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मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

सिवनी की घटना से मध्यप्रदेश का पूरा आदिवासी क्षेत्र आक्रोशित है। आज कई आदिवासी संगठनों ने संयुक्त रूप से सिवनी बंद का आह्वान किया था, जो पूरी तरह सफल रहा। सिवनी से लगे गांवों के आदिवासी भी इस बंद में शामिल हुए।
Seoni

देश भर में लगातार हो रही मॉब लिचिंग पर कड़ी कानूनी कार्रवाई नहीं होने से यह सिलसिला थम नहीं रहा है। 2-3 मई की रात को सिवनी जिले के सिमरिया गांव में गौकशी के आरोप में तीन आदिवासियों की भीड़ ने घर से खींचकर पिटाई की, जिसमें से दो आदिवासियों की मौत हो गई। इस घटना से मध्यप्रदेश का पूरा आदिवासी क्षेत्र आक्रोशित है। आज कई आदिवासी संगठनों ने संयुक्त रूप से सिवनी बंद का आह्वान किया था, जो पूरी तरह सफल रहा। सिवनी से लगे गांवों के आदिवासी भी इस बंद में शामिल हुए।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जिला समिति सदस्य स्वदेश पटेल ने बताया कि आज सुबह से ही सिवनी के आसपास के गांवों से आदिवासियों के आने का क्रम जारी रहा। इस बंद का आह्वान जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस), गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, बिरसा मुंडा के नाम पर बने संगठन, अखिल भारतीय किसान सभा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति सहित कई आदिवासी संगठनों ने किया था।

सिवनी बंद के दरम्यान रैली

अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज ने कहा कि इस हत्याकाण्ड में लिप्त सभी अभियुक्तों की गिरफ्तारी कर विशेष न्यायालय गठित कर उसमें लगातार सुनवाई करके जल्द से जल्द उन्हें अधिकतम संभव दंड दिया जाए। इस तरह के उन्मादी वातावरण बनाने के जिम्मेदार सभी तत्वों, संगठनों की शिनाख्त कर उनके खिलाफ कार्यवाही किया जाए। दोनों मृतको के परिवारों  को एक-एक करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान करने के साथ ही उनके परिवार के एक-एक सदस्य को स्थायी सरकारी नौकरी दी जाए। गुंडों के हमले तथा बीच-बचाव में घायल हुए घटना के मुख्य गवाह ब्रजेश और मृतक के परिजनों की सुरक्षा मुहैया कराई जाए। इसके साथ ही इस घटना में शामिल बजरंग दल एवं राम सेना नाम के संगठनों को आतंकी संगठन घोषित किया जाए।

संगठनों ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से लगता है कि मध्यप्रदेश में क़ानून का राज नहीं है। इतनी बर्बरतापूर्ण घटना के बाद प्रदेश के गृहमंत्री का बयान भी अत्यंत निराशाजनक है। उन्होंने एक तरह से इस हिंसा को जायज ठहराने की कोशिश की है और इस तरह विवेचना तथा न्याय प्रक्रिया से जुड़े कर्मचारियों, अधिकारियों को भी एक संकेत दिया है। ज्ञापन में अपेक्षा की गई है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाते शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में क़ानून व्यवस्था के राज को पुनर्स्थापित करने का काम अपनी प्राथमिकता पर लेंगे।

मृतक धनसा इनवाती का घर

इस घटना की जांच के लिए माकपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने 4 और 5 मई को सिमरिया एवं आसपास के गांवों का दौरा किया। जांच रिपोर्ट को मीडिया से साझा करते हुए माकपा के राज्य सचिव जसविंदर ने बताया कि धनासराम उर्फ धनसा के परिजनों के अनुसार जब वे रात को घर में सो रहे थे, तब करीब बीस लोगों ने जो बजरंग दल, राम सेना के नारे लगा रहे थे, घर में घुसे और धनसा को पीटते हुए बाहर ले गए। जब धनसा की पत्नि फूलवती ने उसे बचाने की कोशिश की तो उसके साथ भी मारपीट की। उसके कपड़े भी फाड़ दिए गए। ये लोग अपने साथ पास के सागर गांव के संपत बट्टी को भी पकड़ कर लाए थे। हमलावर बजरंग दल एवं राम सेना के नारे लगाते हुए कह रहे थे कि इन्होंने गाय काटी है। जब वे मारपीट कर रहे थे तो पड़ोस में रहने वाले बृजेश की नींद खुल गई, जब वह बीच बचाव कराने आया तो उसके साथ भी मारपीट की। उसके हाथ में चोट आई। इस हो हल्ले में गांव वाले भी उठ गए। सबने कहा कि क्यों मार रहे हो। यदि अपराध किया है तो इन्हें पुलिस में दो। तब पुलिस बुलवाई गई।

तीनों घायलों धनसा, संपत और बृजेश को पुलिस की गाड़ी में बिठाकर ही कुरई सरकारी अस्पताल भेजा गया। गांव वालों और परिजनों का कहना है कि धनसा और संपत भी बिना सहारे के पुलिस की गाड़ी में बैठे। वे घायल थे, लेकिन तब उनकी स्थिति से ऐसा नहीं लग रहा था कि उनकी मृत्यु हो जाएगी। कुरई अस्पताल में उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। 

