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आपात स्थिति में इंटरनेट बंद करने का विकल्प तलाशने की ज़रूरत

हर्षित प्रियदर्शी (22 वर्ष) नाम के बीटेक के एक छात्र ने बिहार में इंटरनेट सेवा बंद होने के चलते परीक्षा न दे पाने की स्थिति में आत्महत्या कर ली। आज ही के हिंदुस्तान अखबार में ये खबर प्रकाशित हुई जिसने परेशान कर दिया।
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सूचना क्रांति के आधुनिक समय में आखिर कैसे कोई इंटरनेट के बिना रह सकता है। शहर ही नहीं बल्कि गांव के लोग, जिनमें युवा, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, वे भी आज इंटरनेट के माध्यम से दुनिया के दूर दराज क्षेत्रों से इस तरह जुड़ चुके हैं। वे एक पल भी इसके बिना नहीं रह सकते। कामकाज का मामला हो या पढ़ाई लिखाई का या फिर आस-पास या विश्व भर में घट रही घटनाओं के बारे में जानकारी से पल-पल अवगत रहने की बात हो, सभी के लिए इंटरनेट आज बेहद अहम तकनीक बन गई है।

इंटरनेट ने पूरी दुनिया की जानकारी को समेट कर कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल के जरिए एक स्थान पर ला दिया है। मतलब यह कि दुनिया के किसी एक स्थान पर बैठा शख्स इंटरनेट के माध्यम से हर तरह की जानकारी हासिल कर सकता है। इतना ही नहीं इसने दफ्तर के काम को भी आसान बना दिया है। खासकर कोरोना लॉकडाउन के बाद बंद हुए कार्यालयों के चलते प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारी अपने घरों से ही काम कर रहे हैं। ऐसे में इंटरनेट बेहद अहम हो जाता है। लेकिन अग्निपथ योजना को लेकर हुए हंगामे के बाद बिहार के कई जिलों में आम लोगों के लिए शुक्रवार यानी 17 जून की रात करीब ग्यारह बजे से इंटरनेट सेवा बंद हो गई जिससे न सिर्फ प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों बल्कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के साथ-साथ ऑनलाइन पढ़ाई करने बच्चों समेत आम लोगों को भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

तीन दिनों (शनिवार, रविवार और सोमवार) तक इंटरनेट के बंद होने के कारण एक पत्रकार होने की हैसियत से मैं भी अपनी जिम्मेदारी को पूरा नहीं कर पाया क्योंकि मैं पिछले एक महीने से बिहार के समस्तीपुर जिले में रह रहा हूं।

अपनी बात करने से पहले एक बेहद दुखद घटना की चर्चा करते हैं। हर्षित प्रियदर्शी (22 वर्ष) नाम के बीटेक के एक छात्र ने बिहार में इंटरनेट सेवा बंद होने के चलते परीक्षा न दे पाने की स्थिति में आत्महत्या कर ली। आज ही के हिंदुस्तान अखबार में ये खबर प्रकाशित हुई जिसने परेशान कर दिया। ये घटना बिहार के कैमूर जिले की है। मूल रूप से दरभंगा निवासी यह छात्र चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में छठे सेमेस्टर का परीक्षार्थी था। पिता के अनुसार उसकी ऑनलाइन परीक्षा चल रही थी और इंटरनेट बंद होने से वह तनाव में आ गया। इसी तनाव के चलते उसने खुदकुशी कर ली।

इस दुखद घटना के बाद इंटरनेट बंद होने के अपने अनुभव को लेकर बात करने का मन नहीं कर रहा लेकिन फिर भी थोड़ा-बहुत साझा करते हैं। सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना को लेकर बिहार में हुए बवाल के बाद गत शुक्रवार रात को करीब नौ बजे इंटरनेट सेवा तीन दिनों तक बंद होने की सूचना मिली। चिंता बढ़ी की ऑफिस को अपनी रिपोर्ट कैसे भेजी जाएगी। देर किए बिना मैंने अपने हिंदी विभाग के संपादक श्री मुकुल सरल सर को इसकी जानकारी मैसेज और फोन के जरिए दे दी। दो दिनों यानि शनिवार और रविवार को मैं पूरी तरह काम नहीं कर पाया। मंगलवार की सुबह जब इंटरनेट सेवा बहाल की गई तब जाकर ऑफिस के काम की शुरूआत हुई।

