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दिल्ली: नूंह हिंसा के विरोध में छात्र संगठनों का प्रदर्शन, मोनू मानेसर की गिरफ़्तारी की मांग

नूंह हिंसा के विरोध में दिल्ली के हरियाणा भवन के बाहर कई छात्र संगठनों ने मिलकर विरोध-प्रदर्शन किया। प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े के नारे लगाए और जल्द से जल्द मोनू मानेसर की गिरफ़्तारी की मांग की।
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नूंह में 31 जुलाई को भड़की हिंसा और उसके बाद हुए बुलडोज़र एक्शन पर सवाल उठाते हुए गुरुवार को दिल्ली के हरियाणा भवन के बाहर कई छात्र संगठनों ने मिलकर प्रदर्शन किया। इस दौरान बैनर-पोस्टर लेकर पहुंचे छात्रों ने जमकर नारेबाजी की और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे की मांग की।

प्रदर्शन कर रहे छात्रों में से कई को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था जिन्हें शाम 6 बजे के आस-पास छोड़ दिया गया।

"मोनू मानेसर की गिरफ़्तारी हो"

इस प्रोटेस्ट की कॉल दिल्ली के 20 से ज़्यादा छात्र संगठनों की तरफ से दी गई थी जिसमें 'मेवाती स्टूडेंट्स यूनियन' नाम के एक छात्र संगठन ने भी हिस्सा लिया। इस संगठन से जुड़े करीब 15 छात्र हरियाणा भवन पहुंचे। संगठन से जुड़े एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर हमने बात की। उन्होंने बताया कि "हमने एक प्रोटेस्ट किया, जिसमें 'मेवाती स्टूडेंट्स यूनियन' समेत 22 छात्र संगठन थे। हमने मंडी हाउस से ही अपना मार्च शुरू कर दिया था जिसके बाद हम हरियाणा भवन पहुंचे, हमारी प्रमुख मांग थी कि जो मुख्य आरोपी है उसकी गिरफ़्तारी होनी चाहिए।"

वह आगे कहते है कि "जिस पर दो लोगों को ज़िंदा जलाने जैसे गंभीर आरोप है, वह फिर से मेवात में आने की धमकी दे रहा था, तो ऐसे अपराधी को कैसे मेवात में आने की इजाजत दी जा रही थी, जिसकी वजह से दंगे हुए, वो खुला घूम रहा है, और मेवाती मुसलमानों को गिरफ़्तार किया जा रहा है।"

छात्र ने बहुत ही गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि "मेवात में क़रीब 400 लोगों को उठाया गया जिन्हें मोटी रकम लेकर छोड़ा गया।" न्यूज़क्लिक ऐसे तमाम दावों की पुष्टि नहीं करता है। हमने छात्र से कहा कि वह बहुत बड़ा आरोप लगा रहे हैं तो उनका कहना था कि "ये सब जानते हैं, पूरा मेवात जानता है, जिन पर कोई आरोप नहीं मिल रहा है उन्हें पैसे लेकर छोड़ा जा रहा है।" जब हमने छात्र से इन आरोपों की पुष्टि के लिए कोई सबूत देने के लिए कहा तो उनका कहना था "जो आदमी छूट कर आ गया वो कैसे बता पाएगा, क्या उसे दोबारा फंसना है?"

मोनू मानेसर की गिरफ़्तारी के अलावा इनकी बाक़ी मांगें इस प्रकार थीं:

* बुलडोज़र कार्रवाई में जितने भी निर्दोषों के मकान-दुकान टूटे हैं उनको मुआवज़ा मिले।

* जो बाहर से आए थे, बिट्टू बजरंगी के दूसरे साथी उनकी भी गिरफ़्तारी होनी चाहिए। 

* और आगे से इस तरह की रैली ना निकाली जाए। 

प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके प्रोटेस्ट शुरू होने से पहले ही उन्हें हिरासत में लेने और बसों में भरने की कार्रवाई शुरू कर दी थी। छात्रों ने ये भी आरोप लगाया कि पुलिस उनके साथ बुरी तरह से पेश आ रही थी। 'मेवाती स्टूडेंट्स यूनियन' के इसी छात्र ने आरोप लगाया कि "हमारी कॉल थी 12 बजे की लेकिन 1 बजे से 1 बजकर 15 मिनट तक हम सबको हिरासत में ले लिया गया था, जहां से हमें मंदिर मार्ग थाने ले जाया गया।"

