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नस्लभेदी, ट्रंप समर्थक प्रशासन की वजह से हुए कैपिटल दंगे

क्रूर भीड़ में ज़्यादातर लोग श्वेत थे, अश्वेत नहीं। भीड़ ट्रंप समर्थकों से भरी हुई थी। इसलिए वही पुलिस जिसने बीएलएम प्रदर्शनकारियों पर निर्मम कार्रवाई की थी, वह 6 जनवरी कैपिटल हिंसा के दौरान अपनी जगह पर जकड़ कर रह गई।
ट्रंप समर्थक

24 जुलाई, 1814 को वाशिंगटन को जलाए जाने और 6 जनवरी, 2021 में कैपिटल हिल पर कब्ज़े की डरावनी समानताएं अमेरिकी राजनीति में गूंजती रहेंगी। यह घटनाएं डोनाल्ड ट्रंप की नस्लभेदी, अस्थिर, अलग पहचान वाले लोगों से घृणा और भ्रष्टाचार में लिप्त सत्ता को ख़त्म कर, जो बाइडेन को सत्ता में लाने वाले मतदाताओं में सिहरन पैदा करती रहेंगी।

जिस तरह अमेरिकी संघ और ट्रंप के झंडे लेकर निर्दयी भीड़ कैपिटल पुलिस के बैरिकेड्स को तोड़ती हुई ऐतिहासिक इमारत में घुसी, दीवारों पर चढ़ी, खिड़कियों को तोड़ा और सीनेट के साथ-साथ कानून बनाने वाले हॉल में दाखिल हुई, उससे ब्रिटिश मेजर जनरल रॉबर्ट रॉस और उनके सैनिकों की यादें ताजा हो गईं, जिन्होंने 200 साल पहले अमेरिकी सैनिकों और हथियारबंद नागरिकों की टुकड़ियों को निर्ममता से कुचलते हुए कैपिटल को जलाकर खाक कर दिया था। 

जब सीनेट बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने के लिए मतदान कर रही थी, तब ब्रिटिश क्रूरता की रूह कंपा देने वाली यादें ताजा की गईं। यह कार्रवाई ट्रंप समर्थकों द्वारा तख्तापलट में नस्लभेदी शासन की जटिल संलिप्त्ता को को भी इंगित करता है। यह तख़्तापलट उसी प्रसिद्ध इमारत में हो रहा था, जहां 20 जनवरी को 46 वें अमेरिकी राष्ट्रपति अपना कार्यकाल संभालेंगे। इस तख़्तापलट की कोशिश में शामिल ट्रंप समर्थकों में क्यूएनॉन और अति दक्षिणपंथी नव-फासिस्ट संगठन "प्रॉउड बॉयज" के सदस्य शामिल थे। 

इस दौरान दंगाईयों की कई फुटेज और तस्वीरें भी आईं। दंगाईयों के पुलिसवाले के साथ सेल्फी लेते हुए फोटो, क्यूएनॉन के सदस्य जैकब एंथनी चांस्ली ऊर्फ जेक एंजेली की सीनेट चैंबर के बगल में किसी मध्यकालीन डाकू की तरह खड़े रहने वाली तस्वीर, रिचर्ड बिगो बार्नेट की स्पीकर नैनसी पेलोसी के ऑफिस में मेज पर पैर रखे दिखाई पड़ने वाली तस्वीर, हॉउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव चैंबर में भाषण मंच पर खड़े एडम जॉनसन की तस्वीर, डरे हुए संसद सदस्यों की तस्वीरें, यह बताती हैं कि क्यों पुलिस ने कार्रवाई करने से हाथ खड़े कर दिए, क्योंकि दंगाईयों में ज़्यादातर लोग श्वेत थे, ना कि अश्वेत और यह सारे के सारे ट्रंप प्रशंसक थे।

