NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
आंदोलन
घटना-दुर्घटना
समाज
भारत
दिल्ली : एंबुलेंस कर्मचारियों का आंदोलन जारी, सीएम की शवयात्रा निकाली
दिल्ली में बीते कई दिनों से एंबुलेंस कर्मचारी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन ऐसा क्या हुआ जिन पर लोगों की जान बचाने का जिम्मा है वो खुद के जीवन को बचाने के लिए सड़क पर हैं।
मुकुंद झा
03 Jul 2019
Ambulance

यशपाल राणा (40) फिलहाल काम पर बने हुए हैं, लेकिन ये कब तक रहेगा इसको लेकर संशय बना हुआ है। पता नहीं कि उन्हें फिर से काम पर रखा जाता है या नहीं। यशपाल राणा केंद्रीय कर्मचारियों और ट्रॉमा सर्विसेज, जिसे आमतौर पर CATS के रूप में जाना जाता है, में काम करते हैं। CATS राष्ट्रीय राजधानी में मुफ्त एम्बुलेंस सेवाएं चलाता है।

उन्होंने कहा, “हम एक दिन में 12 घंटे और सप्ताह में लगभग सभी सात दिन काम करते हैं। अगर मैं घर से काम पर आने जाने के समय को जोड़ता हूं, तो यह दिन में 15 से 16 घंटे तक बढ़ जाएगा। इसके लिए हमें हर महीने 14,000 रुपये मिलते हैं। मैं सात साल से काम कर रहा हूं और मैं अपने परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाला हूं और एक दिन अचानक हमें बताया जाता है कि अब हमारी जरूरत नहीं है।" 

राणा 1,650 संविदा और निजी तौर पर आउटसोर्स कर्मचारियों में से एक हैं, जो दिल्ली सरकार द्वारा एम्बुलेंस सेवा को चलाने के लिए जीवीके अमरी को टेंडर देने के बाद आंदोलन पर हैं। यह सेवा पहले बीवीजी इंडिया लिमिटेड द्वारा चलाई जा रही थी और कंपनी ने पिछले तीन महीनों से श्रमिकों को भुगतान नहीं किया है।  

उन्होंने कहा, “अनुबंध की समाप्ति से हमें कोई ऐतराज़ नहीं है। यह कंपनी और दिल्ली सरकार के बीच का व्यक्तिगत मामला है,लेकिन उन्हें हमारी तनख्वाह देनी चाहिए। कुछ कर्मचारी दूसरे राज्यों से हैं। उनका मकान किराये का है, उन्हें किराये का भुगतान करने और अपने लिए राशन की व्यवस्था करने की आवश्यकता है। नियमित वेतन के अभाव में, आप कितने समय तक जीवित रह सकते हैं। लेकिन केवल वेतन का मुद्दा नहीं है,  जिसके लिए श्रमिक सड़क पर आये हैं। CATS एक आपातकालीन सेवा है। एम्बुलेंस चलाने की सेवाएं 2016 में निजी लोगो को दी गई थीं। तब से जीवन मुश्किल और मुशिकल ही हो रहा है।” 

राणा ने कहा, "हमारे काम के घंटे बढ़ गए हैं, जबकि वेतन अभी भी वही है। आप पूरी तरह से थके होते है फिर भी नौकरी पर लौटने के लिए आपातकालीन कॉल किए जाते हैं। यहां तक कि गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर भी हमसे काम लिया जाता है और उसके लिए किसी भी भत्ते का भुगतान नहीं किया जाता है। आम लोगों के लिए त्योहार होता है लेकिन हमारे लिए कुछ भी नहीं। हम इसे अब और बर्दाश्त नहीं कर सकते।" 

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली में बीते कई दिनों से एंबुलेंस कर्मचारी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन ऐसा क्या हुआ जिन पर लोगों की जान बचाने का जिम्मा है वो खुद के जीवन को बचाने के लिए सड़क पर हैं। 