प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाला छात्र

एकतरफा कार्रवाई का आरोप

'मेवाती स्टूडेंट्स यूनियन' से जुड़े छात्र ने मुसलमानों को टारगेट कर बुलडोज़र कार्रवाई करने का भी आरोप लगाते हुए कहा कि "कार्रवाई सिर्फ मेवाती मुसलमान पर हुई, हिंसा गुड़गांव और बादशाहपुर में भी हुई थी लेकिन वहां कोई बुलडोज़र की कार्रवाई नहीं हुई, एकतरफा कार्रवाई हुई है।" 

मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफ़े की मांग

इस प्रदर्शन में 'क्रांतिकारी युवा संगठन' (KYS) ने भी हिस्सा लिया, इस संगठन की तरफ से जारी की गई प्रेस रिलीज़ में नूंह में 31 जुलाई को हुई हिंसा और उसके बाद बुलडोज़र एक्शन पर सवाल खड़े किए गए और कहा कि "भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार को इस हिंसा की पूरी ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए।"

"ये सरकार ग़रीब विरोधी, मुस्लिम विरोधी है"

KYS से जुड़ी मुदिता से हमने बात की, उन्होंने बताया, "हमारा प्रोटेस्ट नूंह में हिंसा के विरोध में था। हिंसा से पहले नफरती भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे जो स्टेट के संज्ञान में था, उन्हें पता था कि जब यहां से यात्रा निकलेगी तो कुछ हो सकता है उसके बावजूद स्टेट ने हिंसा होने दी। हम साफ तौर पर देख रहे हैं कि पुलिस-प्रशासन जहां प्रोटेस्ट होता है वहां सारा बल लगा देता है लेकिन जहां पता है कि हिंसा हो सकती है वहां पुलिस क्यों नहीं थी?"

मुदिता आगे कहती हैं, "वहां लोगों की दुकान तोड़ी गईं, बिना किसी नोटिस के अल्पसंख्यक समुदाय के घरों पर बुलडोज़र चला, ये सब प्रशासन और स्टेट ने किया। इतने लोग जो झुग्गियों में रह रहे थे वे घर खाली करके चले गए जो दिखाता है कि ये सरकार ग़रीब विरोधी, मुसलमान विरोधी और अल्पसंख्यक विरोधी है। नफरत का माहौल फैलाना चाहते हैं। हम देखते हैं जब भी चुनाव आने वाले होते हैं, उसके आस-पास इस तरह की गंदी नफरत की राजनीति होती है।"

लोगों के घरों पर चले बुलडोज़र एक्शन पर मुदिता कहती हैं कि "एक तरफ वादा किया गया था कि 2022-23 तक सबके पास अपना घर होगा, वो तो नहीं दे पाए और जिनका घर था उसे भी तोड़ दिया, तो उसका हर्जाना कौन भरेगा?”

KYS की तरफ से भी प्रदर्शन के दौरान कई मांगें रखी गईं:

* खट्टर अपने पद से इस्तीफा दें

* ग़लत तरीके से जिनके भी घर तोड़े गए हैं उनको मुआवज़ा मिले, उनका पुनर्वास हो

* मेवात में शांति बहाल की जाए

* दोनों ही समुदाय के प्रभावित लोगों को न्याय मिले

प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाली छात्रा

इन मांगों के साथ हरियाणा भवन के सामने प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने आरोप लगाया कि उनका प्रदर्शन शुरू ही हुआ था कि उन्हें हिरासत में ले लिया गया और क़रीब 50 छात्रों को मंदिर मार्ग थाने ले जाया गया जहां उन्हें भूखा-प्यासा रखा गया और शाम 6 बजे के क़रीब छोड़ दिया गया।

इस बीच ख़बर है कि गिरफ़्तार बिट्टू बजरंगी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। लेकिन बुलडोज़र एक्शन के पीड़ित अब सवाल उठा रहे हैं कि जिस तरह से मेवात में बेक़सूर लोगों के घरों पर बिना जांच, बिना नोटिस के बुलडोज़र चला दिए गए क्या न्यायिक हिरासत में गए बिट्टू बजरंगी और फरार मोनू मानेसर के घर पर भी बुलडोज़र एक्शन होगा? हालांकि बुलडोज़र एक्शन कोई क़ानूनी प्रक्रिया नहीं है लेकिन बीते सालों में कई राज्यों में इसका बढ़ता चलन डर का माहौल बनाने के लिए किया जा रहा है।

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