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चिली के लोगों ने सेबेस्टियन पिनेरा और पुलिस के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन तेज़ किया

विभिन्न सामाजिक संगठनों, छात्रों के समूहों, ट्रेड यूनियनों और महिलाओं के संगठनों ने इस महीने दक्षिणपंथी सरकार के राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा के ख़िलाफ़ लगातार कई विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया है।
चिली के लोगों ने सेबेस्टियन पिनेरा और पुलिस के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन तेज़ किया

चिली के कई सामाजिक संगठनों, छात्रों के संगठनों, ट्रेड यूनियनों और महिलाओं के संगठनों ने राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा की दक्षिणपंथी सरकार के खिलाफ मार्च भर विरोध प्रदर्शन करने आह्वान किया है।

1 और 2 मार्च को राजधानी सैंटियागो और पोर्ट सिटी वलपरासियो में सरकार विरोधी इन प्रदर्शनों की शुरुआत के मद्देनजर कई प्रदर्शन हुए। आदिवासी मापुचे कैदियों और अक्टूबर 2019 के जन विद्रोह के दौरान गिरफ्तार किए गए सभी राजनीतिक कैदियों को तुरंत रिहा करने की मांग को लेकर इन शहरों में सैकड़ों युवाओं और छात्रों ने सड़कों पर प्रदर्शन किए।

नवंबर 2020 से इन प्रदर्शनकारियों की रिहाई की मांग करते हुए कई विरोध प्रदर्शन किए गए हैं। इन प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर प्रदर्शन के लिए लगभग डेढ़ साल जेल में बिता लिया है। प्रदर्शनकारियों पर राष्ट्रीय पुलिस बल काराबिनेरोस द्वारा हिंसात्मक कार्रवाई की गई। सोमवार और मंगलवार को भी इसी तरह की कार्रवाई की गई।

काराबिनेरोस बल की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों द्वारा कई बार उनकी क्रूरता को लेकर निंदा की गई है। इस संबंध में 5 मार्च यानी आज काराबिनेरोस को समाप्त करने और सरकारी हिंसा को समाप्त करने की मांग करने के लिए राष्ट्रीय हड़ताल का आह्वान किया है। इस सरकार के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन करने वाले के मानवाधिकार का उल्लंघन काराबिनेरोस करता रहा है और निर्दोष लोगों की हत्या करता रहा है।

अगले हफ्ते 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिला संगठनों ने लैंगिक भेदभाव समाप्त करने की मांग को लेकर महिला की आम हड़ताल और देशव्यापी लामबंदी का आह्वान किया है। सभी क्षेत्रों में लिंग समानता, गैर-यौन शिक्षा और मुफ्त एवं कानूनी गर्भपात का अधिकार उनकी मांगों में शामिल है।

इसके अलावा, "फॉर हेल्थ, हाउसिंग, वर्क एंड एडुकेशन" के बैनर तले 11 मार्च को राष्ट्रीय विरोध दिवस का भी आह्वान किया गया है। विभिन्न संगठनों और यूनियनों ने नागरिकों से पिनेरा के इस्तीफे की मांग करने और उनकी नवउदारवादी सरकार द्वारा लागू की गई सख्त नियमों को वापस लेने की मांग को लेकर सामूहिक रुप से लामबंद होने का आह्वान किया है।

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