ताली-थाली से काम नहीं चलेगा, सुप्रीम कोर्ट पहुंची यूनाइटेड नर्सेस एसोसिएशन
कोरोना वायरस से पार पाना इस समय देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। लेकिन देशभर के स्वास्थ्य कर्मियों के पास जरूरी बचाव के उपकरण न होना उससे भी बड़ी गंभीर समस्या है, जिसे शायद हम देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं। यूनाइटेड नर्सेस एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। इस याचिका में में कहा गया है कि डब्ल्यूएचओ (WHO) ने पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों के अधिकारों, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के मानकीकरण के लिए एक अंतरिम मार्गदर्शन जारी किया है, लेकिन भारत सरकार उसके लिए अभी तक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल ही तैयार नहीं कर पाई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर 22 मार्च जनता कर्फ्यू के दिन सभी देशवासियों ने ‘कोरोना योद्धाओं’ यानी कोरोना की लड़ाई में फ्रंटलाइन पर काम करने वाले सभी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए ताली और थाली बजाई। इस ताली और थाली से भले ही इन लोगों का मनोबल थोड़े समय के लिए बढ़ गया हो लेकिन इनके जान जाने का खतरा कतई कम नहीं हुआ। एक के बाद एक कई डॉक्टरों और नर्सों ने सोशल मीडिया पर खस्ता स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी। वहीं बचाव के बेसिक उपकरण जैसे दस्ताने और मास्क न मिलने पर उत्तर प्रदेश के एंबुलेंस कर्मियों को हड़ताल तक पर जाना पड़ा।
लॉइव लॉ में छपी खबर के मुताबिक ‘निरंतर और तेजी से फैलती’ वैश्विक महामारी को देखते हुए यूनाइटेड नर्सेस एसोसिएशन ने, अधिवक्ता सुभाष चंद्रन और बीजू पी रमन द्वारा कोर्ट को बताया है कि नर्स और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के पास पीपीई किट जैसे बचाव के साधन नहीं हैं जिससे उन्हें संक्रमित होने का ख़तरा बना हुआ है।
साभार : लॉइव लॉ
याचिका में कहा गया है कि देश में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की कमी और संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण पर प्रशिक्षण की कमी ने फ्रंटलाइन चिकित्सा कर्मचारियों के गंभीर स्वास्थ्य जोखिम को उजागर किया है, जिसमें विभिन्न राज्यों के डॉक्टरों सहित 50 से अधिक स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता COVID-19 के पॉज़िटिव पाए गए हैं।
याचिकाकर्ता ने सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट से आग्रह किया है कि COVID-19 सुरक्षा किट, कोरोना आइसोलेशन वार्डों में काम करने वाले हर एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को उपलब्ध कराई जाए क्योंकि ये मरीजों की निकटता में काम करते हैं और इनके वायरस से संक्रमित होने का संदेह है।
याचिका में इन समस्याओं का उल्लेख है:
- COVID-19 परीक्षण किटों की पर्याप्त संख्या में अनुपलब्धता।
- उप-मानक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई किट)।
- आइसोलेशन वार्डों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव।
- वार्डों में प्रति घंटा कीटाणुशोधन नहीं किया जा रहा है।
- WHO के मानदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है।
- ओवर टाइम के रूप में मानसिक उत्पीड़न।
- छुट्टियों के कारण वेतन में कटौती।
- गर्भवती स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता जो स्तनपान कराने वाली है उन्हें काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
- समाजिक भेदभाव- किराये/पट्टे पर दी गई संपत्ति से स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों को बेदखल करने की घटनाएं।
- आवास, भोजन, परिवहन आदि का अभाव
- स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए मुफ़्त चिकित्सा सहायता का अभाव।
- निजी अस्पतालों द्वारा सरकारी दिशा-निर्देशों का लगातार उल्लंघन।
इस याचिका में सरकार से सभी स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को "प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज हेल्थ वर्कर्स फाइटिंग COVID 19 के तहत प्रदान किए गए व्यक्तिगत दुर्घटना कवर के दायरे का विस्तार करने का अनुरोध किया है, जिसमें एडहॉक पर काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मी भी शामिल करने का अनुरोध शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर इस याचिका में सरकार से ये सुनिश्चित करने को भी कहा गया है कि कोरोना वार्डों में सभी नर्सों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों को अस्पतालों/स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों के निकट उचित आवास प्रदान किया जाए, जहां वे चिकित्सा कर्तव्यों और कार्यों का निर्वहन कर रहे हैं।
