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कर्नाटकः निगम कर्मियों की मांग के आगे झुकी भाजपा सरकार, हड़ताल समाप्त
कर्नाटक सरकार 3 महीने के भीतर प्रत्यक्ष भुगतान प्रणाली के तहत सभी पोराकार्मिकों की नौकरियों को स्थायी करने के लिए सहमत हो गई है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
05 Jul 2022
protest
Image courtesy : The News Minute

स्थायी नौकरी समेत अन्य मांगों को लेकर 1 जुलाई से हड़ताल कर रहे निगम कर्मियों या पोराकार्मिकों के सामने कर्नाटक की भाजपा सरकार आखिरकार झुक गई है। इन कर्मियों ने बेंगलुरू के फ्रीडम पार्क में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की थी। इस हड़ताल के चलते शहरों की सड़कों पर कचरे का जमाव हो गया था। खासकर बेंगलुरू शहर जहां करीब 12 मिलियन लोग रहते हैं वहां के लिए ये निगम कर्मी बेहद अहम हैं। ये निगमकर्मी हर एक निगम की रीढ़ हैं जो शहर की सफाई कर कचरे को शहर से दूर ले जाते हैं।

बीबीएमपी पोराकर्मिका एसोसिएएशन की अध्यक्ष निर्मला ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि सरकार ने कुछ मांगों को मान लिया है जिसके बाद निगम कर्मियों द्वारा ये हड़ताल सोमवार को समाप्त कर दी गई है।

बीबीएमपी पोराकर्मिकारा संघ तथा कर्नाटक प्रगतिपारा पोराकर्मिकारा संघ ने संयुक्त रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि "कर्नाटक सरकार 3 महीने के भीतर प्रत्यक्ष भुगतान प्रणाली के तहत सभी पोराकर्मिकों की नौकरियों को स्थायी करने के लिए सहमत हो गई है। साथ ही वह प्रत्यक्ष भुगतान प्रणाली के तहत सभी श्रमिकों के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन लागू करने पर भी सहमत है। इसके अलावा अन्य जिलों में ऑटो चालकों/सहायकों/लोडरों को प्रत्यक्ष भुगतान प्रणाली के तहत लाया जाएगा। आईपीडी सलप्पा रिपोर्ट को भी लागू किया जाएगा और पोराकर्मिकों के लिए आवास, शिक्षा, मातृत्व स्वास्थ्य के सभी लाभ भी दिए जाएंगे।"

इसमें कहा गया कि कर्नाटक सरकार ने एक समिति गठित करने के बाद उनकी नौकरी को स्थायी करने पर सहमति व्यक्त की है जिसमें पोराकर्मिक यूनियनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। ये नियुक्ति नियमों के साथ होगा। ये समिति श्रमिकों के लिए 'समान काम के लिए समान वेतन' के कार्यान्वयन पर भी विचार करेगी। इस क्रम में विधानसभा आगामी विधानसभा सत्र में एक विशेष कानून का प्रस्ताव रखेगी।

साथ कर्नाटक के अन्य सभी जिलों में चरणबद्ध तरीके से ऑटो चालकों, हेल्परों और लोडरों को प्रत्यक्ष भुगतान प्रणाली के तहत लाया जाएगा, जबकि बीबीएमपी में वे शोषक अनुबंध प्रणाली के तहत ही रहेंगे। यूनियन ने कहा कि हमारा यूनियन अवैध और शोषणकारी अनुबंध प्रणाली के खिलाफ लड़ना जारी रखेगा और सभी के लिए अधिकार और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना जारी रखेगा।

सरकार ने जनसंख्या और श्रमिकों के अनुपात के संदर्भ में आईपीडी सलप्पा रिपोर्ट को लागू करने के लिए भी सहमति दे दी है। इसमें पोराकर्मिकों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति, आवास योजना लागू करने, मातृत्व लाभ, अन्य सेवा लाभों की व्यवस्था है।

निगम कर्मियों के संगठन ने कहा कि कर्नाटक के 31 जिलों के पोराकर्मिकों ने पिछले चार दिनों में अपनी मांगों के लिए अथक संघर्ष किया जबकि हजारों कार्मिक बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में इकटठा हुए। जिन पोराकर्मिकों ने गरिमाहीन परिस्थितियों में काम किया और उन्हें कोई आदर नहीं मिलता वे अपने अधिकारों के लिए लड़े और विजयी हुए।

एक पोरकर्मिका ने हड़ताल के दौरान नाम बताने की शर्त पर मीडिया से बात करते हुए कहा था कि, “हम पिछले 20 वर्षों से यह काम कर रहे हैं लेकिन अभी भी स्थायी नहीं किया जा रहा है। वे जो वेतन देते हैं वह घर के किराए के लिए, हमारे बच्चों की स्कूल फीस का भुगतान करने या जिंदगी गुजारने के लिए पर्याप्त नहीं है। हम अपनी हड़ताल तब तक जारी रखेंगे जब तक कि हमारी नौकरी स्थायी नहीं हो जाती।”

ज्ञात हो कि बेंगलुरु से हर दिन लगभग 5,000 टन कचरा निकलता है और इसका केवल एक छोटा सा हिस्सा ही रीसाइक्लिंग में जाता है। बड़े क्षेत्रों में कचरा संग्रह एक छोटे ऑटो से किया जाता है जो इसे बड़े ट्रकों में स्थानांतरित करता है जो फिर छटाई करने वाली जगह जाता है या कभी-कभी लैंडफिल की तरफ फेंक दिया जाता है।

ध्यान रहे कि साल 2012 में बेंगलुरु में कई दिनों तक कचरा इकट्ठा नहीं किया गया था जिसकी चर्चा वैश्विक स्तर पर हुई थी। इससे वैश्विक आईटी हब के रूप में शहर की प्रतिष्ठा धूमिल हुई थी।

बता दें कि निगम कर्मियों की मांग को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने दो सप्ताह पहले इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक बैठक की थी।

बोम्मई ने कहा था कि, “राज्य सरकार राज्य में विभिन्न शहरी निकायों में सीधे भुगतान पर काम कर रहे पौरकर्मिकों की सेवाओं को नियमित करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गई है। कानूनी प्रावधानों के अनुसार इसे लागू करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों, कानून विभाग के अधिकारियों और पौरकर्मिकों के प्रतिनिधियों की एक समिति गठित की जाएगी।" उन्होंने कहा था कि ये कमेटी तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी।

बोम्मई के आश्वासन से नाखुश प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों ने कहा था कि मुख्यमंत्री से लिखित आश्वासन मिलने के बाद ही वे अपनी हड़ताल वापस लेंगे।

ध्यान रहे कि 18000 कर्मियों में केवल एक हजार की ही स्थायी नौकरी है। 15 हजार सीधे भुगतान प्रणाली के तहत काम कर रहे हैं वहीं 2 हजार कर्मी शहरी निकाय द्वारा कॉन्ट्रैक्ट आधार पर काम कर रहे हैं। जो 15 हजार कर्मी सीधी भुगतान प्रणाली पर काम कर रहे हैं उनका काम सड़कों की सफाई करना है। जबकि कॉन्टैक्ट आधार पर काम कर रहे कर्मियों का काम घरों से गिला और सूखा कचरा इकट्ठा करने की जिम्मेदारी है। अस्थायी कर्मियों को 14000 रुपये वेतन के रूप में मिलता है जिसमें पीएफ और ईएसआई फंड की कटौती के बाद वे नकद के तौर पर सिर्फ 11000 रुपये ही हासिल कर पाते हैं।

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