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चिन्मयानंद प्रकरण : एसआईटी ने जानबूझकर कमज़ोर किया मुकदमा?

महिला अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले मानते है कि चिन्मयानंद पर रेप की धारा नहीं लगाना क़ानून के साथ मज़ाक़ करने जैसा है। कानून के जानकार भी कहते हैं कि एसआईटी ने ऐसा कमज़ोर मुक़दमा दर्ज किया है, जिसमें अभियुक्त को आसानी से ज़मानत मिल सकती है।
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Image courtesy: Youtube

भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद को भले ही गिरफ़्तार कर लिया गया है, लेकिन उनको बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है। जनता के बढ़ते दबाव और महिला संगठनों के आंदोलन से बचने के लिए चिन्मयानंद को जेल तो भेज दिया गया है, लेकिन उन के ऊपर रेप का मुक़दमा दर्ज नहीं किया गया है।

पीड़िता के साथ महिला संगठन भी विशेष जाँच दल (एसआईटी) की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है। पीड़ित छात्रा का कहना है कि उसने एसआईटी को दिए बयान में साफ़ कहा था कि चिन्मयानंद ने रेप किया है। इसके बावजूद चिन्मयानंद पर रेप की धाराओं में मुक़दमा दर्ज नहीं हुआ है। महिला संगठनो का  आरोप है की योगी आदित्यनाथ सरकार अपनी पार्टी के नेता को बचाने की कोशिश कर रही है।

आदित्यनाथ सरकार पर चिन्मयानंद और सेंगर को बचाने का आरोप

इससे पहले भी योगी सरकार पर ऐसे ही आरोप लगे थे,कि सरकार उन्नाव रेप केस के अभियुक्त, बीजेपी विधायक को बचाने की कोशिश कर रही थी। उन्नाव रेप केस के अभियुक्त कुलदीप सिंह सेंगर और अब चिन्मयानंद दोनों पर रेप जैसे गंभीर आरोप लगने के बावजूद उनके ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश शासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई, आख़िर में दोनों के ख़िलाफ़ अदालत को सख़्त होना पड़ा। उल्लेखनीय है कि सेंगर उत्तर प्रदेश में बीजेपी से विधायक चुने गए थे और चिन्मयानंद बीजेपी के क़द्दावर नेता हैं और अटल सरकार में मंत्री भी रहे हैं।
चिन्मयानंद को गिरफ़्तार भी किया गया है तो एसआईटी पर आरोप है कि मुक़दमे को इतना कमज़ोर कर दिया गया है की अभियुक्त को आसानी से ज़मानत मिल जाए।  छात्रा के साथ रेप करने के आरोपी चिन्मयानंद को नागरिकों में बढ़ते ग़ुस्से और पीड़िता के आत्मदाह की धमकी के बाद गिरफ़्तार किया गया।

पीड़िता का आरोप

पीड़ित छात्रा ने मीडिया से साफ़ कहा है की वह एसआईटी की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है। पीड़िता का कहना है एसआईटी से उसने साफ़ कहा कि चिन्मयानंद ने उसके साथ रेप किया,फिर भी उसके ख़िलाफ़ धारा 376 के अंतर्गत कार्रवाई नहीं की जा रही है। महिला संगठन भी एसआईटी की भूमिका पर प्रश्न उठा रहे हैं। क्योंकि महिला संगठन मानते हैं कि एसआईटी द्वारा मुक़दमा कमज़ोर कर अभियुक्त को बचाने की कोशिश की जा रही है।

चिन्मयानंद पर पहले भी लगे हैं आरोप

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाषनी अली कहती हैं कि बीजेपी में अपनी पार्टी के रेप अभियुक्तों को बचाने की परम्परा है। रेप के अभियुक्त बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भी चिन्मयानंद की तरह बचाने की पूरी कोशिश की गई थी। यह पहली बार नहीं है कि जब चिन्मयानंद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है, इससे पहले भी उस पर ऐसे आरोप लग चुके हैं।फिर भी चिन्मयानंद को बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है। पीड़ित की हिम्मत की सराहना करते हुए सुभाषनी कहती हैं, कि वह अपने साथ हुए अपराध के ख़िलाफ़ ऐसे समय लड़ रही हैं, जब सत्तापक्ष रेप अभियुक्तों को संरक्षण दे रहा है।