इसके अलावा अस्पतालों और अन्य चिकित्सा सुविधाओं में प्रवेश करने से पहले संदिग्ध रोगियों की उचित जांच सुनिश्चित करना और संदिग्ध मामलों का शीघ्र परीक्षण सुनिश्चित करने के साथ सभी स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों को संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण (आईपीसी), व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) आदि का उचित उपयोग किया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों के बुनियादी ढांचे को अस्थायी रूप से विस्तारित किया जा सके ताकि अलग और स्वच्छता प्रदान की जा सके।
बता दें कि थाली और ताली प्रकरण के बाद लखनऊ के राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट में काम करने वालीं शशि सिंह का वीडियो सोशल मीडिया पर हज़ारों लोगों ने शेयर किया था। इस वीडियो में वो शिकायत कर रही थीं कि नर्सों को बेसिक ज़रूरी चीज़ें नहीं मिल रही हैं। "उनके पास एन95 मास्क नहीं हैं। एक प्लेन मास्क और ग्लव्स से ही मरीज़ों को देखा जा रहा है। उनका आरोप है कि पूरे उत्तर प्रदेश में यही हाल है और इस बारे में बोलने से रोका जा रहा है।"
दिल्ली के एम्स अस्पताल के कोरोना वार्ड में काम कर रहीं एक स्वास्थ्यकर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल में हम इस वक्त कई परेशानियों का सामना कर रहे हैं। उनके अनुसार कोरोना से निपटने की तैयारियां तो नाकाफ़ी हैं ही स्टाफ के लिए बेसिक चीज़े भी नहीं मुहैया करवाई जा रही है।
वो कहती हैं, "हमारी सभी छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं, हम कई-कई दिनों से घर नहीं गए हैं। महिला स्टाफ को इमरजेंसी छुट्टी तक नहीं दी जा रही। यहां अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में मास्क नहीं हैं, स्क्रीनिंग किट्स नहीं हैं। डॉक्टर-नर्स की सुरक्षा के लिए उपकरण पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। हम अपने रिस्क पर काम करने में लगे हुए हैं। इमरजेंसी वार्ड में काम करने वाले डॉक्टर्स की हालत बहुत बुरी है। कुछ की तबीयत भी खराब है, कुछ ख़ुद आइसोलेशन में हैं, क्वारेंटीन वॉर्ड में पड़े हुए हैं।”
इस संबंध में हमने एम्स के डॉयरेक्टर और वेब सूचना अधिकारी से ईमेल के जरिए सवाल पूछा है, ख़बर लिखे जाने तक हमें कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है।
गौरतलब है कि देश करोनो के चपेट में है, संक्रमित लोगों की संख्या का आंकड़ा 5000 पार कर गया है। ऐसे में विपक्ष लगातार सरकार से तैयारियों को लेकर सवाल उठा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर सवाल उठाया कि "WHO की सलाह - वेंटिलेटर, सर्जिकल मास्क का पर्याप्त स्टाक रखने के विपरीत भारत सरकार ने 19 मार्च तक इन सभी चीजों के निर्यात की अनुमति क्यों दीं?"
जाहिर है सरकार के अपने तर्क हैं। प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के लिए पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की है। लेकिन अहम सवाल है कि क्या ये कदम काफ़ी हैं? क्या इस महामारी से सबक लेकर सरकार देश की स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने को प्राथमिकता देगी?
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आइसोलेशन वार्ड में तैनात नर्स से मारपीट, दो गिरफ़्तार
बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय जिले के सदर अस्पताल के पृथक वार्ड की प्रभारी एएनएम के साथ उनके पड़ोसियों ने कथित तौर पर मारपीट की।
समाचार एजेंसी ‘भाषा’ के अनुसार नर्स के ड्यूटी से लौट कर घर आने पर नहाने के दौरान बाथरूम से पानी बहने पर कोरोना फैलने की आशंका को लेकर नर्स के साथ कथित तौर पर मारपीट की गई।
नगर थाना अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार झा ने मंगलवार को बताया कि पुलिस ने वारदात स्थल पहुंच कर आरोपित रामाशीष सिंह व छोटू कुमार को गिरफ्तार किया है।
सदर अस्पताल के पृथक वार्ड की प्रभारी एएनएम नीलूफा कुमारी के बयान पर पूर्व वार्ड पार्षद बमबम सिंह और दो महिला सहित कुल दस लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है। उन्होंने बताया कि पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
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