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Election 2024: बीजेपी इस बार 303 सीटें नहीं जीतेगी, 400 पार असंभव है

“मेरा मानना है कि भाजपा और एनडीए कमजोर होंगे। मगर कितने कमज़ोर होंगे मैं नहीं जानता।” वरिष्ठ पत्रकार पंरजॉय गुहा ठाकुरता का विश्लेषण।
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लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून को आयेंगे जो मुख्य रूप से चार बड़े राज्यों- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार पर निर्भर करेंगे। आइए इस लेख के जरिये बात करते हैं बड़े राज्यों की। 

पहला बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश है जिसमें 80 लोकसभा सीटें हैं। उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है। देश का 6 में से एक व्यक्ति उत्तर प्रदेश से है

चीन, भारत, इंडोनेशिया, ब्राजील और अमेरिका जैसे देशों के बाद जनसंख्या की दृष्टि से भारत के ही उत्तर प्रदेश का नाम आता है।  जनसंख्या के हिसाब से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश 6 वांदेश हो सकता है। उत्तर प्रदेश में पाकिस्तान से ज्यादा लोग रहते हैं। 

हर बार की तरह इस बार भी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणामों का बहुत प्रभावहोने वाला है। 

वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश में भाजपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 80 में 64 सीटें हासिल की थी। वहीं वर्ष 2014 में भाजपा ने 80 में से 71 सीटें पायीं और एनडीए गठबंधन के तौर पर उसकी 73 सीटें थी। 

सवाल यह है कि वर्ष 2024 में यह संख्या वही बनीरहेगी या पिछले आंकड़े पर पहुंचेगी या सीटें कम हो जायेंगी?

मेरे हिसाब से महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि 2019 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) में गठबंधन था जिसमें बसपा ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। बसपा का चुनाव चिह्न हाथी है। इस पार्टी की लीडर सुश्री मायावती ने इस बार के चुनाव प्रचार में सक्रियता नहीं दिखाई। 

इनका निश्चित वोट मुख्यतः दलित जाटव हैं जो इनके साथ एकजुट है। बसपा ने जो उम्मीदवार चुनाव में उतारे है, वह भाजपा को छोड़कर अन्य पार्टियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हम नहीं जान सकते हैं कि इन 10 सीटों का क्या होगा। 

अगर दलित वोट भाजपा के साथ चले गए, तो भाजपा की सीटें बढ़ेगी। यदि नहीं गये तब सपा और कांग्रेस पार्टी की सीटें बढ़ेगी। जैसा कि कुछ लोग अनुमान लगा रहे हैं। हम आगे इंतज़ार करेंगे और देखेंगे कि इन 10 सीटों का क्या होगा। 

हमारे पास दो अलग-अलग नज़रिए हैं। यदि आप भाजपा और एनडीए के समर्थक हैं, तब आप कहेगें कि देखो राममंदिर बन गया, योगी आदित्यनाथ के शासन में कानूनव्यवस्था बहुत अच्छी है। अब भाजपा  2019 से अच्छा करेगी। भाजपा लगभग पूरी 80 की 80 सीटें जीतेगी। यहदावा वह कर सकते हैं, जो भाजपा के समर्थक हैं। 

वह लोग जो भाजपा के समर्थक नहीं है या भाजपा का विरोध करते हैं, वहकहेगें कि भाजपा की सीटें कम रहेगीं। कुछ कहेगें 50 सीटें आयेगीं या कुछ कहेगें 60 सीटें आयेगीं। अगर बढ़ेगी तो थोड़ी-बहुत बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव का परिणाम केन्द्र में सत्ता पाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

