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‘अग्निवीर’ से बेहतर दूसरी नौकरी? बीच में ट्रेनिंग छोड़ वापस आ रहे युवा !

मोदी सरकार की विवादित योजना अग्निपथ एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इस बार युवा ट्रेनिंग के बीच में ही छोड़कर वापस आ रहे हैं। जिसके बाद विपक्षी पार्टियों की ओर से सरकार पर निशाना साधा जा रहा है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। PTI

हिंदुस्तान में हर साल लाखों युवा सेना में भर्ती होने का ख़्वाब देखते हैं, क्योंकि यहां देश की रक्षा में भागीदार बनने के साथ-साथ, एक अलग सम्मान, व्यवस्थाएं और अच्छी तनख्वाह मिलती है।

लेकिन साल 2022 में रक्षा के क्षेत्र से ही जुड़ी एक योजना निकलकर बाहर आई ‘अग्निपथ योजना’। सरकार ने इसका बखान भी खूब जमकर किया, लेकिन युवाओं को रास नहीं आया। सरकार कहती रही कि इस योजना के तहत सैनिक बन जाने के बाद आप ‘अग्निवीर’ कहलाएंगे, लेकिन फिर भी युवा इसके लिए आकर्षित नहीं हुए, और नतीजा ये हुआ कि बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में युवा सड़क पर उतर आए, खूब हिंसा हुई, युवाओं पर शक्ति प्रदर्शन किए गए और सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े हुए। लेकिन इन सवालों के विपरीत जाकर सरकार ने इस योजना को ज़बरदस्ती लागू किए रखा और लंबे वक्त से बेरोज़गारी का दंश झेल रहे युवा एक बार फिर शासन की ताकत के सामने पीछे हट गए।

लेकिन अब करीब एक साल के बाद जबरन लागू की गई इस योजना के नकारात्मक नतीजे नज़र आने लगे हैं, क्योंकि बहुत से अभ्यर्थी ट्रेनिंग छोड़-छोड़कर वापस आ रहे हैं। जिसकी अलग-अलग वजहें बताई जा रही हैं, जिसमें दूसरी नौकरी मिल जाना, ट्रेनिंग से परेशान हो जाना या फिर किसी अन्य कारणों का हवाला दिया जा रहा है।

आपको बता दें कि भारतीय सेना में अग्निवीर के पहले बैच की ट्रेनिंग पूरी हो गई है। अगले महीने ये अग्निवीर सेना की अलग-अलग यूनिट में पहुंच जाएंगे। दूसरे बैच की ट्रेनिंग भी मार्च से शुरू हो गई है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ट्रेनिंग कर रहे अग्निवीरों में एक तरफ ऐसे ट्रेनी हैं जिन्हें 30 दिन या इससे ज्यादा की मेडिकल लीव में रहने की वजह से बाहर कर दिया गया है। वहीं ऐसे युवा भी हैं, जिन्होंने बेहतर मौका मिलने की वजह से ट्रेनिंग छोड़कर सेना को अलविदा कहा है। सूत्रों के मुताबिक, पहले बैच में ही 50 से ज्यादा युवा ट्रेनिंग बीच में छोड़कर चले गए, क्योंकि उन्हें दूसरी जगह नौकरी का मौका मिल गया।

ऐसे में सवाल ये उठता है कि ये युवा ‘अग्निवीर’ बनने के बजाए दूसरी नौकरियों को तरजीह क्यों दे रहे हैं? इसे जानने के लिए हमने बात की रक्षा मामलों के विशेषज्ञ सुशांत सिंह से। उन्होंने बताया कि इतना साफ है कि अग्निवीर के तहत जो लोग भर्ती हो रहे हैं, उनमें महज़ एक चौथाई लोगों को ही परमानेंट किया जाएगा, जबकि बाकी लोगों को अपना जीवनयापन खुद करना होगा। ऐसे में जिसे अपना फ्यूचर जहां स्थिर दिख रहा है, वो उसे चूज़ करेगा। अग्निवीर को लेकर अभ्यर्थियों में एक नाराज़गी ये भी है कि पहले सेना की नौकरी पक्की होती थी, जबकि अब ऐसा नहीं है।

