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बिहार में बाढ़: पिछले 48 घंटों में पूर्वी चंपारण, भागलपुर में कई गांव डूबे, बहुत सारे लोग विस्थापित

गंडक, कोशी नदियों के उफ़ान से हुए कटाव ने कई परिवारों को बेघर कर दिया है। कई परिवारों को अब भी सरकारी मदद का इंतजार है।
बिहार में बाढ़: पिछले 48 घंटों में पूर्वी चंपारण, भागलपुर में कई गांव डूबे, बहुत सारे लोग विस्थापित
फ़ोटो: साभार: बिज़नेस स्टैंडर्ड

पटना : बिहार के पूर्वी चंपारण और भागलपुर ज़िलों में पिछले 72 घंटों में उफ़नती गंडक और कोशी नदियों के कटाव से सैकड़ों लोग बेघर और विस्थापित हो चुके हैं। लोग ज़िंदा रहने के एकलौते विकल्प के तौर पर ऊंचे तटबंधों पर शरण लेने के लिए मजबूर हैं, और अब भी स्थानीय प्रशासन की तरफ़ से मदद पाने का इंतज़ार कर रहे हैं।

पूर्वी चंपारण के अरेराज प्रखंड के सखावा टोक गांव में गंडक के कटाव से बिट्टू यादव और योगेंद्र यादव के घर पानी में डूब गये हैं।

अपने परिवार और मवेशियों के साथ सारण तटबंध पर शरण लेने वाले यादव ने बताया, “गंडक में बढ़ते जल स्तर ने 40 से ज़्यादा घरों को तबाह कर दिया है और खेतों में खड़ी फ़सल को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है। चूंकि हमारा गांव गंडक के दो पाटों के बीच स्थित है, इसलिए हम इस साल ज़िले और पड़ोसी नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा के चलते इस बढ़ते कटाव के शिकार हैं।”

बृजेश यादव ने कहा कि 200 से ज़्यादा ग्रामीण विस्थापित हो चुके हैं, क्योंकि उनके घर इस कटाव के शिकार हो गये हैं। इन्हें भूख से जूझना पड़ रहा है।उन्होंने बताया, “हम न सिर्फ़ बेघर हैं, बल्कि कुछ सूखे चूरे(चावल से बना सूखा खाद्य पदार्थ) और सत्तू के अलावे हमारे पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है। आने वाले दिनों में बाढ़ का पानी कम होने के बाद हमें यह भी नहीं पता कि कहां जाना है और क्या करना है।”

विस्थापित ग्रामीणों के मुताबिक़ दो दशक पूर्व भी कटाव से सखावा टोक बुरी तरह तबाह हो गया था। गांव के ज़्यादातर घर तबाह हो चुके हैं और लोगों को अलग-अलग पड़ोसी गांवों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

इसी तरह, कोशी का कटाव भागलपुर के कहारपुर गांव के रहने वालों की रातों की नींद हराम किये हुए है। विजय यादव का घर तीन दिन पहले ही इस कटाव का शिकार हो गया था।विजय यादव ने कहा, “कोशी में जल स्तर बढ़ने से हो रहा यह कटाव हर दिन दो से तीन घरों को तबाह कर रहा है।”

कहारपुर गांव के रहने वाले सनातन सिंह और राजेश पासवान,दोनों इस कटाव से डरे हुए हैं, क्योंकि दोनों के घर जलमग्न होने के कगार पर हैं।वे कहते हैं, “हमारे और दो दर्जन और लोगों के घर के पानी में समा जाने की आशंका है। कई ग्रामीण अपने घरेलू सामानों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।”

पिछले महीने बागमती, बूढ़ी गंडक, गंगा, गंडक और कोशी के कटाव से 16-17 ज़िलों में सैकड़ों घर और कई स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मंदिर, मस्जिद तबाह हो गये थे। जैसी कि ख़बरें यहां आती रही हैं कि मानसून की शुरुआत के साथ-साथ भारी बारिश के चलते जून के मध्य से ही यह कटाव जारी है।