बहरहाल, शनिवार को घर में ही यह देखा कि जो लोग अक्सर स्मार्ट फोन लेकर सोशल मीडिया सर्फिंग करते नजर आ जाते थें उनके हाथों में फोन नहीं था। जब घर से बाहर निकला तो पाया कि वे युवा जो घरों में दुबके रहते थें और फोन में रमे रहते थें वे बोझिल मन से इधर उधर घूम रहे थें। बात करने पर एक युवक का कहना था, आंख रहते अंधा बन गया हूं। न व्हाट्सएप पर मैसेज भेज पा रहा हूं, न कोई मैसेज आ रहा है और न ही फेसबुक वगैरह देख पा रहा हूं। उसका कहना है कि अखबार पढ़ने की आदत है नहीं। जो भी जानकारी मिल पाती थी वह व्हाट्सएप और फेसबुक और वीडियो वगैरह के जरिए मिल जाती थी या किसी न्यूज वेबसाइट से मिलती थी लेकिन इंटरनेट के बंद होने से सबकुछ चौपट हो गया है। युवक ने कहा कि जबसे स्मार्ट फोन का इस्तेमाल शुरू किया है तब से जिंदगी की यह पहली घटना है जब इंटरनेट बंद हुआ है।

इंटरनेट के बंद होने से सभी लोग परेशान नजर आए। सोमवार को दोपहर के समय जब मैं पास के बाजार गया तो गांव के ही एक व्यक्ति से मेरी मुलाकात हुई। उस बाजार में उनकी एक कॉस्मेटिक की दुकान है। उन्होंने एक दूरसंचार कंपनी का नाम बताते हुए कहा कि उसका नेट चल रहा है अगर आपके पास उसका सिम हो तो वह काम करेगा। मैंने कहा कि उक्त कंपनी का सिम तो नहीं है। इस पर उन्होंने कहा कि मैं आपके लिए एक सिम का इंतेजाम कर देता हूं। मैंने ठीक में जवाब देते हुए कुछ देर उनके साथ रहने के बाद वहां से रवाना हो गया।

आज सुबह फ्लिपकार्ट का एक डिलीवरी ब्वॉय मेरे गांव में सामान डिलीवरी करने आया। इंटरनेट बंद होने के चलते उससे उसके काम को लेकर बीते तीन दिनों की कुछ जानकारी लेनी चाही। मैंने उससे पूछा कि आपका काम कैसा रहा तो उसने कहा कि, कहां कोई काम हुआ है। फिर मैंने पूछा कि आपको तो नुकसान हुआ होगा तो उसने जवाब दिया कि, तो क्या करें। आगे उससे मैंने और बात करने की कोशिश की लेकिन उसने मना करते हुए कहा, हब इंचार्ज से पूछने के बाद ही आपसे बात कर सकते हैं।

इस तरह देखा जाए तो मौजूदा समय और आने वाले समय में इंटरनेट बेहद अहम तकनीक है। इसके बिना कोई भी व्यक्ति रह ही नहीं सकता है। चाहे कामकाज का मामला हो या दिन प्रतिदिन की घटनाओं से अवगत रहने का या पढ़ाई-लिखाई हर किसी के लिए इंटरनेट जरूरी हो गया है। अखबार, टीवी और रेडियो की दुनिया भी इंटरनेट के जरिए मोबाइल-लैपटॉप में सिमट आई है। इसलिए अब समय आ गया है कि इंटरनेट बंद करने के विकल्प को तलाश किया जाए।

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