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दिल्ली: डीटीसी कर्मचारियों ने केजरीवाल के जन्मदिन पर शोक दिवस मनाया

कर्मचारियों ने कहा कि 16 अगस्त माननीय मुख्यमंत्री अरविंद जी के लिए ख़ुशी का होगा परन्तु उनके लिए शोक का दिन है, क्योंकि मुख्यमंत्री अपना वायदा पूरा नहीं कर रहे हैI
DTC bus
Image Courtesy : India.com

दिल्ली की जीवन रेखा कही जाने वाले दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (डीटीसी) यानी परिवहन विभाग के सैंकड़ों कर्मचारी धरने पर बैठे थेI इस धरने में अधिकांश वे लोग थे जिनके परिवार का कोई सदस्य डीटीसी में काम करता था और काम के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई थी और उनकी मृत्यु के बाद ये नौकरी के दावेदार हैंI परन्तु यह भी कटु सत्य है कि सालों बीत जाने के बाद भी सरकार ने इन्हें अब तक कोई नौकरी नहीं दी हैI इनमें कई लोग ऐसे भी थे जिन्हें 10 से 20 साल से नौकरी की उम्मीद है और इन्हें सरकारों से बार-बार सिर्फ आश्वसन ही मिला, नौकरी नहींI

मुंडन करा के कर्मचारियों ने विरोध जताया

कल डीटीसी के कर्मचारियों ने एक नए तरीके से विरोध प्रदर्शन किया इस उम्मीद में कि सरकार की नज़र उन पर पड़ेI कल मुख्यमंत्री केजरीवाल के जन्मदिन को शोक दिवस के रूप में मनाते हुए सैंकड़ों प्रार्थियों ने अपना मुंडन करवायाI कर्मचारियों ने कहा कि आज का दिन माननीय मुख्यमंत्री अरविंद जी के लिए ख़ुशी का होगा परन्तु उनके लिए शोक का दिन है क्योंकि मुख्यमंत्री अपना वायदा पूरा नहीं कर रहेI

डीटीसी कर्मियों ने अपनी विभिन्न समस्याओं के बारे बताया जिन्हें लेकर कर्मचारी यूनियन समय-समय पर संघर्ष करता रहता हैI उनकी मुख्य माँगे निम्नलिखित हैं –

  • सभी अस्थाई कर्मचारियों को स्थाई किया जाएI
  • जिन लोगों की मौत काम के दौरान हुई है उनके परिजनों को जल्द-से-जल्द पक्की नौकरी दी जाएI
  • अस्थाई कर्मचारियों को रोज़ाना काम मिले, क्योंकि जितने लोग सुबह बस डिपो जाते हैं उनमें से आधे से ज़्यादा को खाली हाथ ही लौटना पड़ता हैI
  • चालक और सहसंचालक की सुरक्षा सुनिचित की जाएI
  • समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाएI
  • सभी कर्मचारीयों की हाज़िरी बायोमेट्रिक तरीके से हो और साथ ही उसका डाटा ठीक से रखा जाएI अभी बायोमेट्रिक मशीन तो है लेकिन हाज़िरी ऐसे ही कॉपी में लगायी जाती हैI
  • कर्मचारियों के प्रमोशन की व्यवस्था की जाएI अभी 90% कर्मचारी जिस पद पर नियुक्त होते हैं, उसी पर से रिटायर होता हैI प्रमोशन किस आधार पर होता है उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिएI
  • डीटीसी का किसी भी प्रकार से निजीकरण न किया जाएI

डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के उप-महासचिव अमित, जो खुद भी डीटीसी में कार्यरत हैं, उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि, “डीटीसी कर्मचारियों को हर सरकार ने केवल धोखा दिया हैI सभी चुनाव से पहले वे आश्वसन देते हैं कि हमारी समस्या हल करेंगे, परन्तु चुनाव के बाद हमारी माँगों को कूड़े के डब्बे में डाल दिया जाता है”I

वे आगे कहते हैं कि, “डीटीसी के आस्थाई कर्मचारियों की हालत इतने खराब है कि उसे ये भी पता नहीं होता है कि आज उसे कम मिलेगा या नहींI” उन्होंने बताया कि अगर एक डिपो में 300 कर्मचारी आते हैं तो केवल 100 लोगों को ही काम मिलता है, और 200 लोगों को वैसे ही वापस भेज दिया जाता हैI

फिर अमित कहते हैं कि, “जिन लोगों ने कल मुंडन करवाकर विरोध किया था, इनके परिवार के लोगों की मौत काम के दौरान हुई है इसलिए उनके परिजनों को क़ानूनी रूप से स्थाई नौकरी देने का प्रवाधान हैI लेकिन अब तक किसी भी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया है”I

इनमें से कई परिवार ऐसे हैं जिनमें मृतक परिवार का एकलौता कमाने वाला सदस्य थाI परिवार दर-दर की ठोकर खा रहे हैं, लेकिन कोई उनकी बात सुन नहीं रहाI

अमित ने दिल्ली सरकार पर एक गंभीर आरोप लगाते बताया कि वर्तमान केजरीवाल सरकार जो खुद को बहुत ही कर्मचारी हितैषी बता रही है, लेकीन सच्चाई कुछ और हैI ये भी पिछली सरकरों की तरह ही डीटीसी का निजीकरण करना चाहती हैI इसके लिए वो पीछे के दरवाज़े से काम कर रही है, लगातार डीटीसी की अपनी बसों को काम कर रही हैI

उन्होंने कहा कि, “दिल्ली सरकार डीटीसी की नई बसें खरीदने की जगह निजी बसों को किराये पर लेने का विचार कर रही है जो दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को ध्वस्त करने की एक साज़िश है”I

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