विद्रोह के भोंडेपन को प्रशासन की नपुंसकता और ट्रंप के प्रति बेहद वफ़ादारी ने काफ़ी बढ़ा दिया। यह वफ़ादारी इस हद तक है कि ट्रंप के अंतिम दिनों में भी सुरक्षाकर्मियों ने कैपिटल की सीढ़ियों पर भीड़ को नहीं रोका। वैश्विक ताकत, जिसके पास सबसे ख़तरनाक हथियार हैं, जो 18 घंटे के भीतर दुनिया में कहीं भी 82वीं एयरबॉर्न डिवीज़न और 75वीं रेंजर रेजीमेंट को उतार सकता है, जो 24 घंटे के भीतर नेशनल गार्ड की तैनाती कर सकता है, वह अमेरिका इस दंगे के दौरान के कमजोर देश की तरह दिखाई दिया, जहां कानून व्यवस्था का कोई राज ही नहीं है। जहां कैपिटल की सुरक्षा में तैनात पुलिस दंगाईयों के प्रति कोई प्रतिरोध नहीं दिखा रही थी। 

जैसा अमेरिकी मीडिया कह रहा है, उसके उलट, पुलिस द्वारा कोई गलती नहीं की गई और ना ही प्रशासन ने कार्रवाई करने में देरी की; दरअसल यह प्रशासनिक कार्रवाई को ढीला करने की एक सोची-समझी योजना थी, जिसके ज़रिए ट्रंप को अमेरिकी लोकतंत्र की खुलेआम भद्द पीटनी थी। पुलिस द्वारा की गई कोई भी कार्रवाई ट्रंप के मतदाताओं के फर्जीवाड़े और फर्जी चुनाव के साथ-साथ उनके श्वेत सर्वोच्चतावाद (व्हाइट सुप्रीमेसी) के विश्वास से उलट जाती। यह पुलिसिया कार्रवाई ट्रंप की उस कल्पना के खिलाफ़ भी जाती, जिसमें वे बाइडेन के नेतृत्व में लेफ़्ट की साजिश की बात करते हैं।

आमतौर पर FBI, पुलिस और सीक्रेट सर्विस के पास वाशिंटगटन डीसी में किसी भी तरह के बड़े प्रदर्शन और जुलूस से निपटने के लिए योजना रहती है। लेकिन सोशल मीडिया पर बाइडेन की जीत को रोकने के लिए श्वेत सर्वोच्चतावादियों और अतिवादियों की हिंसा की शुरुआती चेतावनियों के बावजूद अमेरिकी नेशनल गार्ड या होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) की वोट प्रमाणीकरण की प्रक्रिया के पहले तैनाती नहीं की गई। बता दें क्यूएनॉन से संबंधित अकॉउंट्स ने एक जनवरी के बाद से 1,480 ट्विटर पोस्ट में हिंसा की बात की थी।

बल्कि ट्रंप के समर्थकों द्वारा फ़ेसबुक, ट्विटर, दक्षिणपंथी प्लेटफॉर्म पार्लर, द डोनाल्ड (एक ट्रंप समर्थक कम्यूनिटी, जो प्रतिबंधित सबरेडिट आर/द डोनाल्ड और द डोनाल्ड।विन से जुड़ी है), यू ट्यूब औऱ टिक-टॉक पर ख़तरनाकर संदेश और वीडियो पोस्ट, जिनमें कैपिटल पर इकट्ठा होने की बात कही थी, उनसे कहीं पहले, इनके मुखिया ने 19 दिसंबर को ट्वीट करते हुए लिखा था, "डीसी में 6 जनवरी को होगा बड़ा प्रदर्शन, वहां पहुंचिए और तेज-तर्रार रहिए!" 

