Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

बलात्कार नहीं बेरोजगारी और राजनीति है गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हमले की वजह!

अहमदाबाद के प्रोफेसर हेमंत शाह ने कहा "निश्चित ही एक बच्ची से बलात्कार की घटना निंदनीय है। लेकिन उत्तर भारतीयों पर हमले की घटनाओं के कारण दूसरे हैं…।”
gujrat
image courtesy:redit.com

गुजरात में लगातार उत्तर भारतीयों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से यह घटनाएं राज्य में हर तरफ हो रही हैं और यही वजह है कि बड़ी संख्या में बिहार और उत्तर प्रदेश से आये लोग प्रदेश छोड़ने पर मजबूर हैं।

गुजरात पुलिस के मुताबिक अब तक राज्य भर में 18 मामले दर्ज़ हुए हैं और 180 लोगों को हिंसा करने के आरोप में  गिरफ्तार कर लिया गया है।गाँधीनगर, मेहसाना, साबरकांठा और अरावली ज़िले इस हिंसा के केंद्र रहे हैं और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंसा में ठाकोर समाज के लोग शामिल हैं। हिंसा में कांग्रेस विधायक अल्पेश के संगठन क्षत्रीय ठाकोर सेना का भी नाम सामने आ रहा है। जबकि उन्होंने इस बात को सिरे से नाकारा है। 

दरअसल 28 सितम्बर को गुजरात के हिम्मतनगर गाँव के करीब 14 महीने की एक लड़की के साथ बलात्कार हुआ। फिलहाल बच्ची अहमदाबाद के एक अस्पताल में भर्ती है। इस बर्बर घटना को अंजाम देने के आरोप में  चीनी मिट्टी कारखाने में काम करने वाले एक मज़दूर राजेंद्र साहू को गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि यह व्यक्ति बिहार से है और पीड़ित लड़की गुजरात के ठाकोर समाज से। इस घटना के बाद ही बिहारी और उत्तर भारतीय मज़दूरों पर हमले की घटनाएं शुरू हुईं। जिसके बाद उत्तर भारतीय मज़दूरों ने गुजरात छोड़ना भी शुरू कर दिया। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोशल मीडिया पर लगातार उत्तर भारतीयों के खिलाफ ज़हरीला प्रचार किया गया, जिसके बाद हिंसा भड़की।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2 अक्टूबर को वडनगर की एक फैक्ट्री में ठाकोर समाज के 200 लोगों ने हमला किया और 2 मज़दूरों को पीटा। बताया जा रहा है कि इस हमले की पीछे ठाकोर सेना थी। इस मामले में पुलिस ने 20 लोगों को गिरफ्तार किया है। 3 अक्टूबर को ठाकोर समाज के लोगों ने अहमदाबाद के चंदोलिया में तोड़ फोड़ की और वहाँ से उत्तर भारतीयों को निकल जाने को कहा। सोशल मीडिया पर गांधीनगर का भी एक वीडियो वायरल हुआ है। इसमें एक भीड़ बिहारी मज़दूरों को धमकाती हुई दिख रही है। 

गुजरात पुलिस का कहना है कि ज़्यादातर हमले फैक्ट्रियों के आसपास हो रहे हैं। यह तब हो रहे हैं जब या तो फैक्ट्रियां खुलती हैं या बंद होती हैं। पुलिस का कहना है कि गुजरात के 20 प्रभावित ज़िलों में पुलिस की 20 कम्पनियाँ तैनात कर दी गयीं हैं। 

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हमले के डर की वजह से शनिवार को करीब 20 बसें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए निकलीं।  हर बस में 80 लोग मौजूद थे। इसी तरह हज़ारों की संख्या में उत्तर भारतीय गुजरात से जा रहे हैं। 

कांग्रेस के विधायक अल्पेश ठाकुर ने ठाकोर समाज के लोगों से शान्ति की अपील की है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि ठाकोर समाज के जिन भी  निर्दोष   लोगों पर मामले दर्ज़ हैं उन्हें हटा दिया जाना चाहिए। साथ ही उनका कहना है कि यह गुस्सा इसीलिए है क्योंकि गुजरात सरकार ने 80% गुजरातियों को नौकरियाँ देने के नियम को तोड़ा है। 

गुजरात के एक बुद्धिजीवी और राजनीति के जानकार प्रोफेसर हेमंत शाह ने कहा "निश्चित ही एक बच्ची से बलात्कार की घटना निंदनीय है। लेकिन उत्तर भारतीयों पर हमले की घटनाओं के कारण दूसरे हैं। एक तो राज्य में बेरोज़गारी की स्थिति भयावह है राज्य में 16 लाख युवा बेरोज़गार हैं, यह उनका रोष लगता है। दूसरी बात यह है कि कई सालों तक नरेंद्र मोदी के मुख्य मंत्री रहते बीजेपी ने यह प्रचार चलाया था कि गुजरात के लोगों के साथ अन्याय हुआ है, जिससे क्षेत्रवाद की भावना हो भड़काया गया था, यह घटनायें उसका परिणाम भी लगतीं हैं। इसके साथ ही स्थानीय राजनीति भी क्षेत्रवाद की रोटियाँ सेंक रही है। साथ ही यह कानून और व्यवस्था का भी मसला है।"

गुजरात के वडगाम से निर्दलीय विधायक और राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक जिग्नेश मेवाणी ने भी इस संबंध में “14 माह की बच्ची का बलात्कार और प्रांत वाद” शीर्षक से सोशल मीडिया पर प्रेस नोट जारी किया है। इसमें वे लिखते हैं कि गुजरात से निकली प्रांत वाद की आग आगे फैले उसके पहले ही उसे रोक देना चाहिए। पिछले दिन गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मत नगर में 14 माह की एक बच्ची पर बलात्कार किया गया। स्वाभाविक है कि इस घटना के गहरे प्रत्याघात पड़े। बलात्कार का इल्जाम है बिहार के शख्स पर। 14 माह की बच्ची पर कहर बरसानेवाले बलात्कारियों को निर्विवाद रुप से सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए, लेकिन नालियाकांड का रिपोर्ट दबा कर बैठी भाजपा सरकार के बजाय प्रांतवादी मानसिकता से पीडित कूछ लोग अपना गुस्सा यूपी, बिहार और मध्यप्रदेश के गरीब मज़दूरो पर निकाल रहे है जो बेहद शर्मनाक है।

वे कहते हैं कि हम और हमारा संगठन 'राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच' गुजरात में सालों से रहते और मजदूरी के लिए आए अंतर राज्य प्रवासी मजदूरों के हो रहे प्रांतवादी उत्पीड़न के खिलाफ है और इन मजदूरों को आश्वस्त करते हैं कि आप पर हो रहे हर हमले के खिलाफ हम खड़े रहेंगें। यह भी कहना चाहते है कि लोकल एम्प्लॉयमेंट(स्थानिक रोजगार) के नाम पर अंतर राज्य प्रवासी मजदूरों को भगाने के बजाय गुजरात और बिहार दोनों के मजदूरों को ठेका प्रथा के खिलाफ मोर्चा खोलकर मालिक वर्ग और दमनकारी गुजरात की भाजपा सरकार के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए।

अंत में जिग्नेश कहते हैं कि “यह मुल्क दलित का भी है, बिन दलित का भी है, हिंदू का भी है मुसलमान का भी है, गुजराती का भी है और बिहारी का भी है। प्रांत वाद मुर्दाबाद, भारत की विभिन्न संस्कृतियों का समन्वय जिंदाबाद।”

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest