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बिहार में शराब से हुई मौत के बाद नीतीश सरकार के शराबबंदी क़ानून पर उठने लगे सवाल

राज्य के सारण ज़िले में शराब पीने से अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है। पहले भी ज़हरीली शराब पीने से बिहार में बड़ी संख्या में मौत हो चुकी है। इस घटना ने नीतीश सरकार को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है।
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बिहार में एक बार फिर शराब पीने से नौ लोगों की मौत का मामला सामने आया है। वहीं दो दर्जन से अधिक लोग अभी अस्पताल में हैं, जहां उनका इलाज चल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जहरीली शराब पीने से इन लोगों की मौत हुई है। ये घटना राज्य के सारण जिले की है, जहां शराब पीने से मरने वालों का आंकड़ा शुक्रवार को दोपहर के समय नौ तक पहुंच गया। आज दो और लोगों की मौत हो गई। दोनों ही राजधानी पटना के पीएमसीएच में भर्ती थे। इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई।

ये घटना सारण जिले के मकेर और भेल्दी की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 15 लोगों की आंख खराब हो गई है। बताया जाता है कि उनके आंखों की रौशनी कम हो गयी है। ग्रामिणों ने जहरीली शराब पीने का दावा किया है। ज्ञात हो कि शराब पीने से गुरुवार को सात लोगों की जान चली गयी थी। कई बीमार अभी भी पीएमसीएच में भर्ती हैं, जिनकी हालत खराब बताई जा रही है।

इस घटना के बाद डीएम और एसपी मामले की जांच के लिए घटनास्थल पर कैंप कर रहे हैं। जिले के डीएम राजेश मीणा ने कहा है कि प्रथम दृष्टया शराब पीने से मौत होना प्रतीत हो रहा है। घटनास्थल पर मेडिकल टीम भी पहुंची हुई है। पुलिस छानबीन कर रही है। डीएम ने आश्वासन दिया है कि किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार लोगों का कहना है कि एक शादी समारोह शराब पीने की बात सामने आई है। मकेर थाने के फुलवरिया नोनिया टोली और सोनहो भाथा के लगभग पच्चीस से अधिक लोगों ने शराब पिया था। जिनके घर में शादी थी, उन लोगों ने अपने सगे-सम्बन्धी को भोज का निमंत्रण दिया था जिस दौरान शराब पिलाई गई थी।

उधर इस मामले में पुलिस ने एक व्यक्ति को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कई थानों की पुलिस को घटनास्थल पर भेजा गया।

पुलिस, प्रशासन और उत्पाद विभाग की टीम अभी भी गांव में मौजूद है। आज भी मामले में छानबीन की जा रही है। इस बीच प्रशासन ने लोगों से अपील किया है कि जिन लोगों ने शराब पिया है वे बताएं ताकि इलाज करवाकर उनकी जान बचाई जा सके। मेडिकल टीम ग्रामीणों का हेल्थ चेकअप कर रही है।

वहीं सारण में बीमार लोगों का ठीक से इलाज न होने से गुस्साए परिजनों व गांव के लोगों ने रोड जाम कर बेहतर इलाज कराने की मांग की है। रिपोर्ट के अनुसार सड़क पर उतरी भीड़ ने आगजनी की और शासन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

नीतीश सरकार पर विपक्ष हमलावर

इस मामले के सामने आने के बाद आरजेडी सारण ने ट्वीट करते हुए लिखा, छपरा ज़हरीली शराब कांड में अब तक 10 लोग मारे जा चुके हैं! वास्तविक संख्या इससे भी कहीं अधिक है! कितनों की आँखों की रौशनी जा चुकी है! इन सब की दोषी नीतीश सरकार है, जिसने शराबबंदी तो लागू किया पर गली-गांव में अवैध शराब बेचने वालों पर रोक नहीं लगा पा रही!

बता दें कि इस घटना से पहले राज्य में होली के दौरान दो दिनों में तीन जिलों भागलपुर, बांका और मधेपुरा में करीब 32 लोगों की मौत हो गई थी। भागलपुर जिले में करीब 17 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं बांका जिले में दो दिनों में लगभग12 लोगों की मौत हो गई थी जबकि में करीब 3 लोगों की मौत हुई थी। कई लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस घटना के समय भी मृतकों के परिजनों ने मौत की वजह जहरीली शराब बताया था।

ज़हरीली शराब से बड़ी संख्या में हो चुकी है मौत

इस साल जनवरी महीने में बिहार में जहरीली शराब पीने से करीब 13 लोगों की जान चली गई थी। पिछले साल नवंबर महीने में मुजफ्फरपुर के कांटी प्रखंड स्थित बरियारपुर व मनिकापुर इलाके में जहरीली शराब से पांच लोगों की मौत हो चुकी है। नवंबर महीने में ही शुरूआत में जहरीली शराब पीने से गोपालगंज में 18 लोगों को मौत हो गई थी। वहीं कई लोगों के आंखों की रौशनी चली गई थी। इसी दौरान पश्चिम चंपारण में 15 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना से पहले मुजफ्फरपर जिले के सरैया थाना इलाके में जहरीली शराब के इस्तेमाल से पांच लोगों की मौत हो गई थी जबकि इसी जिले में इसके पीने के चलते सकरा प्रखंड में दो लोगों की मौत हो गई थी।

इससे मौत का सबसे बड़ा मामला पिछले साल होली के ठीक बाद नवादा जिले में सामने आया था। यहां टाउन थाना क्षेत्र के गांवों में इसके इस्तेमाल के चलते करीब16 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद फिर जुलाई महीने में पश्चिमी चंपारण के लौरिया में करीब इतनी ही संख्या में लोगों की मौत का मामला सामने आया था।

केमिकल और नशीली दवा के इस्तेमाल की बात आई थी सामने

बता दें कि मुजफ्फरपुर जहरीली शराब कांड के समय छापेमारी के दौरान ये बात सामने आई थी कि शराब माफिया देसी शराब बनाने में केमिकल व नशीली दवाओं का इस्तेमाल करते थे। इसे पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से मंगाने की बात सामने आई थी। इसके अलावा स्प्रिट के भी इस्तेमाल का पता चला था जो कि काफी जानलेवा होता है। इस कांड के दौरान जब शराब बनाने के दो अड्डों पर छापेमारी की गई थी तो इन अड्डो से कीटनाशक बरामद किया गया था।

ज्ञात हो कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून अप्रैल2016 में लागू कर दिया गया था। इस कानून के लागू होने के बावजूद पिछले साल कई घटनाएं सामने आई थी जिसमें जहरीली शराब से करीब 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।

पुलिस की रिकॉर्ड के अनुसार इस मामले में शराबबंदी कानून के तहत दिसंबर 2021 तक करीब 3.5 लाख से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं और वहीं 4 लाख से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए।

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