पीड़िता पर दबाव बनाया जा रहा है

महिला संगठन मानते हैं कि चिन्मयानंद पर धारा 376 नहीं लगाने से सिद्ध होता है कि उत्तर प्रदेश सरकार आरोपी को बचाना चाहती है। साझी दुनिया की सचिव और लखनऊ विश्वविद्यालय की कुलपति रह चुकी प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा कहती है कि रेप आरोपी चिन्मयानंद पर कमज़ोर मुक़दमा लगाया है ताकि उसको बचाया जा सके। इसके आलवा पीड़ित पक्ष पर दबाव बनाने के लिए पीड़िता के साथियों को भी गिरफ़्तार किया जा रहा है। रूपरेखा कहती हैं, एक नहीं कई उदाहरण हैं जब “बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ” का नारा देने वाली बीजेपी के नेताओं पर महिला उत्पीड़न के मामले सामने आए और बीजेपी बेटियों के साथ नहीं अपने नेताओ के समर्थन में नज़र आई है। उन्नाव मामले में भी और चिन्मयानंद मामले में भी बीजेपी ने बेटियों का नहीं अपने नेताओ का समर्थन किया है।

जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफ़ारिश भी नज़रंदाज़

महिला अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले मानते है कि चिन्मयानंद पर रेप का मुक़दमा नहीं लगाना क़ानून के साथ मज़ाक़ करने जैसा है। महिला अधिकारों के लिए काफ़ी समय से संघर्ष कर रही सुभांगनी सिंह कहती है कि चिन्मयानंद पर रेप केस नहीं लगाकर जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफ़ारिशो को भी नज़रंदाज़ किया गया है। उन्होंने कहा कि निर्भया मामले के बाद 2013 में क़ानून में हुए बदलाव के अनुसार शिकायत होने के बाद, 24 घंटे के भीतर चिन्मयानंद की गिरफ़्तारी हो जाना चाहिए थी। लेकिन रेप के अभियुक्त की गिरफ़्तारी में उत्तर प्रदेश में 14 दिन लग गए है और मुक़दमे में धारा 376 नहीं लगाकर कर एसआईटी ने क़ानून की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। सुभांगनी सिंह कहती हैं कि साफ है की क़ानून को भुला कर बीजेपी सरकार रेप जैसे जघन्य अपराध के अभियुक्तों को संरक्षण दे रही है।

एसआईटी की भूमिका पर प्रश्न

महिला अधिकारों के लिए सक्रिय रहने वाली तहिरा हसन कहती हैं कि पीड़िता के बयान और सबूत होने के बाद भी चिन्मयानंद के विरुद्ध रेप केस नहीं दर्ज होना एसआईटी की भूमिका पर प्रश्न उठाता है? मुक़दमा लिखते समय जस्टिस वर्मा कमेंटी की सिफ़ारिशो को नज़रंदाज़ क्यूँ किया गया है? उन्होंने कहा की चिन्मयानंद पर रेप का मुक़दमा नहीं लगने से महिला समाज मे निराशा है। तहिरा का आरोप है की अभियुक्त के पक्ष में खड़ी सरकार पीड़िता को भी फंसाने की कोशिश कर रही हैं। वह मानती हैं कि अगर ऐसा ही होता रहा तो क़द्दावर नेताओ के ख़िलाफ़ यौन शोषण की शिकायत करने से महिलाएँ हिचकिचाने लगेंगी।

क़ानून के जानकार क्या कहते हैं?

क़ानून के जानकर मानते हैं कि धारा 376 के बजाय धारा 376 (C) लगाने का अर्थ यही है कि अभियुक्त को बचाने की कोशिश हो रही है। अधिवक्ता मोहम्मद असद रिज़वी कहते हैं, पीड़िता का बयान देखते हुए चिन्मयानंद पर धारा 376 के अंतर्गत मुक़दमा दर्ज होने में दस साल की सज़ा का प्रावधान है और गिरफ़्तारी ज़रूरी होती है। जबकि 376 (C) में 5-साल की सज़ा है जो बढ़ कर 10 साल भी हो सकती है लेकिन गिरफ़्तारी ज़रूरी नहीं है। अधिवक्ता मोहम्मद असद कहते हैं की ऐसा प्रतीत होता है चिन्मयानंद की गिरफ़्तारी सिर्फ़ जनता का ग़ुस्सा कम करने के लिए हुई है, क्यूँकि एसआईटी ने कमज़ोर मुक़दमा दर्ज किया है, जिसमें अभियुक्त को आसानी से ज़मानत मिल सकती है।

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