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हालत बिगड़ने के बाद भी कैट्स कर्मचारियोें का अनशन जारी, दवा लेने और भर्ती होने से इंकार

इमरजेंसी कैट्‍स एम्बुलेंस 102 सेवा के 8 कर्मचारी क्रमिक अनशन पर और3 कर्मचारी आमरण अनशन पर बैठे हैं। 21 अगस्त से इनका अनशन जारी है। अब तो अनशनकारियों की हालत भी बिगड़ने लगी है। 
CATS protest

57 दिनों से अधिक के विरोध प्रदर्शन के बाद, अब इमरजेंसी कैट्‍स एम्बुलेंस 102 सेवा के 8 कर्मचारी क्रमिक अनशन पर और3 कर्मचारी आमरण अनशन पर बैठे हैं। 21 अगस्त से इनका अनशन जारी है। अब तो अनशनकारियों की हालत भी बिगड़ने लगी है। लेकिन अनशनकारियों ने दवा लेने या अस्पताल में भर्ती होने से साफ इंकार कर दिया है। 

पहले 24 अगस्त को अनशन के चौथे दिन अनशनकारियों की हालत गंभीर हो गई। सबसे ज्यादा हालात बिगड़ी स्टाफ अनिल कुमार की।इसे देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें अरुणा आसफ अली अस्पताल में भर्ती के लिए कहा लेकिन सभी स्टाफ ने दवा लेने और भर्ती होने से साफ मना कर दिया। अस्पताल की तरफ इन सभी से Refused for Admit लिखवा लिया था। इसके बाद अनशनकारियों की स्थिति और खराब हुई तो उन्हें LNGP अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। लेकिन यहाँ भी कर्मचारियों ने भर्ती होने और दवाई लेने से इंकार कर दिया और सभी वापस धरना स्थल पर आ गए। कर्मचारियों ने कहा कि आमरण अनशन में कर्मचारियों की शारीरिक शक्ति बेशक कमजोर हुई है लेकिन मानसिक रूप से जोश में कोई कमी नहीं है।

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कर्मचारियों ने बताया कि हर तरफ मुख्यमंत्री केजरीवाल की भर्त्सना हो रही है। पुलिस, अस्पताल स्टाफ यही कह रहा है कि मुख्यमंत्री बिल्कुल बेशर्म हो गये हैं।

इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि कैट्स एम्बुलेन्स102 नहीं मिल रही है। इसी कारण मरीज की हालत और ज्यादा नाजुक होती जा रही है।कर्मचारियों ने कहा कि दिल्ली में लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रही है। आपातकाल कैट्‍स एम्बुलेंस सेवा 102 सेवा कहाँ हैं?

कर्मचारी सरकार से सवाल कर रहे हैं कि हमने सरकार से ऐसी क्या माँग कर दी जो अरविंद केजरीवाल और इनकी सरकार उनकी बात सुनने तक तैयार नहीं है। वो पूछते हैं कि क्या कर्मचारी अपना वेतन नहीं मांग सकते? अरविंद केजरीवाल क्यों अनदेखी कर रहे हैं? अब कौन सुनेगा कर्मचारियों की आवाज़?दिल्ली में मुफ्त एम्बुलेंस सेवा कौन देगा? क्या मुफ़्त एम्बुलेंस देना मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जिम्मेदारी नहीं है?

कैट्‍स एम्बुलेंस के कर्मचारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर अपना 3 महीनों का वेतन का भुगतान और ठेकेदारी प्रथा खत्म करने की मांग करते हुए प्रदर्शन करते रहे हैं। इनका कहना है कि भ्रष्टाचार विरोधी पार्टी अब खुद भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में लगी हैं।

आपको बता दें कि दिल्ली में आपातकाल कैट्स एम्बुलेंस और बाइक एम्बुलेंस 55 दिनों से बंद पड़ी हैं जो लाखों लोगों का जीवन बचाती है और मदद करती है।

कैट्स एंप्लॉयीज स्टाफ यूनियन ने कहा कि हम कोई अनोखी मांग नहीं कर रहे है, हम तो वही मांग कर रहे है, जो सरकार ने अलग अलग मौकों पर खुद कहा है।

दिल्ली के श्रम मंत्री और दिल्ली सलाहकार अनुबंध श्रम बोर्ड के अध्यक्ष गोपाल राय ने भी कहा था कि बोर्ड का निर्णय है कि दिल्ली सरकार द्वारा कैट्‍स एम्बुलेंस का संचालन और रखरखाव करे और ठेकेदारी प्रथा खत्म हो जिससे 20% सरकारी धन की बचत होगी ।

कैट्‍स जनरल बोर्ड मीटिंग (GBM) ने खुद कैट्‍स एम्बुलेंस के संचालन और रखरखाव का फैसला किया था, इसके भी अध्यक्ष दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन है।

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इसके अलावा अरविंद केजरीवाल ने तो चुनाव और उसके बाद भी कई बार कहा कि ठेकेदारी प्रथा खत्म होगी। कर्मचारियों ने कहा कि अब अरविंद केजरीवाल कैट्‍स एम्बुलेंस को भ्रष्टाचार आरोपी ठेकेदार को देने के लिए क्यों अड़े हैं? अभी जिस नई कंपनी को ठेका दिया गया है वो कई राज्यों में ब्लैक लिस्टेड है।

साथ ही कैट्स एम्बुलेन्स के न चल पाने की वजह से अस्पताल और PCR पर दबाव काफी बढ़ गया है। आज जब कैट्स एम्बुलेन्स स्टाफ को Medical के लिए अस्पताल लाया गया तो एम्बुलेंस मौके पर नहीं पहुंची। PCR द्वारा स्टाफ को अस्पताल पहुँचाया गया था।

इसमें मुख्य बात यह है कि इतने दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे कैट्स एम्बुलेन्स कर्मचारी से मुख्यमंत्री केजरीवाल ने एक बार भी मुलाकात नहीं की है। अब आखिरी हथियार के तौर पर कर्मचारी आमरण अनशन पर बैठ गये हैं।

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