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“देश की जनता मणिपुर के साथ” : मज़दूर-किसानों का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

“देश में महिलाओं, दलित और आदिवासियों पर लगातार हमले बढ़ रहे हैं। सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है। इसी वर्ग को सुरक्षा की ज़रूरत है लेकिन आज इन्हीं पर सत्ता के संरक्षण में हिंसा हो रही है।”
Protest against Manipur Violence

कल मंगलवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर मणिपुर हिंसा और राज्य में महिलाओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर सेंट्रल ट्रेड यूनियन समेत किसान और खेत मज़दूर संगठन ने संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि "देश की जनता मणिपुर के साथ है। इसी एकता को दिखाने हम यहां एकजुट हुए हैं।

मंगलवार का ये प्रदर्शन सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन, अखिल भारतीय किसान सभा और अखिल भारतीय खेत मज़दूर यूनियन के "देशव्यापी विरोध प्रदर्शन" के तहत किया गया।

इस देशव्यापी प्रदर्शन के तहत जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए। इसके तहत हिमाचल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और दिल्ली समेत कई राज्यों से प्रदर्शन की तस्वीरें सामने आईं हैं।

दिल्ली में संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच ने संभाला मोर्चा

मणिपुर में संकट का सामना कर रहे लोगों के साथ 'एकजुटता' दिखाते हुए, दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया और केंद्र सरकार से मांग की गई कि राज्य में सामान्य स्थिति बहाल की जाए।

अखिल भारतीय किसान सभा और अखिल भारतीय खेत मज़दूर यूनियन के साथ दिल्ली के संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच के आह्वान पर जंतर-मंतर पर एक संयुक्त धरने का आयोजन किया गया।

गौरतलब है कि 3 मई, 2023 से मणिपुर जातीय हिंसा से बुरी तरह प्रभावित है, जिसके बाद 150 से अधिक लोगों की मौत हो गई, इसके अलावा घरों का विनाश, धार्मिक स्थान और आजीविका का नुकसान हुआ है। वहीं मंच से ये आरोप लगाया गया कि तटस्थ एजेंसी के रूप में कार्य करने के बजाय राज्य सरकार ने विभाजनकारी नीति को बढावा दिया है जिसने स्थिति को इस हद तक बढा दिया है। घटनाओं के पूरे अनुक्रम में राज्य की भूमिका जटिल है और यह आपसीे हिंसा के निरंतर होने का मूल कारण है।
आरोप है कि सरकारी मशीनरी राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने में पूरी तरह से विफल रही है। इसके परिणामस्वरूप एक लाख से अधिक लोग पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ म्यांमार में शरणार्थी शिविरों में बेहद ख़राब परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं।

सीटू के दिल्ली राज्य महासचिव और संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच-दिल्ली के नेता अनुराग सक्सेना ने अपने बयान में कहा कि "आज मणिपुर के लोगों के साथ संयुक्त रूप से एकजुटता दिवस मनाने का आह्वान किया गया था।" साथ ही उन्होंने केंद्र व राज्य सरकारों से मांग की कि "वे अपने असंवेदनशील और विभाजनकारी दृष्टिकोण का त्याग करें और संकटग्रस्त लोगों और पीड़ितों की सामान्य स्थिति, राहत और पुनर्वास की बहाली के लिए काम करें। इसके अलावा स्कूलों को फिर से खोला जाए और इंटरनेट सेवाओं को बहाल किया जाए।"

सीटू के राष्ट्रीय सचिव ए.आर सिंधु व Aiawu के संयुक्त सचिव शिवदासन सहित विभिन्न ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने सभा को संबोधित किया और मणिपुर की स्थिति पर अपने गुस्से का इज़हार किया। कार्यक्रम के अंत में गृह मंत्री, भारत सरकार के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया। वक्ताओं ने विभिन्न इलाकों, मज़दूर बस्तियों में कार्यक्रम का आयोजन करके संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लिया। इस कार्यक्रम में संगठित, अंसगठित, सरकारी एवं गैर सरकारी कमचारियों के साथ-साथ ग्रेटर नोएडा के किसानों ने बढ़ी संख्या में भाग लिया था।

मज़दूर संगठन 'सेवा' की नेता सुभद्रा ने कहा, "सरकार तो विफल है ही लेकिन इस हिंसा को लेकर हम सभी को सोचना होगा। हम एक समाज के तौर पर कहां जा रहे हैं? एक राज्य में इतने दिनों से हिंसा जारी है लेकिन सरकार कहां है? कानून का राज पूरी तरह गायब है। ऐसा लगता है कि इस मामले को लेकर सरकार की कोई रूचि है ही नहीं।"
 