जैसा कि हम सभी जानते हैं दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं की आपातकालीन व्यवस्था के लिए एबुलेंसCATS  द्वारा चलाए जाते थे। दिल्ली में यह चल रहा था लेकिन अचानक 2016  में एक निजी कम्पनी को इसका ठेका दे दिया गया। यही वो समय था जब से कर्मचारियों का शोषण और बढ़ गया। 

65672028_3033989456618682_2233843105176485888_n.jpg

इससे पहले भी ये कर्मचारी संविदा पर ही थे लेकिन वो सीधे CATS  के अंडर  में थे। अब इनके बीच एक और बिचौलिया आ गया। कर्मचारियों को जो वेतन मिलता था वो और कम हो गया। इसके बावजूद कर्मचारी काम कर रहे थे। लेकिन एकबार फिर कुछ समय पहले इस कंपनी का भी ठेका खत्म कर नई कंपनी को लाया जा रहा है।

प्रदर्शनकारियों का कहना है इस नई कंपनी के आने से स्थिति और भी खराब हुई है। दिल्ली सरकार और CATS क्या सोचकर इस कम्पनी को ठेका दे रही हैं, क्योंकि ये कम्पनी देश के लगभग 12 राज्यों में ब्लैक लिस्टेड है। 

प्रदर्शनकारियों ने आज बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री के निवास का घेराव किया और उनके पुतले की शवयात्रा भी निकली। इससे पहले वो दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर के बाहर भी प्रदर्शन कर चुके हैं।

कर्मचारियों की एक ही मांग है कि निजीकरण पूरी तरह से बंद किया जाए। सभी कर्मचारियों को दिल्ली सरकार अपने अधीन रखकर काम कराये जैसे पहले करा रही थी। 
प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने यह भी कहा कि क़ानूनी रूप से उन्हें महीने में केवल 180 घंटे काम करना होता है लेकिन अभी उनसे लगभग 260 से 280 घंटे काम लिया जाता है। 

नरेंद्र लाकड़ा के साथ एक बातचीत

प्रदर्शनकारी कर्मचारियों के नेता नरेंद्र लाकड़ा का तर्क है कि एम्बुलेंस चलाने में निजीकरण लागू होने के बाद ही सेवाओं और कामकाज की स्थिति खराब हो गई। उन्होंने कहा, "हमारे सहयोगियों में से एक ने खुद को जान से मारने की कोशिश की। एक व्यक्ति पर किस तरह से दबाव होता है, उसे समझना चाहिए, जिसके तहत ये लोग काम करते हैं। हमें अक्सर कहा जाता है कि निजीकरण हर समस्या का अंतिम समाधान है, लेकिन हमारा अनुभव बताता है कि यह दोनों के लिए बुरा था, रोगियों और कर्मचारियों की सेवाओं की गुणवत्ता केवल खराब हो गई है। अक्सर, हमारे पास किसी मरीज की मदद करने के लिए प्राथमिक चिकित्सा सामग्री नहीं होती है। लेकिन पहले ऐसा नहीं था। कैट को पहले सीधे दिल्ली सरकार द्वारा कुशलतापूर्वक चलाया गया था। अब यह क्यों नहीं चल सकता? क्यों? मैं निजी खिलाड़ियों के चंगुल से आवश्यक सेवाओं को मुक्त करने पर जोर दे रहा हूं क्योंकि यह लोक कल्याण के लिए चलाया जाता है न कि लाभ के लिए। मैं कई उदाहरणों का हवाला दे सकता हूं, जहां बुरी तरह से सुसज्जित एंबुलेंस सिर्फ लाभ कमाने के लिए चलाई जा रही हैं। निजीकरण ने हमेशा भ्रष्टाचार को बढ़ाया है।”

उन्होंने कहा कि दिल्ली अनुबंध श्रम सलाहकार बोर्ड ने सुझाव दिया है कि सरकार को कर्मचारियों का निरीक्षण करना चाहिए अगर कोई एजेंसी श्रम कानूनों का उल्लंघन करती पाई जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाएंगी वे लड़ेंगे।