इसके अलावा सुशांत सिंह ने बताया कि 50 से 100 लोगों का ट्रेनिंग छोड़ देना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन इसके परिणाम क्या हो सकते हैं, या फिर अग्निवीर को लेकर युवाओं में सोच क्या है, ये थोड़ा सोचने वाला विषय है।

सुशांत सिंह के बाद जब रक्षा विशेषज्ञ अभय श्रीवास्तव ने न्यूज़क्लिक से बात की, तब उन्होंने इसमें अभ्यर्थियों की ग़लती बताई। उनका कहना था कि सरकार की अग्निवीर योजना अपने आप में ठीक है, क्योंकि सैनिक लाइफ में बहुत सुकुमार लोगों के लिए जगह नहीं हो सकती है, ऐसे में जिन्हें अच्छी लाइफ स्टाइल को फॉलो करने में दिक्कत हो रही है, वो इसे छोड़ देते हैं।

अभय श्रीवास्तव की मानें तो ट्रेनिंग छोड़कर आने वालों के दिमाग में पहले दिन से यही होता है कि उन्हें सिर्फ 15 साल के लिए नौकरी मिलेगी, तो फिर ट्रेनिंग इतनी हार्ड क्यों है?

अभय श्रीवास्तव से जब हमने इससे नुकसान की बात की, तब उन्होंने बताया कि इससे सेना को कोई नुकसान नहीं है, बल्कि अभ्यर्थियों को ही नुकसान है, क्योंकि इसमें भर्ती होकर वो हिंसा के रास्ते पर जाने से बच सकते हैं।

हालांकि यहां अभय श्रीवास्तव ने ये नहीं बताया कि अभ्यर्थियों और युवाओं का हिंसा के रास्ते पर जाने का कारण क्या होता है? जबकि बीते वक्त जब इस योजना के बारे में सरकार ने बताया था, तब बिहार के साथ देश के कई राज्यों में युवाओं ने सड़क पर हंगामा किया था, तब सामने निकलकर आया था कि देश का ज़्यादातर युवा बेरोज़गारी से जूझ रहा है, इससे पहले आंकड़े आए थे कि देश में बेरोज़गारी के आंकड़े पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा है। ऐसे में ये कहना ग़लत नहीं होगा कि मौजूदा सरकार ने युवाओं को सड़क पर उतारकर हिंसक रुख अपनाने के लिए मजबूर किया है।

इसी तरह रक्षा मामलों के विशेषज्ञ टीपी त्यागी ने भी न्यूज़क्लिक से बात की, उनका कहना था कि अग्वनिवीर योजना करीब तीन दशक पहले लाई गई थी। और इसका मुख्य मकसद फौज में युवाओं को तरजीह देना था। जैसे परमानेंट सिपाही (जो पुरानी भर्तियों के ज़रिए होते थे) का एज ग्रुप ओल्डर हो चुका है। लेकिन सेना में ऐसे जवानों की ज़रूरत होती है, जिनमें जोश हो, साहस हो, और जो लीड कर सकें। इसे हम लोग वैन गार्ड भी कहते हैं।

विशेषज्ञों की राय अलग-अलग हो सकती है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अग्निपथ जैसी योजना में अग्निवीर बनना भी युवाओं को अपने भविष्य के लिए सुरक्षित नहीं लग रहा है।

आपको बता दें कि जब साल 2022 में सरकार ने इस योजना की बात पटल पर रखी थी, तब पहले उसी साल सेना के तीनो अंगों में 46 हज़ार जवानों की भर्ती की बात कही गई थी, इसके बाद अगले 4-5 सालों में संख्या बढ़ाकर 50-60 हज़ार कर देने का दावा किया गया था। यानी इस साल 2023 में 50-60 हज़ार भर्तियों का लक्ष्य रखा गया है।

हालांकि सरकार की ओर से इस संख्या को भी बढ़ाने का दावा किया गया है और कहा गया है कि आने वाले सालों में हर साल 90 हज़ार से 1.20 लाख भर्तियां की जाएंगी।

ख़ैर... एक ओर ट्रेनिंग छोड़कर अभ्यर्थी वापस आ रहे हैं, तो दूसरी ओर इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है।

कांग्रेस ने अग्निपथ योजना को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने देश की सेवा करने के युवाओं के सपने को चकनाचूर कर दिया है और उनके मन में कई आशंकाएं पैदा की हैं। सरकार पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का ये हमला उन मीडिया रिपोर्ट के सामने आने के बाद आया है, जिनमें दावा किया गया है कि भारतीय सेना में अग्निवीर के रूप में शामिल होने वाले युवा बीच में ही प्रशिक्षण छोड़ रहे हैं।