मृतक संपत बट्टी का घर

आज प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि परिजनों एवं गांव वालों से चिंतनीय जानकारी मिल रही है कि धनसा और सम्पत को पुलिस हिरासत में भी पिटाई हुई है।

धनसा मजदूर थे और गांव वालों के अनुसार शांतिप्रिय व्यक्ति थे। उनके खिलाफ किसी भी पुलिस थाने में कोई अपराधिक मामला दर्ज नहीं है। न ही गांव में उनका कभी किसी से झगड़ा हुआ है। दूसरे मृतक संपत बट्टी सागर गांव का रहने वाले थे और वह भी मजदूर थे। संपत के खिलाफ भी 4/210/21 का एक ही मामला दर्ज है, जो अभी विचाराधीन है। घटना की रिपोर्ट इस हादसे में घायल बृजेश ने ही कुरई थाने में सुबह 7.32 पर की।

घायल ब्रजेश बट्टी का घर

बृजेश ने छह नामजद आरोपियों के साथ करीब 15-20 अज्ञात लोगों की रिपोर्ट लिखवाई है। इन सबका संबंध बजरंग दल,आरएसएस, राम सेना और विश्व हिंदू परिषद से है। आरोपियों के फोटो वाले होर्डिंग्स और भाजपा नेताओं के साथ इनके फोटो अभी भी लगे हुए हैं।

प्रतिनिधिमंडल के अनुसार स्थानीय प्रशासन दबाव में काम कर रहा है। पुलिस ने सिमरिया गांव से 20 किलो मांस जब्त करने का दावा किया है, जबकि गांव वालों का कहना है कि किसी भी घर से कोई भी मांस बरामद नहीं हुआ है। पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की हैं। एक एफआइआर तो बृजेश की ओर से है, जबकि दूसरी एफआईआर बादलपार पुलिस चौकी के एएसआई की ओर से है, जिसमें समय का कोई उल्लेख नहीं है, उसमें कहा गया है कि शेरा राठौर ने उन्हें फोन पर जानकारी दी कि सिमरिया में गौमांस पकडऩे की सूचना प्राप्त हुई है। मौके पर पहुंच कर पता चला कि राम सेना के सदस्य तीन लोगों को घेरे बैठे थे, उनमें से दो धनसा और संपत अधिक चोटे होने के कारण बेहोश थे। इनसे कुछ दूरी पर प्लास्टिक की बोरी में करीब 20 किलो गौमांस रखा हुआ था, उसमें खून लगी कुल्हाड़ी और हंसिया था। इसमें राम सेना के शेरा राठौर और अजय साहू को गवाह बनाया गया।

पहली और दूसरी रिपोर्ट के बीच के विरोधाभास यह है कि जब घटना स्थल पर कई गांववासी थे तो फिर राम सेना के लोगों को ही गवाह क्यों बनाया, जबकि वे हत्या के आरोपी हैं। दूसरा बिना फोरेंसिक जांच के पुलिस ने यह कैसा मान लिया कि मांस गाय का ही है, जबकि गांव वालों का कहना है कि मांस बरामद नहीं हुआ है। तीसरी बात यह है कि जब पुलिस एएसआई ने स्वीकार किया है कि अधिक चोटों के कारण धनसा और संपत बेहोश थे तो पुलिस ने उन्हें मारने वालों के खिलाफ रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी।

जब एफआईआर में ही पुलिस ने राम सेना का उल्लेख किया है तब गृहमंत्री और पुलिस अधीक्षक का यह कहना कि अपराधियों के बजरंग दल या राम सेना में होने की विवेचना हो रही है, अपराधियों को बचाने की कोशिश है। जबकि राम सेना के प्रदेश प्रमुख ने वीडियो जारी कर इस हत्या की जिम्मेदारी ली है।

माकपा नेता जसविंदर सिंह का कहना है कि माकपा यह मांग करती है कि हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले राम सेना के प्रदेश प्रमुख पर भी हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए। सारे अपराधियों को पकड़ा जाए और उनके राजनीतिक संबंधों और संगठनों को उजागर किया जाए। पुलिस किसी दबाव में आने की बजाय निष्पक्षता से काम करे। पशु व्यापार पर लगा प्रतिबंध हटाया जाए। मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए मुआवजा और एक एक सदस्य को स्थाई सरकारी रोजगार दिया जाए। हम बुलडोजर संस्कृति के विरोधी हैं। मगर अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश के विभिन्न आदिवासी संगठनो की एक बैठक 13 मई शुक्रवार को भोपाल में आमंत्रित की गई है, जिसमें प्रदेश व्यापी आंदोलन की चर्चा की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि भाजपा लगातार आदिवासियों को अपनी ओर रिझाने के लिए प्रयास कर रही है। पिछले चुनाव में आदिवासी क्षेत्रों से भाजपा की बड़ी हार हुई थी। इस बार वह आदिवासियों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। लेकिन सिवनी की इस घटना के बाद भाजपा बैकफुट पर है।

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