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हरियाणा : मंत्री संदीप सिंह के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल, लेकिन इस्तीफ़ा कब?

विधानसभा में हंगामे और महिला संगठनों के विरोध के बावजूद खट्टर सरकार संदीप सिंह पर मेहरबान नज़र आ रही है।
sandeep singh
फ़ोटो : PTI

क्या आप सोच सकते हैं कि किसी विधानसभा में यौन उत्पीड़न आरोपी मंत्री के पक्ष में जिंदाबाद के नारे लगेंगे। उस प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद सीना चौड़ा करके भरी सभा में कहेंगे कि उन्होंने अच्छी तरह सोच लिया है कि आरोपी मंत्री का इस्तीफा नहीं लिया जाएगा। ये पूरा मामला कहीं दूर-दराज का नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा का है। जहां मनोहर लाल खट्टर की बीजेपी-जेजेपी सरकार सत्ता में है और बेटियों के सम्मान और कल्याण के नाम पर कई योजनाएं चलाने का दावा करती है।

ज्ञात हो कि भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह के ख़िलाफ़ एक महिला एथलीट और जूनियर कोच की ओर से बीते साल दिसंबर आखिर में यौन प्रताड़ना के आरोप में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। अब करीब आठ महीने बाद इस मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने चालान पेश किया है। जिसके बाद सोमवार, 28 अगस्त को अदालत ने संदीप सिंह को 16 सितम्बर के लिए नोटिस जारी कर कोर्ट में पेश होने के आदेश जारी किए हैं।

हालांकि मीडिया खबरों की मानें, तो चंडीगढ़ पुलिस द्वारा फाइल चार्जशीट की धाराओं से पीड़ित महिला कोच और उनके पिता संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि इस चालान में दुष्कर्म के प्रयास को लेकर आईपीसी की धारा 376 और 511 नहीं जोड़ी है। इसमें सिर्फ छेड़छाड़ और आईपीसी की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना), 354 ए, 354 बी, 342 (गलत तरीके से कैद करना), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (शब्द, इशारा या अपमान करने का इरादा) का जिक्र है। जूनियर महिला कोच के मुताबिक पुलिस ने चार्जशीट में आरोपों को हल्का कर दिया है, जिसे वो आगे अदालत में चुनौती देंगी।

चार्जशीट में रेप अटेम्प्ट की धारा शामिल नहीं

खबरों के मुताबिक चंड़ीगढ़ पुलिस ने जो 700 पन्नों की चार्जशीट फाइल की है, उसमें कुल 45 गवाह हैं, जिसमें हरियाणा खेल विभाग के अधिकारी, मंत्री के स्टाफ सदस्य, फोरेंसिक विशेषज्ञ और जांच टीम के अधिकारी शामिल हैं। सूची में उन अधिकारियों के नाम भी शामिल किए गए हैं, जिन्हें शिकायतकर्ता ने घटना के बारे में बताया था। इसके साथ ही 18 अहम दस्तावेज भी शामिल किए गए हैं।

पुलिस ने चार्जशीट में पीड़िता के साथ मोबाइल पर बातचीत की ट्रांसक्रिप्ट लगाई है। पीड़िता के अदालत में सीआरपीसी 164 के तहत दर्ज बयानों को प्रमुखता से चार्जशीट का हिस्सा बनाया गया है। इसके अलावा पीड़िता और आरोपी संदीप सिंह के मोबाइल फोन से प्राप्त डाटा और सोशल मीडिया पर हुई चैट की ट्रांसक्रिप्ट भी चार्जशीट में है।

बता दें कि इस मामले में संदीप सिंह की मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी और गिरफ्तारी समेत हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग को लेकर अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) समेत कई अन्य नागरिक और महिला संगठनों ने एकजुट होकर जूनियर महिला कोच के लिए न्याय को सुनिश्चित करने हेतु न्यायिक संघर्ष समिति बनाई थी, जिसके बैनर तले प्रदेशभर में तमाम रोष प्रदर्शनों का आयोजन किया गया। इस संबंध में हज़ारों लोगों के हस्ताक्षर का एक ज्ञापन 27 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दिल्ली में सौंपा गया था।

बीजेपी सरकार का मनुवादी चरित्र खुलकर हुआ उजागर : एडवा

एडवा ने चालान दाखिल होने को एक सकारात्मक कदम बताते हुए एक बयान जारी कर कहा कि देरी से ही सही परंतु ये चार्जशीट दाखिल होना जूनियर कोच और उनके परिवार के अडिग व अथक संघर्षों का परिणाम है। वहीं इस पूरे मामले में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी खिलाओ का नारा देने वाली बीजेपी सरकार का मनुवादी चरित्र खुलकर उजागर हो गया है।

जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं भीम अवार्डी जगमति सांगवान, राज्य अध्यक्ष सविता, महासचिव उषा सरोहा व कोषाध्यक्ष राजकुमारी दहिया ने संयुक्त बयान जारी कर मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल होने को राहत की बात बताते हुए कहा कि ऐसे गंभीर अपराधों में चार्जशीट दाखिल करने में इतनी देरी अपने आप में किसी अपराध से कम नहीं है। जेएस वर्मा कमीशन की सिफारिश के अनुसार यौन हिंसा के अपराधों में चार्जशीट जल्द से जल्द दाखिल होनी चाहिए।

बयान में बीते दिनों पीड़िता को नौकरी से सस्पेंड करने पर सवाल उठाते हुए आरोपी संदीप सिंह को मिले सरकारी संरक्षण की भी निंदा की गई है। इसके अलावा चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी अभी तक संदीप सिंह को मंत्रिमंडल और हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से नहीं हटाए जाने को लेकर तीखी आलोचना की गई है। साथ ही चंडीगढ़ पुलिस द्वारा मामले में दुष्कर्म के प्रयास को लेकर आईपीसी की धारा 376 और 511 को नहीं जोड़ने पर चिंता भी व्यक्त की गई है।

विपक्ष ने मांगा इस्तीफ़ा, सरकार का इनकार

गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा के मॉनसून सत्र में भी ये मामला सुर्खियों में रहा। सोमवार को विपक्ष ने जहां सदन में मंत्री के इस्तीफे की मांग की। वहीं सत्ता पक्ष की ओर से 'संदीप सिंह जिंदाबाद' के नारे लगाए गए। खुद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुलकर राज्यमंत्री संदीप सिंह के समर्थन में आएं और उन्होंने कहा कि वह संदीप सिंह का इस्तीफा नहीं लेंगे। इस दौरान सदन में हंगामा और विपक्ष का वॉकआउट भी देखने को मिला। जबकि सरकार अपने रवैए पर अडिग नज़र आई।

ध्यान रहे कि इस मामले में पीड़िता को महिला संगठनों के अलावा स्थानीय लोगों और खाप पंचायतों का भी साथ मिला है। अभी तक इस मामले में कई बड़े प्रदर्शन देखे गए हैं, साथ ही खाप पंचायतों ने कैथल समेत हरियाणा के अन्य जिलों में मंत्री संदीप सिंह की एंट्री बैन कर रखी है। प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर सरकार और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ को भी इस पूरे विवाद में विरोध का सामना करना पड़ा है। हालांकि अभी लंबा संघर्ष बाकी है। संदीप सिंह ने आरोपों के बाद खेल मंत्री का पद तो छोड़ दिया था लेकिन अभी भी वो मंत्रिमंडल में बने हुए हैं, उनके पास प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी मंत्रालय है। संदीप सिंह इस वक्त हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर भी बने हुए हैं, जिसे लेकर बीते दिनों भारी विरोध देखने को मिला था।

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