इसके अलावा समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस मामले में सरकार पर हमला किया है। अखिलेश ने एक ट्वीट कर अग्निपथ योजना को घातक योजना बताया है। उनका कहना है कि इसे जितना जल्दी वापस लिया जाए, उतनी ही जल्दी देश की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

इस योजना में ट्रेनिंग छोड़कर जो अभ्यर्थी वापस आए हैं, वो तो एक बात है, लेकिन राजनीति विषय ये तब बन गया जब ख़बरें आईं कि अब ट्रेनिंग छोड़कर वापस आने वालों से ट्रेनिंग में खर्च हुई रकम वसूल की जाएगी और उनपर कार्रवाई की जाएगी।

आपको बता दें कि सेना में ट्रेनिंग बीच में छोड़कर जाने के लिए कोई नियम नहीं है, लेकिन अब सरकार इस पर लगाम लगाने के मकसद से नए नियम लाने का विचार कर रही है, रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेनिंग बीच में छोड़कर जाने वालों से ट्रेनिंग पर आया खर्च वसूला जाएगा, पहले बैच में 50 से ज्यादा युवा ट्रेनिंग बीच में ही छोड़कर चले गए और दूसरे बैच में भी ऐसा ही हाल है, उनका कहना है कि युवाओं से ट्रेनिंग में होने वाला खर्च वसूला जाएगा, इस तरह ट्रेनिंग में सिर्फ वही युवा शामिल होंगे जो सेना में भर्ती होने के लिए गंभीर हैं।

चलिए जान लेते हैं कि ‘अग्निपथ योजना’ क्या है, जिसको लेकर इतना विवाद होता आ रहा है?

अग्निपथ योजना भारतीय सेना के तीनों अंगों थलसेना, वायुसेना और नौसेना के लिए बनाई गई है। जैसे थलसेना में जवान, वायुसेना में एयरमैन और नौसेना में नाविक की भर्तियां की जाएंगी।

इन तीनों ही अंगों में से किसी में भी भर्ती हो जाने के बाद सैनिकों को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा और इनका कार्यकाल 4 सालों का होगा।

यदि आप 17.5 साल से 21 साल की उम्र के बीच के हैं, तो आप इस योजना के तहत भर्ती होने के लिए आवेदन दे सकते हैं। हालांकि इसे बढ़ाकर 23 साल करने पर चर्चा चल रही है।

यहां आपको बता देना ज़रूरी है कि कोरोना काल में यानी सिर्फ साल 2022 के लिए अभ्यर्थियों की भर्ती की उम्र 17 साल से 23 साल कर दी गई थी।

ख़ैर.. इस योजना में स्थाई तौर पर उम्र कब बढ़ेगी, इस पर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, लेकिन सेना की भर्तियां कम होना और नई योजनाओं में दिलचस्पी नहीं दिखाना देश में बेरोज़गारी का आंकड़ा बढ़ा रहा है। ये कहना ग़लत नहीं होगा कि युवाओं की बड़ी संख्या सेना के लिए तैयारी करती हैं, लेकिन फिर भी भर्तियां नहीं खोली जातीं। इसका अंदाज़ा आप साल 2021 के दिसंबर में सरकार की ओर से संसद में दिए एक बयान से लगा सकते हैं। सरकार की ओर से बताया गया था कि थलसेना में 1,04,053 सैनिकों, नौसेना में 12,431 कर्मियों और वायु सेना में 5,471 मार्शलों की कमी है। एक उम्मीदवार को चुनने और प्रशिक्षित करने में लगभग 1.5 साल लग जाते हैं।

आपको बता दें कि मौजूदा सरकार के अलावा अग्निवीर का सपना दिखाने वाली इस अग्निपथ योजना को अभी तक कोई हज़म नहीं कर पाया है। फिर चाहे वो विपक्ष के नेता हों, सेना के बड़े जानकार हों या सेना में भर्ती होने वाला देश का युवा। हर किसी को इस योजना के तहत सेना में भर्ती हो जाना भविष्य का अंधकार में जाने जैसा ही लग रहा है।

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