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आयुध बोर्ड ने हड़ताल में भाग लेने वाले कर्मचारियों का वेतन काटा

आयुध कारखानों के निगमीकरण के ख़िलाफ़ एक लाख से अधिक श्रमिकों ने 20 अगस्त को देशव्यापी हड़ताल की, जो छह दिनों तक चली थी।
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Image Courtesy: Hindustan Times

82,000 रक्षा असैनिक कर्मचारियों और 40,000 हज़ार संविदा कर्मचारियों की तनख़्वाह में 20 अगस्त से 25 अगस्त तक चली देशव्यापी हड़ताल में शामिल होने की वजह से कटौती की गई है। जिसे यूनियनों ने एक विरोध को दबाने की कोशिश कहा है।

ऑर्डनेंस फ़ैक्टरी बोर्ड द्वारा जारी 26 अगस्त के सर्कुलर में फ़ैक्टरी यूनिट्स के सभी महाप्रबंधकों को "कर्मचारियों की किसी भी श्रेणी के लिए अपने स्वयं के स्ट्राइक पीरियड को दर्ज नहीं करने" का निर्देश दिया गया है, जो सीधे सीधे वेतन कटौती को दिखाता है।  

सर्कुलर में ऐसे सभी कर्मचारियों की सूची तैयार करने के लिए कारखानों को निर्देशित किया गया है, जो अनुपस्थित थे।

अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी यूनियन के महासचिव (AIDEF)  सी श्रीकुमार ने कहा, "प्रबंधन, इस मामले में काम से कर्मचारियों की हड़ताल की अवधि के दौरान अनुपस्थिति को एक अनाधिकृत अनुपस्थित मानता है, जबकि यह निर्धारित भारतीय क़ानूनों के प्रावधानों के ख़िलाफ़ है, क्योंकि यह हड़ताल क़ानूनी रूप से उचित थी।”

आपको बता दें कि आयुध कारखानों में काम करने वाले रक्षा नागरिक कर्मचारी औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 और ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 के तहत काम करते हैं। यूनियनों के अनुसार, हड़ताल क़ानून और नियम के अंदर रहकर ही की गई थी।

श्रीकुमार ने कहा, " 75% से अधिक सदस्यों को साथ लेकर हड़ताल का आयोजन किया गया था और प्रबंधन को हड़ताल की सूचना भी दी गई थी।"

उन्होंने कहा, ऐसे मामलों में जब काम से अनुपस्थिति एक क़ानूनी हड़ताल में भाग लेने के कारण होती है, तो विभाग के पास कर्मचारियों के वेतन में कटौती करने की शक्ति नहीं है।

कर्मचारियों के मान्यता प्राप्त संघों ने ओएफ़बी के अध्यक्ष को भेजे गए एक संयुक्त पत्र दिनांक 17 सितंबर को बोर्ड के निर्णय से अपनी निराशा व्यक्त की।

तीनों यूनियनें ऑल इंडिया डिफ़ेंस एम्पलाइज़ फ़ेडरेशन (AIDEF), इंडियन नेशनल डिफ़ेंस वर्कर्स फ़ेडरेशन (INDWF) और यहां तक कि RSS से जुड़े भारतीय प्रतिरक्षा मज़दूर संघ (BPMS) ने भी इसकी आलोचना की है।

इसके अतिरिक्त, कर्मचारियों के मोर्चों ने पहले भी यूनियनों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार करने में सरकार की "मंशा" पर संदेह व्यक्त किया था।

यूनियनों के अनुसार, रक्षा उत्पादन सचिव के लिखित आश्वासन मिलने के बाद हड़ताल को "ख़त्म" किया गया था, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है और यूनियन की चिंताओं पर विचार किया जाएगा। हालाँकि, यूनियनों द्वारा उठाए गए मुद्दों के समाधानों के लिए अभी तक कोई उच्च स्तरीय समिति का गठन नहीं किया गया है।

श्रीकुमार ने कहा, "यूनियन ऑर्डनेंस फ़ैक्टरीज़ के निगमीकरण के संबंध में घटनाक्रम पर पैनी नज़र बनाई हुई है, जिसके आधार पर ज़रूरत पड़ने पर दूसरे चरण का आंदोलन बुलाया जा सकता है।

20 अगस्त को आयुध कारखानों के निगमीकरण के ख़िलाफ़ एक लाख से अधिक नागरिक ऐतिहासिक देशव्यापी हड़ताल पर चले गए थे।

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