Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

दिल्ली:भू-जल का गिरता स्तर चिंता का कारण है

जल माफियाओं और बड़ी कंस्ट्रक्शन कम्पनीयां जो सबसे ज्याद भू-जल का दोहन करती है उनपर करवाई की जगह अवैध कॉलनी में रह रहे गरीब लोगों पर करवाई कर रही हैं |
water

दिल्ली में गिरता भू-जल स्तर चिंता का करण है लेकिन सरकार इसके प्रति सजग और गंभीर नहीं दिख रही है | सरकार इस समस्या के हल की जगह पर केवल दिखवा कर रही है | जल माफियाओं और बड़ी कंस्ट्रक्शन कम्पनीयाँ  जो सबसे ज़्यादा भू-जल का दोहन करती है उनपर कार्यवाही की जगह अवैध कॉलनी में रह रहे गरीब लोगों पर करवाई कर रही है | वास्तविकता  यह भी है कि उन कॉलनीयों में रह रहे लोगों के पास भू-जल के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है | सरकारों की विफलताओं के करण आज तक इन जगहों पर पानी की सप्लाई नहीं पहुँच पाई है जिस कारण ये लोग समर सिबल या हैंड पम्प का प्रयोग कर भू-जल को निकालकर प्रयोग करते हैं |

दिल्ली में भू-जल संकट


टाइम्स नाउ के अनुसार दिल्ली, जो पहले से ही एक गंभीर पेयजल संकट का सामना कर रही है, भूजल के स्तर के रूप में एक और गंभीर स्थिति की ओर बढ़ रही है, जो पिछले दो दशकों में निरंतर घट रही है, जिसके परिणामस्वरूप 90% शहर को अर्ध-संकटमय या संकटमय के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

दिल्ली में भूजल के गिरते स्तर पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालत यह है कि राष्ट्रपति भवन व उसके पास भी भूजल का स्तर काफी नीचे आ गया है।

राष्ट्रीय राजधानी के नवीनतम सर्वेक्षण, जो 1 9 मार्च, 2018 को जारी किया गया था, ने कहा कि दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में कुछ स्थानों पर जल स्तर,जमीन स्तर से 20 से 30 मीटर नीचे चला गया है। सर्वेक्षण ने भूजल स्तर में बढ़ती नाइट्रेट सामग्री को भी रेखांकित किया, जिससे यह मानव उपभोग के लिए अयोग्य बना। शाहदरा और कांजावाला के कुछ इलाकों में, नाइट्रेट सामग्री को 1,000 मिलीग्राम / लीटर से अधिक पाया गया है, |

केंद्रीय भूजल बोर्ड ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर पानी का स्तर 0.5 मीटर से 2 मीटर प्रति वर्ष से कम हो रहा है और अगर रोक नहीं है तो ये एक गंभीर संकट हो सकता है।

जल संकट के कारण

भूगर्भ जल को रीचार्ज करने के लिए वर्षा का पानी तालाबों, कुओं, नालों के जरिये धरती के भीतर इकट्ठा होता है, लेकिन अधिकांश तालाब अवैध कब्जों के कारण नष्ट हो गए हैं तो कुओं का भी अस्तित्व नष्ट हो चुका है। नालों में बारिश के पानी की बजाय शहरों और कारखानों का जहरीला पानी बह रहा है। नदियां बुरी तरह से प्रदूषित हो चुकी हैं। इस कारण वाटर रीचार्ज नहीं हो रहा। सरकारी स्तर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्लांट लगाने की योजना है, लेकिन वो हक़ीकत से काफ़ी दूर है |

ढंचागत विकास में भू-जल का दोहन

दिल्ली में पिछले कुछ वर्षो में बड़े-बड़े भवन निर्माण बढ़े है | बड़ी–बड़ी निर्माण कंपनीयां दिल्ली में बड़े-बड़े माँल और काम्प्लेक्स सोसाइटी का निर्माण में अवैध तरीके से भू-जल का प्रयोग कर रहे है | इसके सस्थ ही इनमें बड़े –बड़े सुमिंग पूल का निर्माण करते है | इनमे भी भू-जल का भरी दोहन होता है |

सरकार की नाकामी  के करण

भू-जल के दोहन को रोकने की ज़िम्मेदारी सबसे अधिक सरकार की जिसमें वो पूरी तरह से नाकाम रही हैं | जैसे की उपर कहा गया है की किस तरह से निजी निर्माण कंपनी भू-जल का दोहन कर रही हैं सरकार का उनपर कोई अंकुश नही है |

सरकार की ही विफलता है की दिल्ली के एक बड़े हिस्से तक पानी की सप्लाई नही पहुँच पाई है | जिस करण वंहा के लोग बोरिंग या समर सिबल के जरिए जल निकलने को मज़बूर है | उनके पास इसके आंलावा कोई और चार नही है की भूगर्भ से जल का दोहन करे |

अब सरकार राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण(NGT) के डंडे के बाद दिल्ली के कई इलाको में बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के समरसिबल और बोरबेल को सील कर रही है जिस कारण वंहा के नागरिको के लिए भरी जल संकट पैदा हो गया है |

वही दूसरी तरफ ऐसी  कोई खबर नही आती की कभी किसी बड़े कंपनी पर भू-जल के दोहन के कारण कभी कोई करवाई हुई हो | जबकी एक कटु सत्य है की सबसे ज्यादा भू-जल का दोहन ये निजी कंपनीयां ही करती है |

सरकार के साथ आम लोगों की भी ज़िम्मेबारी है की जल के दोहन को रोक सके परन्तु अधिकतर देखा जाता है की लोगों में भी इसके प्रति जागरूकता का आभाव दिखता हैं |इस पर  भी सरकार को ध्यान देना पड़ेगा नही तो आने वाल समय और भी कठिन होगा |

सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि वजीराबाद और नजफगढ़ झील के निकट क्षेत्र के बाढ़ के मैदानों को एक स्थायी आधार पर पानी निकालने के लिए खोजा जा रहा है। इसने कहा, दिल्ली के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में भट्ठी खानों और नहर प्रणाली के माध्यम से, भूजल पुनर्भरण के लिए पूर्व व्यवहार्यता का भी अध्ययन किया है।

पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है की “ये समस्या बहुत ही गंभीर है इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करने की और वास्तविक रूप से एक जल नीति को लागु करने की आवश्यकता है” |

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest