देश में करीब आधे सरकारी स्कूलों में बिजली और खेल के मैदान नहीं : संसदीय समिति
किसी भी देश के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण होता है ,स्कूलों का योगदान क्योंकि यही देश के भविष्य बनते है या बनाये जाते हैं। इसलिए जरूरी है की हर सरकार इसपर ध्यान दें और इसकी बेहतरी करे लेकिन अगर हम भारत की बात करें तो इस क्षेत्र पर किसी भी सरकार ने ठीक से ध्यान नहीं दिया हैं। लेकिन इस सरकार के दौर में हालत और भी ख़राब हुए हैं। कुछ ही दिन पहले संसदीय समिति की एक रिपोर्ट संसद में पेश किया गया। रिपोर्ट के अनुसार देश में जितने स्कूल हैं उनमें से 43.55 फ़ीसदी स्कूलों में अब तक बिजली का कनेक्शन नहीं है। कई राज्य ऐसे भी हैं जहां ये आंकड़ा 80 फ़ीसदी तक है। ऐसे ही करीब-करीब 41 फ़ीसदी स्कूल ऐसे हैं जहां खेल का कोई मैदान नहीं है।
मानव संसाधन विकास (एचआरडी) की संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में 2020-21 के लिए जो अनुदान की मांग की थी , सरकार ने इस बजट में उससे 27% कम का बजट आवंटित किया हैं। समिति ने 82,570 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया था, लेकिन केवल 59,845 करोड़ रुपये आवंटित किए गए ।
नवीनतम सर्वेक्षण आंकड़ों का हवाला देते हुए, पैनल ने सरकारी स्कूलों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की भरी कमी बताई । यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (UDISE) 2017-18 के सर्वे के अनुसार, देश में केवल 56% स्कूलों में बिजली की सुविधा है। मणिपुर और मध्य प्रदेश में यह सबसे कम है , जहां 20% से कम स्कूलों में बिजली की पहुच है। ओडिशा और जम्मू और कश्मीर में, 30% से कम स्कूलों में खेल के मैदान हैं। कुल मिलाकर, देश भर में केवल 57% स्कूलों में खेल के मैदान हैं। इसके साथ ही लगभग 40% स्कूलों में चार दीवारी नहीं है ,जो छात्रों और स्कूल की संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं ।
समिति ने सिफारिश की है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के साथ सहयोग करके चारदीवारी का निर्माण करे और सभी स्कूलों में बिजली सुनिश्चित करने के लिए सौर ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत प्रदान करने के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के साथ काम करे।
यह केवल बिजली, खेल के मैदान और बाउंड्री वॉल के बारे में नहीं है, बल्कि सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं जैसे कक्षाओं, पुस्तकालय, प्रयोगशालाओं, आदि की कमी है। संसदीय समिति ने भी कक्षाओं, प्रयोगशालाओं और पुस्तकालयों के निर्माण में प्रगति की "निराशाजनक" दर के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। सरकार के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों को मजबूत करने लिए 2019-20 में कुल 2,613 स्वीकृत परियोजनाओं में से, वित्तीय वर्ष के पहले नौ महीनों के दौरान केवल तीन ही पूरे हुए थे,समिति ने पाया कि इस तरह की देरी सरकारी स्कूलों से छात्रों को दूर कर रही हैं।
यद्यपि 2019-20 के वित्तीय वर्ष के लिए 1,021 अतिरिक्त क्लास रूम को मंजूरी दी गई थी, लेकिन इस अवधि के दौरान एक भी क्लास रूम का निर्माण नहीं किया गया था।
हालांकि, माध्यमिक और प्राथमिक स्कूलों के लिए डेटा एक अलग तस्वीर दिखाता है। माध्यमिक स्कूलों में, दिसंबर तक 70-75% ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं। प्राथमिक स्कूलों के मामले में, बुनियादी ढांचा पूरा होने की दर 90-95% के रिकॉर्ड पर थी।
समागम शिक्षा योजना के लिए, विभाग ने 31 दिसंबर, 2019 तक संशोधित अनुमानों का केवल 71% खर्च किया था।रिपोर्ट में कहा गया है "समिति बुनियादी ढांचे के विकास को बाधित करने वाले कारकों पर गौर करने और उन्हें जल्द से जल्द हल करने के लिए विभाग को मज़बूती से काम करना चाहिए। जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि छात्रों को सर्वोत्तम संभव सुविधाएं मिलें।”
रिपोर्ट में कहा गया है, "समिति इस तथ्य से अवगत है कि बुनियादी ढांचे के पूरा होने में देरी से न केवल सरकारी स्कूलों से बच्चे ही बाहर हो रहे है , बल्कि इससे लागत बढ़ती है और देश के वित्तीय संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।"
बच्चों के स्कूल से बहार होने के कारण
मुख्य मुद्दों में से एक स्कूलों छोड़ने वाले छात्रों की संख्या है। ऐसे ड्रॉपआउट के पीछे कई सामाजिक-आर्थिक कारण हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1-8) में 4% और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (कक्षा 11-12) में 2% की तुलना में ड्रॉपआउट दर माध्यमिक स्तर (कक्षा 9-10) पर 17% है।
छात्राओं के स्कूल छोड़ने के कुछ प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
- घरेलू गतिविधियों में शामिल होना इसकी वजह है जिससे 30% बच्चे स्कूल छोड़ रहे है।
- शिक्षा में रुचि की कमी की वजह से 15% बच्चे स्कूल छोड़ते है।
- विवाह के कारण 13% बच्चे स्कूल छोड़ रहे है ।
दूसरी ओर, NSSO डेटा (2018) के अनुसार, पुरुषों छात्रों के बाहर निकलने के प्रमुख कारण हैं: आर्थिक गतिविधियों में शामिल होने के कारण 37%बच्चे स्कूल छोड़ रहे है।
- वित्तीय बाधाओं की वजह से 24% बच्चे स्कूल छोड़ रहे है।
- शिक्षा में रुचि की कमी के कारण 19%बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं ।
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