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रोहित वेमुला के आख़िरी ख़त के जवाब को तलाशने की कोशिश अब भी जारी है

दलित स्कॉलर रोहित वेमुला की पुण्यतिथि पर जेएनयू से लेकर डीयू तक आज दिल्ली में कई कार्यक्रम।
Rohith vemula

''मैं पहली बार इस तरह का पत्र लिख रहा हूं। पहली बार मैं आख़िरी पत्र लिख रहा हूं। मुझे माफ़ करना अगर इसका कोई मतलब न निकले तो।

हो सकता है कि मैं ग़लत हूं अब तक दुनिया को समझने में। प्रेम, दर्द, जीवन और मृत्यु को समझने में। ऐसी कोई हड़बड़ी भी नहीं थी। लेकिन मैं हमेशा जल्दी में था। बेचैन था एक जीवन शुरू करने के लिए।

इस पूरे समय में मेरे जैसे लोगों के लिए जीवन अभिशाप ही रहा। मेरा जन्म एक भयंकर हादसा था। मैं अपने बचपन के अकेलेपन से कभी उबर नहीं पाया। बचपन में मुझे किसी का प्यार नहीं मिला।

इस पल मैं आहत नहीं हूं। मैं दुखी नहीं हूं। मैं बस ख़ाली हूं। मुझे अपनी भी चिंता नहीं है। ये दयनीय है और यही कारण है कि मैं ऐसा कर रहा हूं'' ।


रोहित के आख़िरी ख़त में ये भी गुज़ारिश की गई-

''आप जो मेरा पत्र पढ़ रहे हैं, अगर कुछ कर सकते हैं तो मुझे अपनी सात महीने की फ़ेलोशिप मिलनी बाक़ी है। एक लाख 75 हज़ार रुपए। कृपया ये सुनिश्चित कर दें कि ये पैसा मेरे परिवार को मिल जाए। मुझे रामजी को 40 हज़ार रुपए देने थे। उन्होंने कभी पैसे वापस नहीं मांगे। लेकिन प्लीज़ फ़ेलोशिप के पैसे से रामजी को पैसे दे दें''।

17 जनवरी 2016 को हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले एक दलित क़ाबिल पी.एचडी के छात्र रोहित वेमुला का ये आख़िरी ख़त था जिसे वो पहली बार लिख रहे थे। जैसा की उन्होंने अपने ख़त में बयां किया। इस ख़त को लिखने के बाद रोहित ने इस दुनिया को छोड़ दिया, पर क्या वो इस दुनिया से वाक़ई जाना चाहता थे? या फिर उनके लिए कोई रास्ता नहीं बचा था? साल दर साल ये सवाल यूं ही उठता रहेगा, लेकिन जाने कब इस सवाल का सटीक जवाब मिल पाएगा?

रोहित की मौत का असली जिम्मेदार कौन था, क्या कभी ये स्वीकारा जाएगा ? या फिर जब तक ये पता चलेगा तब तक बहुत से रोहित दुनिया को छोड़ चुके होंगे?

रोहित को गए सात साल हो गए, एक लंबा वक़्त गुज़र गया। आज रोहित की याद में दिल्ली में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय( JNU ) में JNUSU की तरफ से एक पब्लिक मीटिंग बुलाई गई है। जिसका नाम है

''Discrimination in Higher Educational Institutions and the need for institutional Mechanisms'' इस पब्लिक मीटिंग में DU प्रोफेसर लक्ष्मण यादव और JNU के प्रोफेसर प्रदीप शिंदे बोलेंगे।

इसके अलावा JNU में ही रात नौ बजे एक मार्च भी बुलाया गया है। इस मार्च को Birsa Ambedkar Phule Students' Association ( BAPSA ) की तरफ से बुलाया गया है। ये मार्च JNU के गंगा ढाबा से चंद्रभागा होस्टल तक जाएगा।

JNU के अलावा दिल्ली यूनिवर्सिटी में भी BASF ( Bhim Army Student Federation) की तरफ़ से शाम पांच बजे आर्ट फैकल्टी में रोहित वेमुला की याद में एक कार्यक्रम रखा गया गया है।

देश की कई यूनिवर्सिटी में रोहित को याद किया जा रहा है। एक प्रतिभाशाली छात्र की मौत पर ये चर्चा की जा रही है पर क्या अब हालात बदल गए हैं ? आख़िर उस मौत के बाद देशभर के विश्वविद्यालयों मे क्या बदला है?

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