेजे गए प्रतिनिधित्व के विवरण और आंकड़े" इन न्यायाधीशों को भेजे गए थे, भेजा गया था न्यायाधीशों के लिए, जिसके आधार पर निर्णय लिया जाएगा कि अभियोजन पक्ष के अनुरोध को अनुमति दिया जाएगा या नहीं।।
यद्यपि बोल्टन ने इस आधार पर विरोध किया है कि न तो अफगानिस्तान और न ही किसी अन्य देश ने आईसीसी के अधिनियम पर हस्ताक्षर किए हैंजिसने आईसीसी की जांच के लिए अनुरोध किया है, ऐसे अनुरोध संबद्ध अंतर्राष्ट्रीय अधिनियमों के अनुसार, अभियोजन पक्ष के लिए जांच करना ज़रूरी नहीं है।
वर्ष 2000 में अदालत की स्थापना प्रक्रिया के दौरान से शामिल अमेरिका ने बुश प्रशासन के अधीन इसे मंजूरी देने से इंकार कर दिया। पूर्व राष्ट्रपति ओबामा ने अदालत के प्रति कुछ दोस्ताना संकेत दिया, यहां तक कि उन्होंने भी रोम अधिनियम का समर्थन नहीं किया।
हालांकि तथ्य यह है कि अफगानिस्तान ने पुष्टि की है कि वह आईसीसी को सभी के द्वारा किए गए मानवता के ख़िलाफ़ अपराध तथा युद्ध अपराधों की जांच करने का अधिकार क्षेत्र देता है। उसने कहा की वह देश के भीतर या अन्य सदस्य देशों में संचालित विदेशी सैनिक जहां अफगान संघर्ष से जुड़े हिरासत में लिए लोग थे वहां जांच का अधिकार क्षेत्र देता है। इन्हें अपराध के अधीन लाया जा सकता है।
फिर भी यह देखा जाना बाकी है कि क्या आईसीसी अमेरिका, जिसे अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के प्रति अल्प सम्मान देने के लिए जाना जाता है. के ख़िलाफ़ अपनीताक़त दिखाएगा या कमजोर संगठन के रूप में जाना जाएगा जो मुख्य रूप से अफ्रीका जैसे आसान लक्ष्य को दंडित करता है - एक ऐसी छवि जिसने अफ्रीकी संघ को आईसीसी से वापस लेने के लिए अपने सदस्य देशों से आग्रह किया है।
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