ट्रंप के हजारों समर्थकों ने हमले के पहले रैली में हिस्सा लिया। ट्रंप ने कहा, "अब हमारा देश बहुत सह चुका है, अब हम आगे और सहन नहीं करेंगे। आपको ताकत दिखानी होगी, आपको मजबूत बनना होगा।"

ट्रंप के उकसावे के बाद ही कैपिटल पुलिस को फौरन सुरक्षा मदद की गुहार लगानी चाहिए थी। हमला करने वाले जब कैपिटल में घुसे, उसके बाद दो बजे वाशिंगटन के मेयर मुरियल बॉउज़र ने नेशनल गार्ड बुलाए जाने की मांग की, वहीं रक्षा सचिव क्रिस मिलर ने डीसी नेशनल गार्ड को आधे घंटे बाद सक्रिय किया। यह हमला किए जाने के बाद एक घंटे बाद की बात है, इससे इन जिम्मेदार लोगों के ट्रंप के साथ मिले होने की बात सामने आती है। 

जब भीड़ बिना किसी प्रतिरोध के कैपिटल में घुस गई, तब खुल्लेआम पाखंड दिखाते हुए कैपिटल पुलिस के चीफ स्टीवन संड ने कहा कि उनके अधिकारियों ने "हिंसक दंगों में शामिल हजारों लोगों, जिन्होंने कैपिटल इमारत में घुसपैठ की, उनके सामने साहस दिखाया।" स्टीवन संड ने घटना के बाद इस्तीफा दे दिया था। 11 जनवरी को इस्तीफा देने के बाद संड ने हॉउस और सीनेट सार्जेंट-एट-ऑर्म्स पॉल इरविंग और माइकल स्टेगनर पर दोषी होने के आरोप लगाया। संड के मुताबिक़ इन दोनों ने हिंसा के कई दिन पहले कैपिटल के आसपास नेशनल गार्ड को तैयार रखने की उनकी अपील को नामंजूद कर दिया था। इरविंग और स्टेगनर भी इस्तीफा दे चुके हैं।

यहां अचंभित करने वाली बात यह है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर राजद्रोही संदेशों और वीडिय की बाढ़ आने के बाद भी आधिकारिक तौर पर हमले के बारे में इंटेलीजेंस होने से इंकार किया जा रहा है। वाशिंगटन डीसी के पुलिस चीफ रॉबर्ट कांटी ने खुद के लिए सहूलियत भरी टिप्पणी करते हुए कहा, "ऐसी कोई गुप्ता सूचना नहीं थी कि जिससे कैपिटल के उल्लंघन होने के बारे में पता चल सकता था।" यह टिप्पणी ना केवल उनकी लापरवाही, बल्कि ट्रंप द्वारा हिंसा उकसाने के षड्यंत्र में उनकी संलिप्त्ता बताती है।

पिछले महीने ब्लैक लाइव्स मैटर (BLM) बैनर को जलाने के मामले में 4 जनवरी को "प्रॉउड बॉयज़" के नेता एनरिक टेरियो की गिरफ़्तारी खुद कांटी की पुलिस फोर्स ने की थी। इसके बावजूद उनकी नाक के नीचे कैपिटल में हिंसा हो गई। बता दें टेरियो अतिदक्षिणपंथी समूह के नेता हैं, जिसकी ट्रंप खुलकर प्रशंसा कर चुके हैं, उन्हें गिरफ़्तार होने के अगले ही दिन छोड़ दिया गया, जबकि उनके ऊपर उच्च क्षमता वाली दो मैगजीन, जिनके साथ अतिरिक्त कारतूज़ भी मौजूद थे, उन्हें रखने के लिए अपराध की दोहरी धाराएं लगाई गई थीं।

पेलोसी के कार्यालय में उनकी मेज पर बार्नेट द्वारा जूते रखकर बैठे रहने वाले तस्वीर से अमेरिका में कानून को लागू करने और न्याय के प्रशासन के लिए जिम्मेदार, अमेरिकी न्यायविभाग के मुखिया जेफ्री ए रोसेन सिर्फ़ चकित हुए। यह पूरी व्यवस्था की सड़ांध को बताता है। रोसेन ने कहा था, "कैपिटल में घुसपैठ के दौरान जिन लोगों द्वारा अपराध किया जाना साबित होगा, उन्हें न्याय का सामना करना पड़ेगा।" आश्चर्यजनक तौर पर सिर्फ़ 14 दंगाईयों को ही अब तक गिरफ्तार किया गया है। बता दें कैपिटल हमले में पांच लोगों की मौत हो गई थी। 

