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आधी आबादी: 'देश में हर दिन 1200 से ज्यादा लड़कियां महिलाएं लापता हो रहीं, 87 से रोज हो रहा बलात्कार'

पिछले सप्ताह संसद में पेश केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश भर में 3 वर्ष (2019 से 2021) में 13.13 लाख से अधिक लड़कियां और महिलाएं लापता हुईं है जिनमें 18 साल से अधिक उम्र की 10,61,648 महिलाएं व उससे कम उम्र की 2,51,430 लड़कियां शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर मध्य प्रदेश से थीं। इस मामले में पश्चिम बंगाल दूसरे स्थान पर है। इतनी बड़ी संख्या ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। यही नहीं, 87 महिलाओं से रोज बलात्कार हो रहा हैं।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। AP

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा संसद में उपलब्ध कराए गए ताजा डेटा के अनुसार, अकेले मध्य प्रदेश में 2019 और 2021 के बीच 1,60,180 महिलाएं और 38,234 लड़कियां लापता हो गईं। पश्चिम बंगाल से कुल 1,56,905 महिलाएं और 36,606 लड़कियां लापता हुईं। वहीं महाराष्ट्र में 1,78,400 महिलाएं और 13,033 लड़कियां लापता हो गईं। केंद्र शासित प्रदेशों में देश की राजधानी दिल्ली टॉप पर है जहां लड़कियों और महिलाओं के लापता होने की संख्या सबसे अधिक रही।

यह सब भी तब है जब महिलाओं की सुरक्षा को लेकर, सरकार दिन रात कठोर कानून होने के दावे करती नहीं थकती हैं। बावजूद इसके, अकेले 2021 में देश भर से 18 साल से अधिक उम्र की 3,75,058 महिलाएं लापता हुईं हैं। 

मध्य प्रदेश में सबसे खराब स्थिति

गायब हुईं महिलाएं और लड़कियां सबसे अधिक मध्य प्रदेश की हैं। मध्य प्रदेश में 1,60,180 महिलाएं और 38,234 लड़कियां इस अवधि के दौरान गायब हुईं। इसके बाद दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल है, जहां 1,56,905 महिलाएं और 36,606 लड़कियां लापता हो गईं। महाराष्ट्र में 1,78,400 महिलाएं और 13,033 लड़कियां इस अवधि के दौरान लापता हो गईं।

रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र दो ऐसे राज्य हैं जहां से 2019 से 2021 तक सबसे अधिक लड़कियां और महिलाएं लापता हुईं। मध्य प्रदेश से, 2019 में 52,119, 2020 में 52,357 और 2021 में 55,704 महिलाएं गायब हुईं, जो एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति को दर्शाता है। महाराष्ट्र में, 2019 में 63,167, 2020 में 58,735 और 2021 में 56,498 महिलाएं लापता हो गईं, हालांकि, गिरावट का रुझान दिख रहा है। 2021 में कुल 90,113 लड़कियां (जो 18 वर्ष से कम उम्र की हैं) लापता हो गईं, जिनमें सबसे अधिक 13,278 पश्चिम बंगाल से थीं। सामूहिक रूप से, देश भर में 2019 से 2021 तक कुल 10,61,648 महिलाएं लापता हुईं हैं। इसके साथ ही, इसी अवधि के दौरान 2,51,430 लड़कियां लापता हो गईं।

यहां भी स्थिति चिंताजनक

ओडिशा में 70,222 महिलाएं और 16,649 लड़कियां लापता हुईं, जबकि आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ में 49,116 महिलाएं और 10,817 लड़कियां लापता हुईं। केंद्र शासित प्रदेशों से महिलाओं के लापता होने की दुखद घटनाओं के मामले में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहले स्थान पर है, जहां इस अवधि के दौरान 61,054 महिलाएं और 18 वर्ष से कम उम्र की 22,919 लड़कियां लापता हो गईं।

असल संख्या इससे कहीं ज्यादा 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खास बात है कि, ये पूरी रिपोर्ट लापता हुईं महिलाओं की संख्या पर आधारित है, इसमें कितनी महिलाओं-लड़कियों को खोजकर पुलिस ने उनके परिवारों को सौंप दिया, वो डाटा इसमें शामिल नहीं है। दूसरा, कितनी लड़कियों और महिलाओं ने अपनी मर्जी से घर से अलग होकर शादी कर ली, जिनके माता-पिता ने उनके लापता होने की रिपोर्ट लिखवाई थी, वो डाटा भी इसमें शामिल नहीं है। इसमें केवल लापता महिलाओं और लड़कियों की संख्या का जिक्र है, उसके बाद हुई कार्रवाई का नहीं।

