बच्चा चोर समझ कर बुजुर्ग साधु की पिटाई, मौत
बच्चा चोरी की अफवाह के चलते अनजान लोगों के साथ भीड़ की मारपीट की घटनाएं जारी हैं। उत्तर प्रदेश चित्रकूट जिले के मानिकपुर थाना क्षेत्र की पनहाई रेलवे स्टेशन पर कथित रूप से बच्चा चोर समझ कर कुछ यात्रियों ने साधु वेशधारी एक बुजुर्ग की पिटाई कर दी, जिसकी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गयी।
मानिकपुर थानाध्यक्ष कृष्ण कुमार मिश्रा ने शुक्रवार को बताया कि घटना बुधवार सुबह की है। पनहाई रेलवे स्टेशन में साधु वेशधारी 70 वर्षीय एक बुजुर्ग घूम रहे थे। कुछ यात्रियों ने गलतफहमी में आकर उनकी बुरी तरह पिटाई कर दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गये।
उन्होंने बताया कि स्टेशन मास्टर की सूचना पर पहुंची डायल 100 सेवा की पुलिस ने घायल साधु को मानिकपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां से उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। इलाज के दौरान बुधवार को ही उनकी मौत हो गयी।
मिश्रा ने बताया कि मृत्यु पूर्व बयान उन्होंने पुलिस को बताया कि उसका नाम रामभरोसे पुत्र रामनराज है और वह शाहजहांपुर जिले के निकाई गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने यह भी बताया था कि वह रेलवे स्टेशन पर घूम फिर कर अपना बसर कर रहे थे। इसी बीच कुछ यात्रियों ने चोर-चोर कह कर उनकी पिटाई कर दी।
उन्होंने बताया, ‘‘साधु की पिटाई बच्चा चोरी के शक में नहीं, बल्कि 'चोर' समझ कर की गई है।’’पुलिस ने बताया कि इस संबंध में गैर इरादतन हत्या की धारा-304 आईपीसी के तहत अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर पूछताछ के लिए कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है।
उत्तर प्रदेश के आईजी लाॅ एंड ऑर्डर प्रवीण कुमार के मुताबिक पिछले एक महीने में अब तक ऐसे 37 मामलों में एफआईआर दर्ज हो चुकी है जिसमें 140 आरोपियों की पुलिस ने गिरफ्तारी भी की है।
ऐसा नहीं है कि बच्चा चोरी की अफवाह में भीड़ द्वारा पिटाई की घटनाएं सिर्फ यूपी, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में हो रही हैं। ऐसी घटनाओं की सूचना देश के लगभग हर हिस्से से आ रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के अलग-अलग इलाकों में इस तरह की घटनाओं में एक अगस्त से अब तक 25 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। तो वहीं, एक आंकड़े के मुताबिक पिछले तीन सालों में भीड़ ने बच्चा चोरी के शक में 50 से ज्यादा लोगों की हत्या की है।
यह बात कई मामलों में सच भी साबित होती दिख रही है। भीड़ द्वारा पिटाई की घटनाओं में आरोपी छूटते नजर आ रहे हैं इससे सबका हौसला बढ़ा हुआ है। राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन भी इसके खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ते नजर नहीं आ रहे हैं। इसका फायदा असामाजिक तत्व उठा रहे हैं। भीड़ खुद कानून हाथ में लेने पर उतारू हो गई है।
(भाषा के इनपुट के साथ)
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