जॉर्ज फ्लॉयड और जैकब ब्लेक की पुलिस द्वारा हत्या के बाद हुए नस्लभेद विरोधी प्रदर्शनों जिस सजगता से नेशनल गार्ड और DHS की कार्रवाई करने के लिए तैनाती हुई थी, उसकी तुलना में कैपिटल पर हुए तेज-तर्रार हमले में दिखाया गया ढीला रवैया हैरान करने वाला है। नस्लभेद विरोधी प्रदर्शनों के दौरान 62,000 से ज़्यादा नेशनल गार्ड सुरक्षाकर्मियों की तैनाती कर दी गई थी, जिन्होंने BLM प्रदर्शनकारियों को दौड़ाया, उन्हें पीटा, उनपर आंसू गैस चलाई और हजारों प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार कर लिया। जबकि 6 जनवरी को सिर्फ 2000 कैपिटल पुलिसकर्मियों को ही हजारों प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए छोड़ दिया गया था।

कैपिटल पर कब्ज़े के बाद BLM ने ट्वीट करते हुए लिखा, "जब अश्वेत लोग अपनी जिंदगियों के लिए प्रदर्शन करते हैं, तो हमारे सामने राइफल और आंसू गैस से लैस और हेल्मेट पहने हुए नेशनल गार्ड मिलते हैं। वहीं जब श्वेत लोग तख़्ता पलट के लिए आते हैं, तो उनके सामने बहुत कम संख्या में सुरक्षाकर्मी होते हैं, जो उन पर कार्रवाई करने के लिए सक्षम नहीं होते हैं। यहां समझने में कोई मत कीजिए, अगर प्रदर्शनकारी अश्वेत होते, तो हम पर आंसू गैसे के गोले चलाए जाते, हमारी पिटाई की जाती, यहां तक कि हमें गोलियां तक मार दी जातीं।" ट्रंप प्रशासन की नफरत और भेदभाव सिर्फ़ अश्वेतों तक ही सीमित नहीं है। ट्रंप प्रशासन उन श्वेत लोगों खिलाफ़ भी बुरे तरीके से खड़ा रहता है, जो उनकी नीतियों का विरोध कर रहे होते हैं।

2017 में मेडिकैड को ख़त्म करने के खिलाफ़ प्रदर्शन के दौरान व्हीलचेयर पर विकलांग अमेरिकियों को भी खींचती कैपिटल पुलिस की झकझोरने वाली तस्वीरों ने बताया था कि कैसे ट्रंप और उनके द्वारा समर्थित पूंजीवादियों के खिलाफ़ प्रदर्शन करने वाले लोगों के खिलाफ़ प्रशासन कितनी तेजी से कार्रवाई करता है। वहीं अगर ट्रंप के समर्थक कानून तोड़ते हैं, तो प्रशासन अपनी जगह पर जड़ हो जाता है। यह प्रदर्शन सीनेट मेजॉरिटी लीडर मिच मैक्कॉनेल के ऑफिस पर किया जा रहा था। जून और सितंबर, 2017 के बीच 400 से ज़्यादा अमेरिकी प्रदर्शनकारियों को कैपिटल पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किया गया था। 

इसी तरह 2018 में ट्रंप द्वारा नामित विवादित ब्रैट कावानाग के नाम पर सीनेट ने मुहर लगा दी थी। इसके जवाब में प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट की सीढ़ियों पर प्रदर्शन किए। इस दौरान कैपिटल पुलिस ने सैकड़ों शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया था। उसी साल कैपिटल पुलिस ने 500 से ज़्यादा महिला प्रदर्शनकारियों को भी गिरफ्तार किया था। यह प्रदर्शनकारी कठोर प्रवासी नीतियों का विरोध कर रहे थे।

लेखक पत्रकार हैं, उनके पास दो दशक का पत्रकारीय अनुभव है। वे विदेश मामलों और दूसरे मुद्दों पर लिखते हैं। यह उनके निजी विचार हैं।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Racially Biased Pro-Trump Administration Inflicted Capitol Riot

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