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बिहार: मुखिया के सामने कुर्सी पर बैठने की सज़ा, पूरे दलित परिवार पर हमला

जगह-जगह दुल्हिनगंज के दलित परिवार के साथ जदयू पूर्व मंत्री के इशारे पर हुई दबंगई के खिलाफ जन आक्रोश सड़कों पर प्रकट करते हुए नितीश कुमार सरकार का पुतला जलाने का सिलसिला शुरू हो गया है।
bhojpur

पूर्व के कई दशकों तक सामाजिक दबंगई और शोषण (सामंती धाक व उत्पीड़न) के खिलाफ बिहार स्थित पुराना भोजपुर (शाहाबाद) का इलाका दलित और अन्य पिछड़े वंचित समुदाय के क्रान्तिकारी जन संघर्षों से सरगर्म रहा था। जिसके केंद्र में इनके राजनितिक अधिकारों की दावेदारी के साथ-साथ सामाजिक सम्मान का सवाल काफी मुखर हुआ। एक बार फिर से वही सारे सवाल सामाजिक जन प्रतिकार के रूप में उठने लगे हैं।  इसे लेकर, हमेशा की भांति, सरकार और प्रशासन अभी तक इस पर कोई गंभीरता नहीं दिखाने की ज़रूरत समझी है। 

विडंबना है कि इस बार यह पुराने दौर के ऊंची दबंग जातियों की सामंतशाही ज़ुल्म के खिलाफ नहीं उठा है। बल्कि महादलितों के उत्थान और विकास का राग अलापकर व्यापक महा दलितों से जबरदस्त समर्थन हासिल करने वाले मुख्यमंत्री नितीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू के तथाकथित ओबीसी मार्का नेता और पूर्व मंत्री के खिलाफ़ उठा है। जिनके लोगों ने एक दलित युवा के उनके सामने कुर्सी पर बैठने की सज़ा उसे पूरे परिवार समेत सरेआम जाति सूचक गलियां देते हुए, बर्बर पिटाई और बेईज्ज़त कर के दी।

इतना ही नहीं, घटना की खबर सुनकर उनका हाल समाचार जानने पहुंची भाकपा माले की जांच टीम के सदस्यों और उसका नेतृत्व कर रहे भाकपा माले के युवा विधायक मनोज मंजिल को भी जाति सूचक गालियां देते हुए उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। पुराने दौर की भांति, इस बार भी सूचना मिलने के बावजूद, मौके पर नहीं आकर पुलिस ने दबंगई का तांडव करने वालों को ही अपनी मनमानी करने की पूरी छूट दी। माले विधायक ने जब डीएसपी से फोन पर बात कर के स्थिति की गंभीरता बतायी तब पुलिस ने आने की जहमत उठायी।  

 घटना पिछले 11 जुलाई की है जब भोजपुर के जगदीशपुर प्रखंड स्थित दुल्हिनगंज गांव के नेटुवा टोली (दलित बस्ती ) का एक युवा शाम के समय अपने ही घर के सामने की सड़क कि दूसरी ओर कुर्सी लगाकर बैठा हुआ था। कुछ देर बाद ही जब स्थानीय मुखिया वहां से गुजर रहे थे, तो गाड़ी रोककर उस दलित युवा को खरी-खोटी सुनाई। उस युवा ने ऐतराज जताते हुए मुखिया जी से इसका कारण जानना चाहा तो बिफरे अंदाज़ में “दिखाएं” कहते हुए मुखिया गाड़ी से उतरकर जातिसूचक भद्दी गलियां देते हुए उसे पीटना शुरू कर दिया। चीख-पुकार सुनकर बीच-बचाव करने पहुंचे परिवार के सभी लोगों की भी बर्बर पिटाई कर दी गयी।

बाद में, मुखिया ने फोन कर के अपने अन्य गुर्गों को भी वहां बुला लिया, जो लाठी डंडों से लैस होकर वहां पहुंचे और सबको पीटते हुए घर में रखे सामानों को भी तहस-नहस कर डाला। घर की सभी महिलाओं व लड़कियों तक को नहीं बक्शा गया। एक किशोरी बेटी को बुरी नीयत से अगवा भी करना चाहा, लेकिन प्रबल विरोध के कारण ऐसा करने में वे कामयाब न हो सके।

कांड की सूचना पाते ही दुसरे ही दिन भाकपा माले की जांच टीम लेकर उक्त पीड़ित परिवार का हाल जानने पहुंचे माले विधायक टोले के बीच बैठकर वहां के लोगों से बातचीत करने लगे। इसी दौरान मुखिया के आका और जदयू पूर्व मंत्री का भतीजा अपने कुछ लोगों के साथ वहां पहुंचा और विधायक व पीड़ित परिवार के लोगों से अनाप शनाप बोलते हुए धमकाने लगा। वहां मौजूद माले विधायक के सरकारी अंगरक्षक ने उसे ऐसा करने से रोकना चाहा तो उससे भी उलझकर विधायक को भी जातिसूचक गलियां देते हुए धक्का-मुक्की की स्थिति पैदा कर दी गयी। स्थिति की गंभीरता देखते हुए जब माले विधायक ने फोन से स्थानीय पुलिस डीएसपी को सूचना दी, तब जाकर पुलिस आई और सब कुछ सामान्य हुआ। हालांकि पूर्व मंत्री का भतीजा व गुर्गे पुलिस के सामने भी धौंस धमकी देते रहे। 

