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नफ़रत मिटने और भारत के जुड़ने तक जारी रहेगी यात्रा : राहुल

'भारत जोड़ो यात्रा' को एक साल हो गया है। यह यात्रा पिछले साल सात सितंबर में कन्याकुमारी से शुरू हुई थी। राहुल गांधी ने पार्टी के कई नेताओं के साथ क़रीब 4,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की थी।
Rahul Gandhi
फ़ोटो : PTI

नयी दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की पहली वर्षगांठ पर बुधवार को कहा कि उनकी यात्रा देश में ‘नफ़रत मिटने और भारत के जुड़ने’ तक जारी रहेगी।

राहुल गांधी ने पार्टी के कई नेताओं के साथ करीब 4,000 किलोमीटर से अधिक की यात्रा की थी और इस दौरान उन्होंने समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से बातचीत की थी। यह यात्रा पिछले साल सात सितंबर को कन्याकुमारी से आरंभ हुई थी, जो इस वर्ष 30 जनवरी को श्रीनगर में समाप्त हुई थी। यात्रा 145 दिन चली थी।

राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भारत जोड़ो यात्रा के एकता और मोहब्बत की ओर करोड़ों कदम, देश के बेहतर कल की बुनियाद बने हैं। यात्रा जारी है - नफ़रत मिटने तक, भारत जुड़ने तक। ये वादा है मेरा!’’

कांग्रेस ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘हमारा देश बेलगाम महंगाई और बेरोजगारी से लगातार जूझ रहा है। सियासी रोटियां सेंकने के लिए नफ़रत की आग भड़काई जा रही है। भाई को भाई से लड़ाया जा रहा है। अन्नदाता अपने हक के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं और युवा रोजगार के लिए परेशान। जनता की आवाज कुचली जा रही है। लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है। लोगों की सिसकियां और आह सुनने वाला कोई नहीं है।’’

कांग्रेस ने कहा, ‘‘हिंदुस्तान की फिजाओं में नफ़रत और डर का जहर घोलकर, देश को जरूरी मुद्दों से भटकाया जा रहा है। ऐसे में राहुल गांधी जी आगे आए और जिम्मेदारी उठाई। यह जिम्मेदारी देश से नफ़रत और डर को मिटाने की है।’’

मुख्य विपक्षी दल का कहना है, ‘‘हिंदुस्तान नफ़रत का नहीं, मोहब्बत का देश है। हां... और इसी जिम्मेदारी को आज पूरी दुनिया 'भारत जोड़ो यात्रा' के नाम से जानती है।’’

वहीं जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, “आज राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से कश्मीर तक ऐतिहासिक भारत जोड़ो यात्रा के शुभारंभ की पहली वर्षगांठ है। श्रीपेरंबदूर में अपने पिता को श्रद्धांजलि देने के बाद, वह कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल, तिरुवल्लुवर स्टैचू, कामराज मेमोरियल और गांधी मंडपम गए थे। उसके बाद वह गांधी मंडपम से चले और कन्याकुमारी में हिंद महासागर के किनारे एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। अगली सुबह के शुरुआती घंटों में यात्रा शुरू हुई।"

जयराम लिखते हैं, "भारत जोड़ो यात्रा भारतीय राजनीति में एक बेहद परिवर्तनकारी घटना थी। यह यात्रा बढ़ती आर्थिक असमानताओं, बढ़ते सामाजिक ध्रुवीकरण और  राजनीतिक तानाशाही जैसे विषयों पर केंद्रित थी। राहुल गांधी ने यात्रा के दौरान अपने मन की बात नहीं की बल्कि इस अवसर का इस्तेमाल जनता की चिंता को सुनने के लिए किया। 

यह यात्रा अलग-अलग रूपों में आज भी जारी है। यह देश भर में छात्रों, ट्रक ड्राइवर्स, किसानों और कृषि श्रमिकों, मैकेनिकों, सब्जी व्यापारियों, MSME के साथ राहुल गांधी की मुलाक़ातों एवं मणिपुर में उनकी उपस्थिति के साथ-साथ लद्दाख की उनकी सप्ताह भर की विस्तारित यात्रा से स्पष्ट है।"

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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