ऐक्टू की नेता पूर्वा ने कहा, "देश में महिलाओं, दलित और आदिवासियों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं। सरकार को इनकी कोई चिंता नहीं है। वही (सरकार) इस हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी वर्ग को सुरक्षा की ज़रूरत है लेकिन आज उन्हीं पर सत्ता के संरक्षण में हिंसा हो रही है।"

अनुराग सक्सेना ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "आज 83 दिनों से हिंसा जारी है। इसमें महिलाओं को सबसे अधिक निशाना बनाया जा रहा है। आज जब सरकारें उनके साथ नहीं दिख रही हैं तब हम देश के मज़दूर उनके साथ हैं, ये संदेश देने हम आए हैं।
अनुराग आगे कहते हैं, "पहले भी वहां जातीय हिंसा रही है। बहुत मुश्किल से वहां शांति आई थी लेकिन वर्तमान सरकार के कारण एक बार फिर वहां लोगो में नफरत फैल गई है या कहें कि भाजपा ने सत्ता के लिए नफरत फैलाई है।"

खेत मज़दूर नेता विक्रम सिंह ने कहा, "आज देशभर का मज़दूर-किसान मणिपुर हिंसा के ख़िलाफ़ सड़क पर है। आज सरकार उनके साथ नहीं है लेकिन हम उनके साथ हैं। अब ये दो वर्गों के बीच जातिगत हिंसा से ज़्यादा एक राजनीतिक समस्या बन गई है। इसका हल भी राजनीतिक तरीके से होगा, सबसे पहले वहां के वर्तमान सीएम को हटाना होगा क्योंकि वो इस हिंसा के ज़िम्मेदार हैं। इसके बाद सभी लोगों - नागा, मैतेई और कुकी को एक साथ बैठाकर विश्वास में लेना होगा।"

हिमाचल में कई संगठनों का प्रदर्शन, राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

जनवादी महिला समिति, सीटू, हिमाचल किसान सभा, एसएफआई, डीवाईएफआई, दलित शोषण मुक्ति मंच व यंग वीमेन क्रिश्चियन एसोसिएशन संस्थाओं ने मणिपुर हिंसा में हस्तक्षेप व तत्काल कार्रवाई की मांग को लेकर डीसी ऑफिस शिमला पर ज़ोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया। इसके बाद भारत की राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन भेजा गया।

इस विरोध प्रदर्शन को राकेश सिंघा, फालमा चौहान, विजेंद्र मेहरा, जगत राम, सत्यवान पुंडीर, ऋतु शर्मा, सरिता ठाकुर व बालक राम आदि ने संबोधित किया।
 
राकेश सिंघा ने कहा, "बीते कई दिनों से मणिपुर में बेलगाम हिंसा जारी है। इस हिंसा में सैंकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में 70 हज़ार से ज़्यादा लोग प्रभावित होकर बेघर हुए हैं और राहत शिविरों गुज़र-बसर करने को मजबूर हैं। भाजपा की प्रदेश सरकार व मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह की संवेदनहीन कार्यप्रणाली के कारण स्थिति दिनों-दिन भयावह होती जा रही है। राज्य में महिलाओं, बच्चियों व लड़कियों के यौन शोषण व बलात्कार की घटनाएं आम हो गई हैं।"

विजेंद्र मेहरा ने कहा, "गत दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुई दो महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की घटना ने देश व सभ्य समाज के रौंगटे खड़े कर दिए हैं। किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह बेहद शर्मनाक घटना है। सरकार की अक्षमता व भेदभावपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण मणिपुर में स्थिति लगातार बिगड़ रही है।"

प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व देश के गृह मंत्री अमित शाह की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया। उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति से मांग की है कि "मणिपुर में सांप्रदायिक सौहार्द व शांति कायम की जाए। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अक्षम कार्यप्रणाली के कारण उन्हें तत्काल अपने पदों से हटाया जाए। मणिपुर में स्त्री उत्पीड़न, बलात्कार व यौन शोषण पर रोक लगाई जाए। बेघरों को राहत शिविरों में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं व उन्हें उनके मूल निवास में पहुंचाने के यथाशीघ्र ठोस उपाए किए जाएं। हिंसा, बलात्कार व सामूहिक हत्याओं के लिए ज़िम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए व इसके शिकार हुए लोगों व महिलाओं को उचित राहत उपलब्ध करवाई जाए।

यूपी, हरियाणा और राजस्थान समेत दक्षिण के कई राज्यों में भी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किए गए। सभी जगह लोगों ने एक ही संदेश दिया कि देश की जनता मणिपुर के लोगों के साथ खड़ी है।

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