दिल्ली : स्कूलों में नया सत्र शुरू लेकिन शिक्षक आज भी सड़क पर
पूरे देश की तरह दिल्ली में भी आज से स्कूलों के नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुई है लेकिन दिल्ली में आज भी दिल्ली के हज़ारों गेस्ट टीचर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये शिक्षक पिछले एक महीने से अपनी नौकरी की सुरक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। परन्तु इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। शिक्षकों का साफ कहना है जब तक उन्हें 60 साल की पॉलिसी यानी 60 वर्ष तक स्कूलों में पढ़ाने का अधिकार नहीं मिलता तब तक वो सड़कों पर उतरकर अपना विरोध जताते रहेंगे।
इस बीच शुक्रवार को एक बार फिर से गेस्ट टीचर की सेवा जारी रखने की अनुमति नहीं मिलने और सुनवाई टलने से शिक्षकों में भारी निराशा है। नए शैक्षणिक सत्र की पहली कक्षा सोमवार से शुरू हुई। इस मामले की सुनवाई टल जाने से अधिकतर गेस्ट टीचर नाराज़ थे परन्तु अधिकतर शिक्षक स्कूल गए क्योंकि शिक्षा विभाग ने अंतिरम आदेश निकाल दिए थे।
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दिल्ली गेस्ट टीचर के संगठन DAAS दिल्ली अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. गोविन्द ने बताया कि कई स्कूलों में शिक्षक गए तो लेकिन स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें बायोमैट्रिक या फिर हाज़िरी वाले रजिस्टर में साइन नहीं करने दिया और उनसे एक सादे कागज़ पर साइन करवाया। जिससे वो नाराज़ हैं। उन्होंने कहा शिक्षक बच्चों के भविष्य खरब न हो उसको लेकर चिंतित हैं इसलिए उन्होंने धरने पर बैठकर पेपर चेक किए और इसलिए वो आज स्कूल गए थे।
इस बीच प्रदर्शन कर रहे टीचरों के एक धड़े ने भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के रवैये से नाराज़ होकर दोनों पर्टियो के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इससे पहले अपने संघर्षों और वो क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं? इसको लेकर एक पर्चा निकला और दिल्ली कनॉट प्लेस में पर्चा वितरण किया और लोगों से जन संपर्क किया जिसके माधयम से उन्होंने दिल्ली सरकार और भाजपा के दोहरे रवैये को जनता के सामने रखा। जिसके बाद शिक्षकों का कहना था कि जनता ने उनकी मांगों और प्रदर्शन को समर्थन दिया है।
धरने का 31वें दिन कल रविवार के दिन दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों को हिरासत में ले लिया। इससे पहले भी प्रदर्शन कर रहे है शिक्षकों को 15 वें दिन भी हिरासत में लिया गया था।
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हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नए सत्र के पहले दिन पहली अप्रैल को स्कूलों में एक भी नए नियमित शिक्षक नियुक्त नहीं हुए। 29 मार्च शुक्रवार को जस्टिस नज्मी वजीरी को मामले को लेकर सुनवाई करनी थी जिसमे गेस्ट टीचर्स का कॉन्ट्रैक्ट को 31 अगस्त 2019 तक बढ़ाने की माँग दिल्ली सरकार ने की थी। लेकिन सुनवाई नहीं हो पाई और अब सुनवाई की नई तारीख 12 अप्रैल 2019 तय हुई है। सरकार ने अपनी अर्जी में हाईकोर्ट से 21,833 अतिथि शिक्षकों की सेवा अगले छह माह के लिए बढ़ाने की मांग की है। सरकार ने कहा है कि 9956 में से डीएसएसएसबी ने अबतक सिर्फ 400 नवनियुक्त शिक्षकों की सूची मुहैया कराई है, ऐसे में अतिथि शिक्षकों की सेवाएं बढ़ाने की जरूरत है। हाईकोर्ट ने पिछले साल 25 अक्टूबर को पारित आदेश में सरकार को सिर्फ 28 फरवरी, 2019 तक ही सेवाएं लेने की अनुमति दी थी। सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि शिक्षा विभाग और डीएसएसएसबी नियमित शिक्षकों की नियुक्ति का प्रयास करती रहती है, बावजूद शिक्षकों की कमी बनी रहती है।
शुक्रवार को हाईकोर्ट में गेस्ट टीचर्स को रखने के लिए कोई दिशा-निर्देश नही दिए और 1 अप्रैल 2019 से नया सत्र शुरू हो गया। ऐसे में शिक्षक सहित डिपार्टमेंट भी असमंजस की स्थिति में है। डिपार्टमेंट को लग रहा है कि पहले जैसी स्थिति फिर से न बन जाये जैसे कई स्कूलों में 1 मार्च के बाद सरकारी स्कूलों में बन गयी थी। डिपार्टमेंट को वार्षिक परीक्षा और CBSE बोर्ड के एग्जाम खुले मैदान में लेने पड़ गए थे। तो इस समय भी डिपार्टमेंट उसी डर में है कही फिर से स्कूलों की हालत वैसी ही ना हो जाये कि स्कूलो में बच्चे तो होंगे मगर उनको पढ़ाने के लिए टीचर्स नहीं होंगे।
आल इण्डिया गेस्ट टीचर एसोसियशन ने कहा है कि न तो दिल्ली सरकार चाहती है कि गेस्ट टीचर्स का कोई भविष्य हो और डिपार्टमेंट तो गेस्ट टीचर्स को एक मिनट भी रखना नहीं चाहता लेकिन इस समय दिल्ली सरकार और शिक्षा विभाग दोनों मजबूर हैं क्योंकि इनके बिना स्कूल नहीं चल पाएंगे। ऐसे में डिपार्टमेंट सिर्फ हमसे काम चलाना चाहता है क्योंकि 1 अप्रैल से स्कूलों में बच्चे आने शुरू हो गए।
इस सब से वे वाकिफ हैं, वे कहते है कि ये संकट का समय है ऐसे में सभी के सहयोग की ज़रूरत है। एकता और धैर्य बनाये रखने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा हमारा धरना अपने यथा स्थान पर जारी रहेगा।
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