हरिद्वार धर्म संसद में मुस्लिम विरोधी हिंसात्मक बयान देने के मामले में आरोपी यति नरसिंहानंद ने फिर ज़हरीले और नफरती बयान दिए हैं। हिमाचल प्रदेश के ऊना में चल रही धर्म संसद में उसने मुसलमानों के लक्षित हत्याकांड की बात की और कहा कि हिंदुओं को ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे पैदा करने चाहिए ताकि वह अपने “परिवारों की रक्षा कर सकें।”
हिमाचल प्रदेश के ऊना ज़िले के मुबारिकपुर गाँव में अखिल भारतीय संघ परिषद ने इस धर्म संसंद का आयोजन किया है जो 3 दिन तक चलने वाली है। इसके अध्यक्ष के तौर पर नफ़रती भाषण देने वाले यति नरसिंहानंद को बुलाया गया। यति जनवरी में हरिद्वार धर्म संसद आयोजन करने के मामले में जेल गया था। एनडीटीवी में छपी ख़बर के अनुसार उसकी जमानत की शर्तों में एक शर्त यह भी थी कि वह ऐसे कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो सकता है। मागर यति ने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन इससे पहले बुराड़ी धर्म संसद में भी किया है।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नरसिंहानंद ने कहा, “वर्तमान समय में हिन्दू समाज पतन की ओर बढ़ रहा है, पहले सिर्फ अमरनाथ यात्रा और वैष्णो देवी की यात्रा पर पथराव होता था, अब राम नवमी, हनुमान जयंती किसी भी हिन्दू पर्व पर पथराव होने लगा है। इससे ज्यादा हिन्दुओं के लिए बुरा क्या होगा।”
इस महीने की शुरुआत में भी यति नरसिंहानंद ने दिल्ली के बुराड़ी में मुसलमानों के खिलाफ हथियारों के इस्तेमाल के आह्वान करते हुए नफरती भाषण दिया था। पुलिस ने यति नरसिंहानंद का नाम लेते हुए एक एफआईआर दर्ज की थी, जिन्होंने कहा था कि उन्होंने कार्यक्रम की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, लेकिन आयोजक ने फिर भी "महापंचायत सभा" का आयोजन किया और उसमें करीब 700-800 लोग शामिल हुए।
यति के अलावा इस कार्यक्रम में सभी हिन्दुत्ववादी नेता शामिल थे, जिन्होंने कई नफ़रती मुस्लिम विरोधी भाषण दिए। इनमें आत्मानंद, रामनन्द, अन्नपूर्णा भारती, साध्वी ऋतंभरा, रागिनी तिवारी जैसे हिन्दुत्ववादी नेता शामिल रहे जिन्होंने मुसलमानों की लक्षित हत्या से लेकर हिंदुओं को हथियार उठाने के लिए कहा। और यह सारे भाषण पुलिस की मौजूदगी में दिए गए।
बता दें कि सुप्रीम में ऊना की इस धर्म संसद को लेकर सुनवाई जारी है। एक याचिका दायर की गई थी जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था। मगर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस कार्यक्रम को रोकने का आदेश नहीं दे सकता। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से स्थानीय प्रशासन को इसके बारे में अपना पक्ष रखने को कहा था। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने इस बाबत जिला प्रशासन को सूचित किया। याचिकाकर्ता की ओर से जिला उपायुक्त ऊना को इस बाबत मेल की गई। प्रशासन ने सूचना आगे बढ़ी तो पुलिस इस मामले में चौकन्ना हुई और आनन-फानन में आयोजन स्थल की सुरक्षा बढ़ा दी गई।
अंब पुलिस ने आयोजनकर्ता को धर्म संसद में भड़काऊ भाषण न होने को लेकर नोटिस थमाया। शाम को अचानक सक्रिय हुई पुलिस दल ने मुबारिकपुर में आयोजन स्थल का दौरा भी किया। हालांकि, दिनभर पुलिस बल की तैनाती नहीं रहीं। सुप्रीम कोर्ट इस मांले की सुनवाई 22 अप्रैल को करेगा, धर्म संसद 19 अप्रैल तक रहेगी।”
वहीं इस धर्म संसद के आयोजक सत्यादेव सरस्वती ने एनडीटीवी से बात करते हुए यह तक कह दिया, "यहां प्रशासन से अनुमति लेने की कोई जरूरत नहीं है, हम अपना निजी कार्यक्रम कर रहे हैं, हमने प्रशासन को निमंत्रण दे दिया है।” सत्यदेव ने आगे कहा, “हम कानून में विश्वास नहीं करते... हम किसी से नहीं डरते... यहां हम सच कह रहे हैं, कोई नफरती बयान नहीं दे रहे।”
जब यति के नफ़रती बयान पर मीडिया में रिपोर्ट आई तब शायद हिमाचल प्रदेश पुलिस जागी और ख़ानापूर्ति के लिए आयोजक को एक ‘नोटिस’ दिया। नोटिस में पुलिस ने आयोजनकर्ता को धर्म संसद में कोई भी धार्मिक भावनाएं भड़काने वाली भाषा का इस्तेमाल न करने की हिदायत दी है। जाति व समुदाय विशेष के खिलाफ भी कोई भाषण या नारेबाजी न करने को कहा गया है। नोटिस से चेताया है कि निर्देशों का पालन न करने पर कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस आयोजन पर रोक लगाने से इनकार कर याचिकाकर्ता को संबंधित जिला अधिकारियों से मिलकर पक्ष रखने की अनुमति दी है।
देश भर में मुसलमानों के खिलाफ़ हिंसा अपने रूप भी बदल रही है और व्यापक भी हो रही है। पुलिस, प्रशासन और सरकारी तंत्र हनुमान जयंती पर गाली भरे गाने चलाने वालों, धर्म संसद में हत्या का आह्वान करने वालों को जैसे पूरी छूट दे रही है। देखना होगा कि धर्म संसद के दूसरे और तीसरे दिन कौन सा नया नफ़रती बयान सामने आएगा।