इस पूरे मामले के विरोध में माले विधायक ने उसी टोले से प्रतिवाद मार्च निकालकर गांव से सटे हरिगांव बाज़ार में बड़ी जन सभा कर कांड की सारी वास्तविकता और अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की जानकारी काफी संख्या में वहां जुटे हुए हुए लोगों को बताई। बाद में इस पूरे प्रकरण के खिलाफ आक्रोशित स्थानीय ग्रामीणों ने काण्ड के दोषियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए नितीश कुमार सरकार का पुतला भी जलाया। कार्यक्रम के बाद विधायक मनोज मंजिल ने स्थानीय थाना में जदयू पूर्व मंत्री व दबंग नेता के इशारे पर उनके साथ दुर्व्यवहार किये जाने को लेकर प्राथमिकी भी दर्ज कराई। 

जदयू पूर्व मंत्री व जगदीशपुर के पूर्व विधायक के इशारे पर दलित युवा के कुर्सी पर बैठने को लेकर उसके व पूरे परिवार को अपमानित कर पीटे जाने के साथ-साथ उक्त अमानवीय काण्ड की जांच करने पहुंचे माले युवा विधायक के साथ हुए सुनियोजित दुर्व्यवहार के खिलाफ पूरे जिले में तीखी प्रतिक्रया शुरू हो गयी। जगह-जगह दुल्हिनगंज के दलित परिवार के साथ जदयू पूर्व मंत्री के इशारे पर दबंगई के खिलाफ जन आक्रोश सड़कों पर प्रकट करते हुए नितीश कुमार सरकार का पुतला जलाने का सिलसिला शुरू हो गया। 

भाकपा माले के नेतृत्व में जिला मुख्यालय आरा से लेकर पूरे जिले में दुल्हिनगंज के दलितों के साथ दबंगई करने वालों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रतिवाद जारी है। जिनके माध्यम से यह भी आगाह किया जा रहा है कि इस इलाके में सत्ता के संरक्षण में सर उठा रहीं दबंग शक्तियां यहां के दलितों वंचितों की जुझारू लड़ाकू परम्परा को फिर से याद कर लें और ज़ल्द से ज़ल्द सुधर जाएं क्योंकि यहां की धरती दलित-गरीबों और उनके मान-सम्मान साथ अन्याय और गुंडई कत्तई बर्दाश्त नहीं करती है।

काण्ड के दूसरे व तीसरे दिन से ही पूरे जिले और इलाके में प्रतिवाद कार्यक्रमों का सिलसिला जारी है। २६ जुलाई को जिला व्यापी प्रतिवाद के तथा आरा स्थित जिला मुख्यालय समेत सभी प्रखंड मुख्यालयों पर विरोध मार्च निकालकर नितीश कुमार सरकार के पुतले जलाए गए। 

29 जुलाई को एसडीपीओ मुख्यालय के समक्ष विशाल विरोध धरना देते हुए दलित  परिवार पर हमला करने वाले सभी दोषियों कि गिरफ्तारी तथा पीड़ित दलित परिवार के न्याय की मांग की गयी। धरने में पीड़ित दलित परिवार के लोग भी शामिल हुए और अपनी व्यथा-कथा सुनाकर इंसाफ और सुरक्षा की मांग की। उक्त काण्ड के बाद से ही उक्त दलित परिवार डरकर दूसरी जगह अपने रिश्तेदार के यहां रह रहा है। धरना को संबोधित करते हुए दलित युवा की मां ने रोते हुए कहा कि इसके पहले भी कई बार घर पर आकर उन लोगों के साथ बुरा व्यवहार होता रहा है। पूर्व मंत्री और उनका चहेते मुखिया के लोग टोले को लोगों हमेशा धमकाते हुए कहते हैं कि हम लोगों ने तुम्हें बसाया है और जब चाहेंगे उजाड़ देंगे।  

पूरे मामले को लेकर माले विधायक मनोज मंजिल ने राजधानी स्थित बिहार सरकार की एससी/एसटी विधान सभाई कमिटी अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री से मिलकर ज़ल्द से ज़ल्द संज्ञान लेने सम्बन्धी समार पात्र भी जाकर सौंपा है। इस पर उनकी कमिटी ने भी सर्वसम्मति से उचित कारवाई करने का निर्णय लिया है। 29 जुलाई को माले विधायकों ने बिहार विधान सभा के चालू मॉनसून सत्र में भी उक्त काण्ड मामले को उठाते हुए ज़ल्द से ज़ल्द कर्रवाई करने की मांग की है। 

मीडिया में आई ख़बरों को ही देखा जाए तो नितीश कुमार शासन के हाल के वर्षों में पूरे प्रदेश दलितों-वंचितों पर दमन अत्याचार की घटनाओं में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। ये जातिवादी अत्याचार करने वाले लोग सरकार के ही घटक भाजपा अथवा जदयू से ही जुड़े हुए दबंग हैं। 

सरकार व प्रशासन ने मौन रह कर एक तरह से इन्हें खुला संरक्षण ही दे रखा है। इसके खिलाफ प्रदेश का विपक्षी महागठबंधन के दल लगातार अपनी आवाजें उठा रहें हैं।  

80 के दशक में मध्य बिहार के “धधकते खेत-खलिहान” से संबोधित होने वाले भोजपुर में एक बार फिर से दलित समुदाय ने अपने अधिकार व सामाजिक मान-सम्मान का सवाल उठाया है।

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