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कर्नाटक चुनाव: शाम 5 बजे तक क़रीब 65 फ़ीसदी मतदान

कर्नाटक में आज विधानसभा की 224 सीटों के लिए वोट डाले जा रहे हैं। शाम 5 बजे तक क़रीब 65फ़ीसदी मतदान हुआ। 3 बजे तक करीब 52 फ़ीसदी मतदान हुआ वहीं दोपहर 1 बजे तक क़रीब 37फ़ीसदी मतदान दर्ज किया गया। सुबह मतदान की धीमी शुरुआत हुई। सुबह 11 बजे तक कुल 20.99% मतदान दर्ज किया गया है। जबकि सुबह 9 बजे तक केवल 8.26 प्रतिशत वोट पड़े थे।
Karnataka
साभार : ट्वीटर

दक्षिण भारत के सबसे बड़े राज्य कर्नाटक में आज मतदान का दिन है। इन चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। तो जेडीएस भी पूरे दम-खम से मैदान में है।

कर्नाटक में आज विधानसभा की 224 सीटों के लिए वोट डाले जा रहे हैं। शाम 5 बजे तक क़रीब 65फ़ीसदी मतदान हुआ। 3 बजे तक करीब 52 फ़ीसदी मतदान हुआ वहीं दोपहर 1 बजे तक क़रीब 37फ़ीसदी मतदान दर्ज किया गया। सुबह मतदान की धीमी शुरुआत हुई। सुबह 11 बजे तक कुल 20.99% मतदान दर्ज किया गया है। जबकि सुबह 9 बजे तक केवल 8.26 प्रतिशत वोट पड़े थे। 

कर्नाटक में कुल 224 विधानसभा सीट हैं जिनपर कुल 2615 प्रत्याशी हैं। इनमें 2430 पुरुष और महज़ 184 महिला उम्मीदवार हैं।

चुनाव आयोग के मुताबिक इन 224 सीटों के लिए कुल 5.3 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं, जिनमें से 2.66 करोड़ पुरुष और 2.63 करोड़ महिलाएं हैं। इनमें 11.71 लाख वे लोग हैं जो पहली बार मतदाता बने हैं।

कर्नाटक में 5.71 लाख दिव्यांग, 80 साल या इससे अधिक उम्र के 12.15 लाख और 100 वर्ष की आयु के 16 हजार से ज्यादा मतदाता पंजीकृत हैं।

वोट के लिए कुल 58545 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं।

शांतिपूर्ण चुनाव के लिए बड़े पैमाने पर पुलिस और अन्य बलों को तैनात किया गया है। अन्य राज्यों से भी पुलिस बल और होमगार्ड के जवान बुलाए गए हैं।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने कर्नाटक के मतदाताओं, खासकर पहली बार मतदाता बने युवाओं से अपील की है कि वे अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए बड़ी संख्या में घरों से निकलें।

राजीव कुमार ने युवा और शहरी मतदाताओं से 103 वर्षीय महादेव महालिंगा माली जैसे बुजुर्ग मतदाताओं से प्रेरणा लेने आग्रह किया और कहा कि वे राज्य में शहरी क्षेत्रों में मतदान को लेकर उदासीनता की प्रचलित प्रवृत्ति को गलत साबित कर ‘लोकतंत्र के उत्सव’ में सक्रिय रूप से भाग लें।

बात पिछले चुनाव की करें तो भाजपा 223 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से उसने 104 पर जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस ने 221 सीटों पर चुनाव लड़कर 78 सीटें जीत ली थीं, तो जेडीएस के खाते में भी 37 सीटें आईं थीं। इसके अलावा केपेजेपी को 1 और बीएसपी को भी 1 सीट मिली थी। वहीं अन्य के खाते में भी 1 सीट गई थी।

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इस तरह पिछली बार 2018 के चुनावों में किसी अकेले दल को बहुमत नहीं मिला था। सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और जेडीएस ने समझौता किया लेकिन राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी का तर्क देकर बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। मगर बीजेपी के उस समय मुख्यमंत्री बने बीएस येदयुरप्पा बहुमत नहीं जुटा पाए और विश्वास मत से पहले ही इस्तीफ़ा देकर बाहर हो गए। फिर कांग्रेस और जेडीएस की मिलीजुली सरकार बनी लेकिन कुछ समय बाद बीजेपी ने फिर जोड़-तोड़ कर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गिरा दी और एक बार फिर सत्ता पर काबिज़ हो गई।

अब एक बार फिर जनादेश का मौका आया है। इस बार बीजेपी का रिपोर्ट कार्ड काफी कमज़ोर है और भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी के मुद्दे पर बुरी तरह घिर गई है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मोर्चा संभाला और लगातार कई दिन तक रैलियां और रोड शो किए और ध्रुवीकरण के लिए हिन्दुत्व के मुद्दों को काफी हवा दी।   

इस बार चुनाव मैदान में ख़ुद मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार, जेडीएस के मुखिया एचडी कुमारस्वामी जैसे कई दिग्गज मैदान में हैं।

अब देखना है कि जनता क्या फ़ैसला करती है।

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