NCRB ने इस संख्या की गणना गुमशुदा महिलाओं और लड़कियों के संबंध में पुलिस स्टेशनों में दर्ज रिपोर्टों के आधार पर की है। हालांकि सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि असल संख्या और अधिक हो सकती है क्योंकि कई परिवार सामाजिक कलंक समेत विभिन्न कारणों से लापता लड़कियों की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते हैं।

87 महिलाओं से रोज हो रहा बलात्कार

भले मणिपुर के जघन्य मामले सुर्खियों में हो लेकिन देश में महिलाएं और बच्चियां घर या बाहर कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। आए दिन महिलाओं के साथ बलात्कार, हत्या, उनके गायब होने की खबरें आती रहती हैं। राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, महिलाओं की और बच्चियों की सुरक्षा का जितना भी दावा करें, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। देश में कठोर कानून होने के बावजूद हर दिन 246 लड़कियां और 1027 महिलाएं गायब हो रही हैं तो वहीं 87 महिलाओं के साथ रोज बलात्कार हो रहा हैं। देशभर में पांच वर्ष यानी 1825 दिनों में डेढ़ लाख महिलाओं से बलात्कार हुआ है।

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, देश में सबसे अधिक राजस्थान में 2021 के दौरान 6,337 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए थे। रेप का यह आंकड़ा, किसी भी राज्य में सर्वाधिक रहा है। वहीं मध्य प्रदेश में 2947, यूपी में 2845, महाराष्ट्र में 2496 और छत्तीसगढ़ में दुष्कर्म के 1093 मामले दर्ज किए गए।

पांच साल में कौन राज्य रेप केसों में टॉप पर रहा

रिपोर्ट 2021 के मुताबिक, बलात्कार की घटना वाले टॉप 10 राज्यों में छत्तीसगढ़ शामिल नहीं है। 2020 की रिपोर्ट में भी छत्तीसगढ़, टॉप 10 स्टेट में शामिल नहीं है। हालांकि राजस्थान, 2021 और 2020 में दुष्कर्म की घटनाओं में टॉप पर रहा है। 2019 के दौरान भी राजस्थान में ही बलात्कार के सर्वाधिक 5997 मामले सामने आए थे। 2018 में राजस्थान टॉप पर नहीं था। उस समय मध्यप्रदेश, बलात्कार के 5433 मामलों के साथ सबसे टॉप पर था। राजस्थान का नंबर दूसरा था। 2017 में भी मध्यप्रदेश रेप के मामलों में टॉप पर रहा। दूसरा नंबर उत्तर प्रदेश का था। तीसरे स्थान पर राजस्थान था। 2021 में देश में रेप के कुल 31677 मामले सामने आए थे। 2020 में बलात्कार की 28046 घटनाएं हुई थीं।

अगर पीड़ितों की संख्या देखें तो वह आंकड़ा 28,153 रहा है। 2019 में रेप के 32,033 मामले मिले थे। इनमें पीड़ित महिलाओं की संख्या 32,260 रही है। 2018 में रेप के कुल 33,356 मामले सामने आए थे। पीड़ितों की संख्या 33,977 रही है। 2017 के दौरान बलात्कार के 32,559 मामले दर्ज हुए थे। इन मामलों में पीड़ितों की संख्या 33,658 रही है। विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पांच साल के दौरान 1,59,048 दुष्कर्म के मामले सामने आए हैं।

मृत्यु दंड सहित कठोर दंडात्मक प्रावधान हैं

गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी ने संसद में बताया, यौन अपराधों के प्रभावकारी निवारण के लिए दंड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2013 अधिनियमित किया गया था। इसके अतिरिक्त, 12 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं के बलात्कार के लिए मृत्यु दंड सहित और अधिक कठोर दंडात्मक प्रावधान निर्धारित करने के मकसद से दंड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 अधिनियमित किया गया था।

सरकार के दावे फेल कर रहे हैं ये आंकड़े

NCRB रिपोर्ट को देखें तो महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा को लेकर किए जा रहे सरकार के दावे केवल हवा हवाई ही साबित हो रहे हैं। जिस तरह से महिलाओं और मासूमों के साथ घटनाएं हो रही हैं वो हमारे कानून व्यवस्था का पोल खोलता नजर आ रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि "महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच और अभियोजन सहित कानून और व्यवस्था बनाए रखना संबंधित राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।" इसमें यौन अपराधों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के लिए आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 के अधिनियमन सहित महिलाओं की सुरक्षा के लिए की गई पहलों की संख्या का उल्लेख किया गया है।

साभार : सबरंग 

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