लोकसभा सीटों के लिहाज से दूसरा महत्वपूर्ण राज्य है महाराष्ट्र। जहां पर 48 लोकसभा सीटें है। पिछले लोकसभा चुनाव में पुराने एनडीए, जिसमें भाजपा और अविभाजित शिवसेना शामिल थे, ने 48 में से 41 सीटें जीती थी। जिसमें शिवसेना की 18 और भाजपा की 23 सीटें थी। वहीं 4 सीटें पुरानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को और 1 सींट कांग्रेस को तथा 1 सीट एआईएमआईएम पार्टी को मिली। 

अब कोई भविष्यवाणी करना बहुत कठिन है। क्योंकि अब शिवसेना और एनसीपी दोनों ही दो-दोभागों में बंट गयी है।  

उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता वाली शिवसेना, शरद पवार की अध्यक्षता वाली एनसीपी और कांग्रेस पार्टी ने महाविकास 

अगाड़ी बनायी है। यह कैसा प्रदर्शनकर पायेगीं। यह कहना बहुत कठिन है। 

वहीं, जैसे सुश्री मायावती और बहुजन समाज पार्टी का प्रभाव उत्तर प्रदेश में दलित समाज में है। वैसे ही महाराष्ट्र में प्रकाश अंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) के समर्थक प्रभाव रखते हैं। 

महाराष्ट्र में 48 सीटों में से कम से कम 8 सीटों पर दलित वोट बड़ा फर्क डालेंगे, मगर हम उद्धव ठाकरे की शिवसेना को कम नहीं आंक सकते। मेरी व्यक्तिगत राय है कि नया एनडीए काफी हद तक कमज़ोर होगा।

चलिए, तीसरे सबसे बड़े राज्य बंगाल को हम देखते हैं। बंगाल में 42 लोकसभा सीटें हैं। जिसमें तृणमूल कांग्रेस के पास 22 सीटें है। वहीं, कांग्रेस के पास 2 सीटें हैं। बाकी बची 18 सीटें भाजपा के पास हैं। भाजपा ने 2019 में यहां 40 प्रतिशत वोट पाए थे। हम नहीं जानते वाम और कांग्रेस के पारंपरिक वोटर इस बार अपने उम्मीदवार को वोट करेंगे या नहीं। ऐसे में भाजपा की सीट संख्या बढ़ या घट सकती है। 

मेरे व्यक्तिगत विचार और बंगाली होने के नाते मेरा मानना है कि बड़े बदलाव नहीं होंगे। यदि भाजपा को फायदा होगा तो 2 सीटों का होगा। यदि भाजपा हारती है जैसा कि तृणमूल के लोग कहते हैं, तब भी यह एक अंक तक नहीं आएगा।

लेकिन आप जानते हैं कि अपने देश के लोग हम सभी को आश्चर्यचकित करते रहे हैं। हम जो यहां दिल्ली में बैठे हैं और जानकार होने का दिखावा कर रहे हैं, सच में हम नहीं जानते। मगर, दो-तीन महत्वपूर्ण बिंदु है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, बंगाल में असम के बाद सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात है। 2011 की जनगणना के अनुसार यह लगभग 27 प्रतिशत है। असम में यह अनुपात 33 प्रतिशत है। जम्मू कश्मीर में अधिक है लेकिन जम्मू कश्मीर अब राज्य नहीं है। इसलिए बंगाल में मुस्लिम वोट चतुराई से पड़ेगें। 

वहीं बंगाल में महिला वोट बैंक विशेष है। क्योंकि महिलाएं ज्यादातर दीदी यानी ममता बनर्जी के साथ होती हैं। यह इसलिए क्योंकि ममता बनर्जी एक अनोखी राजनीतिक शख्सियत हैं। वह भारत की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री और दक्षिण एशिया की एक महत्वपूर्ण राजनीतिक नेता हैं, जिन्होंने बिना किसी पुरुष के समर्थन के अपनी ताकत से काम किया है।

