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मोरक्को को हराकर फ्रांस विश्व कप फाइनल में, हार के बावजूद मोरक्को ने जीता दिल

‘कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों '। इसे चरितार्थ करने वाली मोरक्को की टीम ने विश्व कप सेमीफाइनल हारने से बावजूद न सिर्फ फुटबॉल के दिग्गजों के बीच अपनी मौजूदगी पूरी शिद्दत से दर्ज कराई बल्कि दुनिया भर में खेलप्रेमियों के दिल भी जीत लिये।
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अल खोर : मोरक्को के ऐतिहासिक अश्वमेधी अभियान में नकेल कसते हुए फ्रांस और काइलियान एमबाप्पे एक बार फिर विश्व कप फाइनल में पहुंच गए जहां उनका सामना लियोनेल मेस्सी की अर्जेंटीना से होगा ।

पिछले चैम्पियन फ्रांस ने पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचने वाली अफ्रीकी टीम मोरक्को को 2 . 0 से हराया । एमबाप्पे ने पांचवें मिनट में थियो हर्नांडिज और 79वें मिनट में सब्स्टीट्यूट रेंडल कोलो मुआनी के गोल में सूत्रधार की भूमिका निभाई ।

फ्रांस का सामना रविवार को अर्जेंटीना से होगा और उसकी नजरें 1962 में ब्राजील के बाद खिताब बचाने वाली पहली टीम बनने पर लगी होंगी । एमबाप्पे के पास 35 वर्ष के मेस्सी की टीम के खिलाफ चमत्कारिक प्रदर्शन करके फुटबॉल के महानतम खिलाड़ियों में अपना नाम दर्ज कराने का मौका होगा ।

मध्यपूर्व में पहली बार हो रहे विश्व कप फाइनल में अरब की कोई टीम नहीं बची है । अफ्रीका की टीम मोरक्को ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करके यूरोपीय महाशक्तियों स्पेन और पुर्तगाल को नॉकआउट चरण में हराया । इससे पहले क्रोएशिया और बेल्जियम जैसी टीमों के ग्रुप में शीर्ष रही थी । अपने प्रदर्शन से उसने दुनिया भर में करोड़ों फुटबॉलप्रेमियों के दिल जीते ।

‘कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों '। इसे चरितार्थ करने वाली मोरक्को की टीम ने विश्व कप सेमीफाइनल हारने से बावजूद न सिर्फ फुटबॉल के दिग्गजों के बीच अपनी मौजूदगी पूरी शिद्दत से दर्ज कराई बल्कि दुनिया भर में खेलप्रेमियों के दिल भी जीत लिये।

उसके अंतिम चार में पहुंचने की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी लेकिन अपने ऐतिहासिक अभियान में कदम दर कदम दिग्गजों को जमींदोज करने वाली मोरक्को टीम ने देश के फुटबॉल इतिहास में स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया। क्रोएशिया, बेल्जियम, स्पेन और क्रिस्टियानो रोनाल्डो की पुर्तगाल के सफर पर विराम लगाकर मोरक्को यहां तक पहुंचा था।

विश्व कप के इतिहास की सबसे यादगार गाथाओं में गिना जायेगा मोरक्को का यह सफर। सेमीफाइनल से पहले इस टीम ने किसी विरोधी खिलाड़ी को गोल नहीं करने दिय । सेमीफाइनल से पहले दो खिलाड़ियों के चोटिल होने का खामियाजा भी उसे भुगतना पड़ा। डिफेंडर नायेफ एगुएर्ड अभ्यास के दौरान चोटिल हो गए जबकि कप्तान रोमेस सेस 21 मिनट बाद ही हैमस्ट्रिंग चोट के कारण बाहर हो गए।

स्टेडियम के भीतर उसके समर्थकों की तादाद देखकर लग रहा था मानों लाल सैलाब उमड़ आया हो। विश्व कप सेमीफाइनल तक पहुंचने वाली पहली अफ्रीकी टीम के समर्थन में उसके प्रशंसकों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। मोरक्को का राष्ट्रगीत जब स्टेडियम में बजा तो शोर से पूरा आसमान गुंजायमान हो गया।

मोरक्को के खिलाड़ियों ने भी जुझारूपन की पूरी बानगी पेश की । फ्रांस जैसी दिग्गज टीम को उसने आसानी से अपने गोल में सेंध नहीं मारने दी। लेकिन आखिर में काइलियान एमबाप्पे की फ्रांसीसी टीम का अनुभव मोरक्को के जोश पर भारी पड़ा।

मोरक्को के कोच वालिद रेग्रागुइ ने कहा ,‘‘ मेरे खिलाड़ियों ने सब कुछ दे दिया। वे यहां तक पहुंच गए। वे इतिहास रचना चाहते थे लेकिन चमत्कारों से विश्व कप नहीं जीता जाता। मेहनत के बल पर यह संभव है और हम आगे भी कड़ी मेहनत करते रहेंगे।’’

उन्होंने यह भी कहा ,‘‘मैं चाहूंगा कि फ्रांस फाइनल जीते ताकि हम कह सकेंगे कि हम विश्व चैम्पियन से हारे।’’

(समाचार एजेंसी एपी इनपुट के साथ)

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