विडंबना यह है कि कटाव के इस मसले से निपटने को लेकर राज्य सरकार कमोबेश चुप है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ़ से अपडेटेड आधिकारिक दैनिक बाढ़ रिपोर्ट में इस कटाव से जुड़े आंकड़ों का कोई ज़िक़्र ही नहीं है।

लगातार चार दिनों से समस्तीपुर-दरभंगा खंड पर बढ़ते बाढ़ के पानी से रेल ट्रैक जलमग्न हो गया है और ट्रेन सेवायें बाधित हो गयी हैं। इससे हज़ारों लोग, ख़ास तौर पर वे प्रवासी श्रमिक प्रभावित हुए हैं, जिन्होंने हाल के हफ़्तों में कोविड-19 मामलों में आयी गिरावट के बाद देश भर के अपने-अपने कार्यस्थलों पर वापस जाना शुरू कर दिया है। समस्तीपुर-दरभंगा रेल खंड में रेल की पटरियों के जलमग्न होने और एक रेल पुल के गाटर पर बाढ़ के पानी के आते ही रेलवे अधिकारियों को आधे दर्जन ट्रेनों को रद्द करने और एक दर्जन से ज़्यादा ट्रेनों के मार्ग बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

बिहार में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है, कुछ बड़ी नदियां कुछ जगहों पर ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जबकि दूसरी नदियों के जलस्तर में गिरावट के संकेत दिख रहे हैं, जो कि राहत के संकेत है। हालांकि, ज़मीन का बड़ा हिस्सा अब भी जलमग्न है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने और बारिश होने की भविष्यवाणी की है, आने वाले दिनों में पानी के कम होने की संभावना बहुत कम है।

आपदा प्रबंधन विभाग की 2 सितंबर को दैनिक बाढ़ रिपोर्ट के मुताबिक़ 16 ज़िलों के 1,975 गांवों में कुल 28.75 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए थे। हफ़्तों बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या 29 लाख से नीचे और प्रभावित गांवों की संख्या 2,000 से नीचे आ गयी है।

बिहार में बाढ़ से अब तक आधिकारिक तौर पर 53 लोगों की मौत हो चुकी है।

विभाग के ताज़ा अपडेट में कहा गया है कि राज्य में अब तक 2,15,355 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाक़ों से निकाला गया है।

जून के बाद से अब तक तीसरी या चौथी बार सैकड़ों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है।

बिहार में इस साल मॉनसून की शुरुआत के साथ ही भारी बारिश हुई थी। राज्य में जुलाई और अगस्त के दौरान हुई भारी वर्षा सामान्य है, लेकिन, राज्य में जून में अतिरिक्त बारिश हुई थी। इससे निचले इलाक़ों में बाढ़ आ गयी थी।

जून 2021 में बिहार में 354.3 मिलीमीटर (mm) बारिश हुई थी, जो कि इस महीने होने वाली सामान्य बारिश से 111 फ़ीसदी ज़्यादा है। इस अतिरिक्त वर्षा ने 31 जुलाई तक इन दो महीनों में हुई कुल वर्षा को 613.1 मिमी कर दिया,जो कि इस अवधि में होने वाली औसत वर्षा से तक़रीबन 19% ज़्यादा है।

पटना स्थित मौसम विभाग से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि राज्य में 1 जून से 31 अगस्त तक 942.3 मिलीमीटर बारिश हुई (सामान्य बारिश 801.19 मिलीमीटर), जो कि आम तौर पर होने वाली सामान्य बारिश से लगभग 18% ज़्यादा है।

राज्य के कृषि विभाग की ओर से फ़सल को हुई क्षति के शुरुआती आकलन के मुताबिक़, राज्य में इस साल बाढ़ से धान, मक्का, गन्ना और सब्ज़ियों सहित पांच लाख हेक्टेयर से ज़्यादा की फसल नष्ट हो चुकी है। उफ़नती नदियों ने 2020 में भी हज़ारों एकड़ की फ़सल को जलमग्न और तबाह कर दिया था।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Bihar Floods: Villages Marooned, Several Displaced in East Champaran, Bhagalpur in Past 48 Hours

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