पंजाब : किसानों के आगे झुकी सरकार; शराब फैक्ट्री बंद करने का ऐलान पर आंदोलन अब भी जारी, जानें क्यों....
पंजाब के जीरा में शराब फैक्ट्री बंद करवाने के लिए किसानों का आंदोलन बीते 150 से अधिक दिनों से जारी है जिसके बाद सरकार ने मंगलवार 18 जनवरी को फैक्ट्री बंद करने का फैसला लिया है। हालांकि किसान अभी भी धरने पर बैठे हैं और वे अभी भी अपना मोर्चा जमाये हुए हैं। किसानों का कहना है कि इस आंदोलन मे जो भी नुकसान हुआ है उसकी भरपाई सरकार को करनी होगी।
आपको बता दें 24 जुलाई 2022 से करीब 40 गांव के किसान शराब फैक्ट्री के गेट के बाहर धरना दे रहे हैं। मंगलवार को पंजाब सरकार द्वारा इस फैक्ट्री को बंद करने का ऐलान किया गया जिसके बाद आंदोलित किसानों में खुशी तो है लेकिन वो इसे अधूरी जीत बता रहे हैं। किसान इस आंदोलन को दिल्ली मोर्चे (कृषि कानून के खिलाफ) की तरह बता रहे हैं।
किसानों का ये संघर्ष करीब 177 दिन चला। इस दौरान उन्होंने पुलिस की लाठी से लेकर प्रशासन की कारवाई तक का सामना किया और इसके साथ ही बेरहम मौसम की सर्द से लेकर गर्मी तक झेली जिसके बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों की मांग मानते हुए इस शराब फैक्ट्री को बंद करने के निर्देश दे दिए हैं। ये फैक्ट्री 2006 में स्थापित हुई थी।
हालांकि मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा फिरोजपुर स्थित जीरा शराब फैक्ट्री को बंद करने के फैसले को लेकर बवाल खड़ा हो गया है क्योंकि ये मामला न्यायालय में विचाराधीन है। फैक्ट्री प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट तक जाने की बात कही है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा कि कानूनी विशेषज्ञों की राय लेने के बाद इस फैक्ट्री को बंद करने की घोषणा की गई है। हालांकि मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है।
पंजाब की भगवंत मान सरकार ने अपने फैसले से किसान आंदोलन को खत्म करने का प्रयास तो ज़रूर किया लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें सरकार के आश्वासन पर विश्वास नहीं है और जबतक उनकी सारी मांगें पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
शराब फैक्ट्री बंद करवाने को लेकर किसानों की इस मांग का समर्थन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने भी किया जिसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि ये जीत अभी अधूरी है, क्योंकि सीएम ने ये कहा है कि अगली लड़ाई अदालत में होगी। जब तक पूरी तरह से फैक्ट्री बंद नही होती तब तक उनका धरना जारी रहेगा।
किसानों के दिल्ली मोर्चे की तरह ही जीरा मे भी एक संयुक्त मोर्चा बना है जिसके नेतृत्व में ये आंदोलन चल रहा है। मोर्चे ने शाम को अपनी मीटिंग के बाद बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि शराब फैक्ट्री के खिलाफ धरना जारी रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने सरकार के सामने कई अन्य मांगे भी रखीं जैसे-सरकार किसानों के लिए नहरी पानी की व्यवस्था करे और इसके साथ ही उन्होंने आंदोलन के दौरान जो किसान जेल गए हैं उनकी भरपाई की भी मांग की।
कुछ अन्य मांगे इस प्रकार हैं :
•जिन लोगों पर नाजायज़ पर्चे दर्ज किए गए हैं वे रद्द किए जाएं।
•फैक्ट्री के प्रदूषण के कारण जिन लोगों की मौतें हुई हैं उनके परिजनों को मुआवज़ा दिया जाए।
•वातावरण प्रेमियों और इलाके की एक संयुक्त कमेटी बनाई जाएं।
•गांव में पीने योग्य पानी मुहैया कराया जाए।
•प्रदूषण के कारण पानी खराब हुआ है जो उनकी फसलों के लिए घातक है, इसलिए नहरी पानी का प्रबंध किया जाए।
•प्रदूषण फैलाने को लेकर फैक्ट्री मालिक के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए।
•फैक्ट्री मालिक और उसके मैनेजमेंट के खिलाफ पर्जे दर्ज किए जाएं।
•फैक्ट्री की ज़मीन पर इलाके को सहूलियत देने के लिए एक बड़ा अस्पताल बनाया जाए।
•फैक्ट्री में जो मज़दूर काम करते थे उनको 3 से 5 लाख तक मुआवज़ा दिया जाए।
•फैक्ट्री मालिक पर सबूत मिटाने, पानी को खराब करने और गैर-कानूनी माइनिंग के लिए पर्चा दर्ज किया जाए।
•फैक्ट्री के खातों को सील किया जाए।
•सभी पीड़ितों और मुलाज़िमों को मुआवज़ा दिया जाए।
•रिटायर्ड जज की कमेटी बनाई जाए ताकि जो इंडस्ट्रीज़ प्रदूषण फैला रही हैं उनकी जांच की जा सके।
•बीमार लोगों के लिए मुफ्त इलाज कार्ड बनाया जाए।
सयुंक्त मोर्चा ने सरकार से मांग की है कि उक्त मांगों का खमियाज़ा शराब फैक्ट्री से वसूला जाए। फैक्ट्री को 500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाए और फैक्ट्री के प्रदूषण के कारण जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई इसी जुर्माने से की जाए। फैक्ट्री मामले पर अब किसी की कोई दखलंदाज़ी नहीं होनी चाहिए। दूसरी तरफ मोर्चे ने कहा कि तरनतारन में राणा गुरजीत सिंह की शराब फैक्ट्री के कारण भी पानी खराब हो रहा है। वे इसकी भी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इसके बाद उन्हें अगर एक और मोर्चा खोलना पड़ा तो वे पीछे नहीं हटेंगें।
गुरुवार को संयुक्त मोर्चे ने सरकार के आगे अपनी मांगें रखीं और ऐलान किया कि जब तक उनकी सभी मांगें नहीं मानी जाती तब तक धरना इसी प्रकार जारी रहेगा।
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