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दिल्ली : फीस न भर पाने के कारण नर्सरी के बच्चे स्कूल में कैद

लगभग 50 अभीभावकों ने स्कूल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस में शिकायत दायर की है।
school children

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज सुबह पुरानी दिल्ली के हौजकाजी स्थित राबिया पब्लिक स्कूल पहुंचे और वहां के छात्रों, परिजनों के अलावा शिक्षकों  व प्रबंधकों से मुलाकात की। स्कूल पर आरोप है कि उसने फीस न देने पर कुछ बच्चों को बेसमेंट में बंधक बना लिया था। इस दौरान आज सुबह स्कूल के बाहर वहां के पूर्व व वर्तमान छात्रों ने प्रदर्शन किया और कहा कि इस मामले में स्कूल की कोई गलती नहीं है।

क्या है मामला 

दिल्ली के हौजकाजी स्थित राबिया पब्लिक स्कूल उस वक्त चर्चा का विषय बन गया ,जब स्कूल के प्रबंधन पर नर्सरी में पढ़ने वाली 16 लड़कियों को कैद करने का मामला सामने आया। स्कूल पर आरोप है कि उन्होने 16 लड़कियों को स्कूल के बेसमैंट में  इसलिए बंधक बनाए रखा क्योंकि बच्चियों की  फीस जमा होने में  देरी  हो रही थी। मामला तब सामने आया जब लड़कियों के अभिभावक उन्हें  स्कूल से लेने पहूँचे। 

9 जुलाई को मौके पर पहूँचे अभिभावकों ने पुलिस को फोन कर बताया कि उनके बच्चों को स्कूल के बेसमेंट में कैद कर के रखा गया है। नाराज़ माता-पिता के अनुसार बच्चों को बेहद गर्मी में भूखे-प्यासे रखा गया था ।

अभिभावकों के अनुसार, उन्होंने स्कूल प्रशासन को फीस की रसीद भी दिखाई मगर तब भी स्कूल के अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी। कैदी बच्चों में से एक के अभिभावक ने बताया कि "जब मैं अपने बच्चे को लेने के लिए स्कूल गया, तो मुझे शिक्षकों ने बताया कि बच्चे बेसमेंट में हैं। जब मैंने पूछा कि उन्हे बेसमेंट में क्यों रखा गया है?  उन्होंने हमें बताया कि क्योंकि बच्चों की फीस जमा नहीं हुई है  इसलिए उन्हें कक्षा में जाने की इजाज़त नहीं है। हम बेसमेंट में पहुंचे और बच्चों को हमने वहाँ से निकाला। कमरे में कोई वेंटिलेशन नहीं था और मेरी बच्ची रो रही थी।”
 
एक और अभिभावक ने मीडिया को बताया कि “फीस का भुगतान न करने की वजह से बच्चों को बेसमेंट में बंद कर दिया गया था। मैंने फीस जमा कर दी है, फिर भी मेरे बच्चे को दंडित किया गया। फीस की रसीद प्रिसिंपल को दिखाने के बावजूद उन्हें मामले को लेकर कोई पछतावा नहीं है।“ 

लगभग 50 अभीभावकों ने स्कूल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस में शिकायत दायर की है।
स्कूल के अधिकारियों ने कहा है कि फीस का भुगतान हर महीने की 30 तारीक तक करना होता है। और ऐसा न करने की दशा में बच्चों को कक्षा में प्रवेश की इजाज़त नहीं दी जाती है। 
 
स्कूल के शिक्षकों के मुताबिक, फीस सबमिशन को लेकर  भ्रम था कि बच्चों की फीस जमा हुई है या नहीं । वहीं उन्होंने अपने बचाव  में कहा कि लड़कियों को एक्टिविटी कक्ष में रखा गया था, जो बच्चों के  खेलने के लिए बनाया गया। वहीं उन्होने बच्चों को कैद रखने वाली  बात को सिरे से खारिज कर दिया।

वहीं पुलिस ने स्कूल के खिलाफ Juvenile Justice Act, 2015, आईपीसी धारा 342 और धारा 75 के तहत मामला दर्ज कर जाँच शुरु कर दी है। पुलिस के साथ-साथ दिल्ली कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (डीसीपीसीआर) ने पहले ही एक जांच टीम स्थापित की है जो स्कूल जाकर मामले की जाँच करेगी ।

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