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हरियाणा: निजी मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने इच्छा मृत्यु के लिए आमरण अनशन शुरू किया

झज्जर स्थित वर्ल्ड मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने कॉलेज में सुविधाओं की कमी और फैकल्टी न होने का आरोप लगाया है। 
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हरियाणा के झज्जर के निजी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने वाले डॉक्टरों ने कालेज प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गिरावड़ गांव के वर्ल्ड मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियाें ने कॉलेज में सुविधाओं की कमी और फैकल्टी न होने के कारण सोमवार को श्रीराम शर्मा पार्क में हड़ताल की। इसके बाद मंगलवार यानी 3 सितबर से छात्रों ने इच्छा मृत्यु के लिए आमरण अनशन शुरू कर दिया हैं।

कॉलेज पर अपने करियर को बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए छात्रों ने मांग की है कि उन्हें अब इस कॉलेज की जगह अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेज में भेज दिया जाए।

दूसरी ओर कॉलेज प्रशासन द्वारा मीडिया में दिये गए बयानों के अनुसार बच्चों की यह हड़ताल कॉलेज को बदनाम करने की साजिश है। वही बच्चे आंदोलन कर रहे हैं जो कॉलेज में अनुशासन में नहीं रहते और मौज मस्ती कर कॉलेज का माहौल खराब करते हैं। जब ऐसे बच्चों से फीस जमा करने के लिए कहा जाता है तो इस तरह के हथकंडे अपनाते हैं। 
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कॉलेज प्रशासन के अनुसार, इन्हीं में से 48 बच्चे अब हड़ताल पर हैं, जबकि बाकी बच्चे कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं।

श्रीराम शर्मा पार्क में कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ दो छात्र डॉ योगित यादव और डॉ नीरज धरने बैठे है। साथ ही धरने पर बैठे अन्य छात्रों ने कहा कि हम सब वर्ल्ड मेडिकल कॉलेज, झज्जर के एमबीबीएस स्टूडेंट्स हैं। नीट पीएमटी पास करने के बाद हरियाणा सरकार द्वारा करवाई गई कॉउंसलिंग के माध्यम से 2016 में हम सबका यहां दाखिला हुआ था। शुरुआत से ही ये कॉलेज मेडिकल कांउसिल द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करने में बुरे तरीके से असफल रहा। न वर्ल्ड मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने के लिए डॉक्टर फैकल्टी हैं न क्लीनिकल पढ़ाई करने के लिए मरीज। जिसके चलते मेडिकल कांउसिल ने 2017, 2018 और 2019 में यहां कोई एमबीबीएस दाखिले नहीं होने दिए। 2019 में हमारे बैच के लिए भी रिन्यूअल मान्यता रद्द कर दी है।

आमरण अनशन पर बैठे छात्र योगित ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा कॉलेज खुलने के समय भारत सरकार और मेडिकल कौंसिल को दी गयी Essentiality Certificate के अनुसार है कि "अगर कॉलेज MCI के मानकों को पूरा नही कर पाता है या आगे MCI द्वारा MBBS के दाखिले रोक दिये जाते हैं तो पहले से ही दाखिल MBBS स्टूडेंट्स की राज्य सरकार जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें दूसरे कॉलेज में शिफ्ट करेगी"।
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इसी राज्य सरकार की अंडरटेकिंग के कारण हमारे देश के अन्य राज्यों मे हाल ही में वर्ल्ड कॉलेज जैसे अनेकों कॉलेज के MBBS स्टूडेंट्स के भविष्य को बचाने के लिए उन्हें दूसरे मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट कर दिया गया है।

वो आगे कहते हैं कि हम Essentiality सर्टिफिकेट के आधार पर हमने पंडित BD शर्मा यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर OP Kalra, राज्य के DMER के अधिकारियों से, ACS मेडिकल एजुकेशन औऱ रिसर्च Amit Jha से अनेकों बार पत्राचार और मुलाकात की। अनेकों बार राज्य सरकार द्वारा कॉलेज के inspection किये गए। इन inspections में भी वर्ल्ड मेडिकल कॉलेज निर्धारित मानकों को पूरा करने में बुरे तरीके से असफल रहा। न डॉक्टर फैकल्टी मिली और न ही मरीज़। इस सब के बाद भी सरकारी अधिकारियों की कॉलेज के साथ मिलीभगत के चलते कुछ नही हो पाया। योगित ने बताया कि थक हार कर हमने माननीय पंजाब एवम हरियाणा हाई कोर्ट में हमारे भविष्य को बचाने के लिये केस किया (CWP 17513 ऑफ 2018)। केस को चलते 14 महीने हो गए, परंतु वहाँ से भी अभी तक कोई राहत नहीं मिली है।

दूसरे छात्र जो आमरण अनशन पर बैठे छात्र नीरज ने कहा कि कॉलेज के भारी-भरकम फीस देकर और इतनी लंबी लड़ाई लड़कर हमारे घरवालों का सब कुछ दांव पर लग गया है इसलिए थक हार कर अब हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है जिसके चलते हम इच्छामृत्यु चाहते हैं।

छात्रों ने कहा कि आज भी कॉलेज अपनी कमियों को छिपाने के लिए झूठ का सहारा लेते हुए यह कह रहा है कि यह बच्चे दूसरे गवर्नमेंट कॉलेज में शिफ्ट होना चाहते हैं जबकि इनकी नीट पीएमटी एग्जाम के मेरिट लिस्ट में पीछे स्थान था जिसके चलते इन्हें प्राइवेट कॉलेज मिला।
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अनशनकारी छात्रों ने कहा कि हम आप सब को यह बताना चाहते हैं कि एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए हम सब ने नीट पीएमटी का एग्जाम पास किया था। जिनका स्थान मेरिट लिस्ट में आगे था उनको सरकारी संस्थान मिल गये, जिनका स्थान मेरिट लिस्ट में पीछे था उनको प्राइवेट संस्थान मिले। 

आगे वो सवाल करते हैं कि क्या सरकारी संस्थान से पढ़े बच्चे अलग एमबीबीएस की पढ़ाई करते हैं और प्राइवेट से पढ़े बच्चे अलग एमबीबीएस के कोर्स की पढ़ाई करते हैं? चाहे प्राइवेट हो या सरकारी संस्थान एमबीबीएस की पढ़ाई एक जैसी होती है। बस फर्क सिर्फ इतना होता है कि सरकारी संस्थान के विद्यार्थी कम फीस में वही कोर्स करते हैं और प्राइवेट संस्थान के विद्यार्थी ज्यादा फीस में वही कोर्स करते हैं।

सभी छात्र बार बार कह रहे है कि डॉक्टर फैकल्टी के, बिना क्लीनिकल कक्षाओं के और बिना मरीजों के हम कैसे डॉक्टर बनेंगे?

छात्रों ने सरकार के आला अधिकारियों की कॉलेज के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया। उन्होंने कहा की इसी मिलीभगत के चलते ही आज भी इनको छात्रों भविष्य की उन्हें कोई चिंता नहीं है। प्रशासन यही कहा रहा है कि ये बच्चों का केवल प्रचार पाने का पैंतरा है जिसके चलते उन्होंने इच्छा मृत्यु की मांग की है। 

अनशनकारियों ने कहा कि हम आप सब को और इस आत्मशून्य और बहरी सरकार को बताना चाहते हैं कि यह इच्छा मृत्यु कोई प्रचार पाने का पैंतरा नहीं है। हमने आज से यानी मंगलवार से इच्छा मृत्यु के लिए आमरण अनशन शुरू कर दिया हैं।

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