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हिमाचल सरकार : अवैध कब्जे के नाम पर हज़ारों पेड़ों को काट रही है

सिंघा ने कहा,मामला न सुलझने तक सेब के पौधों को वनविभाग अपने अधीन ले सकता है बजाय उन पर आरी चलाने के।
AIKS

हिमाचल में सरकार अवैध कब्जे को हटना के लिए हज़ारों पेड़ों को काट रही है | यहाँ बहुत ही आश्चर्य की बात है कि जहां पूरी दुनिया कमज़ोर होते पारिस्थितिकी तंत्र को लेकर चिंतित है उसको सुदृढ़ करने का प्रयास कर रही है | इसमें पेड़ों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है परन्तु हिमाचल की भाजपा सरकार पेड़ों को लगाने की जगह अवैध कब्जे के नाम पर हजारो पेड़ों को काट रही है |

दूसरी तरफ , उसमें जो बागवानी करते हैं वो अधिकतर भूमिहीन थे और उन्होंने बंजर पड़ी जमीन पर सेब की बागवानी शुर कर दी ,वो काफी समय से इस जमीन पर बागवानी कर रहे थे | अगर इनके सेब के पौधों को काट दिया गया तो  इन परिवारों का  जीवन यापन का साधन ही समाप्त हो जायेगा | इस पर भी सरकारों को सोचना पड़ेगा कि उनका वैकल्पिक जीवनयापन का साधन क्या हो सकता है ?

 इस पूरे मसले पर हिमाचल किसान सभा के नेता और सीपीआई(एम) के विधायक राकेश सिंघा ने कल प्रेसवार्ता की जिसमें उन्होंने कहा कि “ सेब बागवानों को टारगेट कर भूमिहीन किया जा रहा है। ग़लत तरीके से सेब के पेड़ काटे जा रहे हैं, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही। मुख्यमंत्री को इस पर जल्द ध्यान देना चाहिए और सर्वदलीय बैठक बुलाकर हल निकालना चाहिए”।

सिंघा ने कहा कि इस बार विधानसभा में मामला उठाया परन्तु मामले पर कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि “आयरलैंड की एक स्टडी है कि सेब का पत्ता कार्बन को सोखता(अब्सोर्ब्स) है । उन्होंने सेब के पौधों को नेशनल वेल्थ कहा” |

मामला न सुलझने तक सेब के पौधों को वनविभाग अपने अधीन ले सकता है बजाय उन पर आरी चलाने के। किसान सभा ने सीएम से आग्रह किया है कि सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक बुलाएं और मामले पर चर्चा कर राय ली जाए जिससे समस्या हल हो सके और गरीब लोगों से उनके घर व आय के साधन छीनने से बच सके।

किसान सभा ने कहा कि राज्य में चाहे कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की दोनों ने ही जनता का पक्ष कोर्ट में ठीक से नहीं रखा है | सरकार  यदि मामले में गंभीरता नहीं दिखाएगी तो किसान सभा हाइकोर्ट जाने का विकल्प भी खोज रही है। क्योंकि कि सेब बागवानों की लड़ाई जहां तक होगी वह लड़ेंगे और उसे अंजाम तक पहुँचाया जाएगा।

किसान सभा इन मांगो को लेकर पहले भी विरोध प्रदर्शन करता रहा है उनकी मांग है की भूमिहीन और छोटे  किसानों को 5 बीघा जमीन दी जाए जिससे वो अपना जीवनयापन कर सकें और किसी भी स्थिति में किसानों के सेब बागानों को न उज़ड़ा जाए क्योंकि ये पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है |

कुलदीप तंवर किसान सभा के अध्यक्ष ने कहा कि “सरकार  पिछले 25 साल से दावा कर रही है कि जानवरों के लिए जंगल मे फलदार पेड़ लगाएंगे लेकिन आलम यह है कि लगाए तो जा नहीं रहे और जो है उन पेड़ों को भी काटा जा रहा है”।

उनका ये भी आरोप है की सरकार एकतरफ गरीब किसानो के सेब बागन को तबाह कर रही हैं वहीं दूसरी ओर रामदेव और कई उद्योगपतियों को सरकारी जमीने सस्ती दरो पर लीज़ पर दे रही हैं |

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