चलते हैं लोकसभा सीटों के आधार पर भारत के चौथे सबसे बड़े राज्य बिहार पर। बिहार में 40 लोकसभा सीटें हैं। 2019 में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भाजपा को साथ में 33 सीटें मिली थी। जिसमें 16 जेडीयू को और 17 भाजपा को मिली थी। 6 सीटें लोक जनशक्ति पार्टी को मिली थी। इस पार्टी को पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रामविलास पासवान ने स्थापित किया जो अब नहीं रहे। इस पार्टी का नेतृत्व उनके बेटे चिराग पासवान कर रहे हैं। 40 में से केवल 1 सीट कांग्रेस को मिली थी। 

वर्ष 2019 में एक भी लोकसभा सीट राज्य विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को नहीं मिली। आरजेडी के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव हैं। तेजस्वी यादव साहसी अभियान कर रहे हैं। 

समय बतायेगा कि नीतीश कुमार, उनकी पार्टी, उनकी राजनीतिक छवि दूसरी पार्टी में जाने से कितनी अधिक प्रभावित हुई। वास्तव में नीतीश कुमार एकमात्र नागरिक हैं, जिन्होंने कम से कम 9 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। यह अनूठा है। भारत के किसी भी नागरिक ने ऐसा नहीं किया। इसलिए मैं समझता हूं एनडीए बिहार में कमजोर होगी।

मैं यह भी मानता हूं कि कर्नाटक में भाजपा कमजोर होगी। कर्नाटक में 28 लोकसभा सीटें हैं। 2019 में कांग्रेस को 1 सीट मिली थी। वहीं, जेडीएस को 1 सीट मिली थी। बाकी 26 सीटें भाजपा को मिली थीं। अभी कर्नाटक जैसे राज्य में कांग्रेस सत्ता में है। हम रेवन्ना कांड के बारे में जानते हैं। मैं अपेक्षा करता हूं कि कांग्रेस को कर्नाटक में महत्वपूर्ण बहुमत मिलेगा। 

मैं सोचता हूं कि भाजपा के पास बहुत से राज्यों में अधिकतम सीटें हैं। जहां वह और ज्यादा सीटें नहीं ला सकती। 

मध्य प्रदेश में उनके पास 1 सीट को छोड़कर सभी सीटें हैं। छत्तीसगढ़ में 2 सीट को छोड़कर सभी सीटें हैं। राजस्थान में 25 में से 25 सीटें भाजपा के पास है। ऐसे में मेरा मानना है कि राजस्थान में भाजपा कुछ सीटें हारेगी। 

गुजरात में भाजपा के पास सारी सीटें हैं। मुझे लगता है कि वह इस बार फिर से यहां सभी सीटें जीतेगी।

दिल्ली में भाजपा की 7 में से 7 सीटें हैं। हरियाणा में 10 में से 10 सीटें हैं। मैं अपेक्षा करता हूं कि हरियाणा, दिल्ली, पंजाब जैसे सभी राज्यों में भाजपा कमजोर होगी 

जहां तक पंजाब में सवाल है शिरोमणि अकाली दल का, इस समय शिरोमणि अकाली दल वह नहीं है जो पहले होता था। पहले यह दल एनडीए का अंग था। अभी किसानों के गुस्से के कारण हम नहीं जानते कि यह दल कहां रहेगा। मुझे आशा नहीं है कि बिना अकाली दल के सहयोग से भाजपा को ज्यादा सीटें मिल पायेंगी। उड़ीसा में भाजपा-बीजेडी का रिश्ता चुनाव के दौरान खराब हो गया है। 

मैं मानता हूं कि भाजपा के लिए लोकसभा की 543 सीटों में से 303 सीटें लाना कठिन होगा और एनडीए का 400 सीटों तक पहुँचना असंभव है।

मेरा मानना है कि भाजपा और एनडीए कमजोर होंगे। मगर कितने कमजोर होंगे मैं नहीं जानता। 

हम परिणाम के दिन 4 जून को बात करेगें। मैं एक ज्योतिषी नहीं हूँ। इसलिए कुछ विशेष दावा करना ठीक नहीं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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