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बिहार में बीजेपी गठबंधन की सरकार बनते ही गौरक्षक हुए सक्रिय

मॉब लिंचिंग का मामला आया सामने
बिहार में बीजेपी गठबंधन की सरकार बनते ही गौरक्षक हुए सक्रिय

बिहार में जेडीयू और बीजेपी की सरकार बनते ही गौरक्षकों की सक्रियता का मामला सामने आया है। मांस व्यापारी 30 वर्षीय अलीमुद्दीन अंसारी को करीब 10 लोगों ने बुरी तरह हमला कर दिया जिससे अंसारी गंभीर रूप से जख्मी हो गया।

रिपोर्ट के अनुसार इस घटना की जानकारी सबसे पहले भोजपुर न्यूज नाम के व्हाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट किया गया। ये ग्रुप चंदन पांडे द्वारा चलाया जाता है। पांडे शाहपुर शहर का बीजेपी का महासचिव है। 2 अगस्त की रात उसने ग्रुप में पोस्ट किया कि पश्चिम बंगाल की एक ट्रक रानीसागर के पास शहर से गुजरने वाली है जो 5 किलोमीटर दूर है। रिपोर्ट के मुताबिक सुबह 2 बजे तक बीजेपी और बजरंग दल कार्यकर्ताओं का एक समूह ट्रक को रोकने के लिए शहर के पेट्रोल पंप के पास पहुंच गया। ट्रक को जब्त कर लिया गया और मांस के नमूने को परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेज दिया गया है।

न्यूज क्लिक से बात करते हुए आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि ‘बिहार में नई सरकार बनने के 96 घंटे के भीतर ये मॉब लिंचिंग की पहली घटना सामने आई है। यह प्रधानमंत्री के उस मिथक को भी उजगार करता है जिसमें कहा गया था कि गौरक्षकों का बीजेपी और आरएसएस से कोई लेना देना नहीं है। इस तरह की घटनाओं में दिल्ली की सरकार के चलते भीड़ को शक्ति मिल गई है।’

बिहार संरक्षण और पशु सुधार अधिनियम, 1955 की धारा 3 में "गायों, बछड़ों, बैल, भैंसों का वध उस वक्त तक नहीं किया जा सकता है जब तक कि अधिकारियों द्वारा स्पष्ट रूप से अनुमति नहीं दी जाती है। जब 25 वर्ष या उससे अधिक उम्र का बछड़ा, बैल और भैंस नहीं हो जाता या प्रजनन और दूध देने में असमर्थ हैं, तो अधिकारी इसे अनुमति दे सकते हैं।"

4 अगस्त को स्थानीय लोगों और पुलिस श्रोतों ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि स्थानीय बीजेपी नेताओं चंदन पांडे, अंकित पांडे, राकेश तिवारी और पंकज तिवारी तथा बजरंग दल के कार्यकर्ता निशू राव, कृषण कांत सिंह और धोनी उन लोगों में से थे जिन्होंने ट्रक को रोका था।

घटना के बाद शाहपुर में लोगों ने मांस के अवैध व्यापार पुलिस की निष्क्रियता को लेकर प्रदर्शन किया। इसके बाद पुलिस ने चार लोगों को इस व्यापार में लिप्त होने के चलते गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए लोगों में स्लॉटर हाउस का मालिक सर्फुद्दीन खान और अजमुल्लाह खान को बिक्रमगंज से गिरफ्तार किया वहीं गुलाम खान को हरिहरगंज के रोहतास जिला से गिरफ्तार किया।  

न्यूज क्लिक द्वारा संग्रह किए गए आंकड़ों के अनुसार बिहार में वर्ष 2013 गौरक्षकों का मामला सामने आया था। इस घटना में पिक-अप वाहन के संदिग्ध चालक पर हमला किया गया था जिसमें उसके बाएं आंख की रौशनी चली गई थी।    

गायों की रक्षा के नाम पर गौरक्षकों ने देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों पर हमला किया जिसमें कई लोगों की जान चली गई। जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तब से मॉब लिंचिंग के 63 मामले सामने आ चुके हैं। वर्ष 2015 से अब तक 30 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है। इन घटनाओं में दलितों और मुस्लिमों को निशाना बनाया गया। जिन राज्यों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं नहीं हुई थी वहां देखा गया है कि बीजेपी के सत्ता में आते ही इस तरह की घटना होने लगी है।  

 

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