CATS
108 ambulance
New Delhi
health system
Arvind Kejriwal
kejriwal sarkar
AAP
AAP Govt

Trending

भूख से होने वाली मौतें झारखंड विधानसभा चुनाव को कितना प्रभावित कर रही हैं?
हैदराबाद : बलात्कार संस्कृति को ख़त्म करने के लिए मौत की सज़ा उचित मार्ग नहीं
झारखंड चुनाव: 20 सीटों पर मतदान, सिसई में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में एक ग्रामीण की मौत, दो घायल
#झारखण्ड : क्या मज़दूरों को जीने का अधिकार नहीं?
जिंदगी की जंग हार गई उन्नाव बलात्कार पीड़िता, सफदरजंग अस्पताल में मौत
बलात्कार-हत्या की दहशत और मुठभेड़-हत्या का जश्न!

Related Stories

protest
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
हैदराबाद के बाद उन्नाव को लेकर ग़म और गुस्सा, लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सियासी पारा चढ़ा
07 December 2019
हैदराबाद के बाद उन्नाव कांड को लेकर आज देशभर में ग़म और गुस्सा है और लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सियासी पारा चढ़ गया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
पॉक्सो के अभियुक्त को नहीं मिले दया याचिका का अधिकार : कोविंद
06 December 2019
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि पॉक्सो क़ानून के अधीन आने वाली घटनाओं में अभियुक्तों को दया के अधिकार से वंचित किया जाना चा
protest
अजय कुमार
दिल्ली में विकलांग छात्रों का संघर्ष जारी, लेकिन किसी को परवाह नहीं!
05 December 2019
जो अपने हाथ-पांव से पूरी तरह सक्षम हैं, उनके लिए भी सरकार की नाइंसाफियों से लड़ना आसान नहीं है, आप ज़रा उनके बारे में सोचिए जो शारीरिक तौर पर किसी

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • रूबैया सईद
    न्यूज़क्लिक प्रोडक्शन
    रूबैया सईद का अपहरण: कश्मीरी राजनीति का ऐतिहासिक मोड़
    08 Dec 2019
    1989 में देश की राजनीति में बहुत ऐसी हलचल हुई थी जिसने देश की दिशा बदल दी। उनमे से एक घटना थी कश्मीर की। आइए सुनते हैं इन घटनाओ के बारे में नीलांजन से
  • delhi fire
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली की एक और फैक्ट्री में आग, 43 मजदूरों की  मौत
    08 Dec 2019
    राष्ट्रीय राजधानी में रानी झांसी रोड पर अनाज मंडी स्थित एक फैक्ट्री में रविवार सुबह आग लगने से अभी तक 43 लोगों की मौत हो गई है।
  • savarkar
    डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    'वीर' सावरकर और नया आधुनिक इतिहास
    08 Dec 2019
    “बताया जाता है कि काला पानी में कैदियों को इतना अधिक कष्ट दिया जाता था कि वीर लोग सह नहीं पाते थे। यह बात अलग है कि आम कैदी सहते रहते थे क्योंकि उन्हें माफ़ीनामा लिखना नहीं आता था…” पढ़िए डॉ. द्रोण…
  • no to rape
    सोनम मित्तल
    हैदराबाद : बलात्कार संस्कृति को ख़त्म करने के लिए मौत की सज़ा उचित मार्ग नहीं
    08 Dec 2019
    बलि का बकरा बनाना, फांसी देना, मुठभेड़ में मारना : हमारे सामूहिक अपराध पर परदा डालने जैसा है।
  • ayodhya
    एम आर शमशाद 
    क्यों अयोध्या फ़ैसले से जुड़े अहस्ताक्षरित परिशिष्ट को ख़ारिज कर देना चाहिए
    08 Dec 2019
    गुमनाम इन्सान द्वारा उपसंहार लिखना और “सीलबंद लिफ़ाफ़ों” में दस्तावेज़ों को गुपचुप भेजने की कवायद, वादियों के साथ नाइंसाफ़ी है।
  • Load More
सदस्यता लें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें